संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारी बहुमत से इजरायल-फिलिस्तीन दो-राष्ट्र समाधान को समर्थन

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 13-09-2025
Israel-Palestine two-nation solution supported by overwhelming majority in UN General Assembly
Israel-Palestine two-nation solution supported by overwhelming majority in UN General Assembly

 

संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को भारी बहुमत से इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन करते हुए इजरायल से फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता देने का आह्वान किया। इस प्रस्ताव का इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कड़ा विरोध किया है।

193 सदस्यीय महासभा ने “न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन” नामक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव को मंजूरी दी, जो लगभग 80 वर्षों से चले आ रहे इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए चरणबद्ध योजना पेश करता है। मतदान में 142 देशों ने पक्ष में, 10 ने विरोध में और 12 ने मतदान से परहेज किया।

मतदान से कुछ घंटे पहले ही नेतन्याहू ने कहा, “फिलिस्तीनी राज्य कभी नहीं बनेगा।” उन्होंने यह बयान पश्चिमी तट में नई बस्तियों के विस्तार संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर करते समय दिया और कहा, “यह भूमि हमारी है।”

यह प्रस्ताव फ्रांस और सऊदी अरब द्वारा प्रस्तुत किया गया था। दोनों देशों ने जुलाई के अंत में दो-राष्ट्र समाधान को लागू करने पर एक उच्चस्तरीय सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की थी, जहां इस घोषणा को स्वीकृति मिली।

गाजा में लगभग दो वर्षों से जारी युद्ध और व्यापक इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष, 22 सितंबर से शुरू हो रहे महासभा के वार्षिक सत्र में विश्व नेताओं के लिए प्रमुख मुद्दों में रहने की संभावना है। फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों ने उम्मीद जताई कि कम से कम 10 और देश फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता देंगे, जो पहले से ही 145 से अधिक देश कर चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने कहा कि इस प्रस्ताव के समर्थन से यह साबित होता है कि “लगभग पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी शांति का रास्ता खोलने की इच्छुक है।”

उन्होंने बिना नाम लिए इजरायल पर निशाना साधते हुए कहा, “हम उस पक्ष को आमंत्रित करते हैं जो अब भी युद्ध, विनाश और फिलिस्तीनी जनता को मिटाने की कोशिश कर रहा है, कि वह तर्क और शांति की आवाज सुने—वह संदेश, जो आज महासभा में गूंजा है।”

वहीं, इजरायल के संयुक्त राष्ट्र राजदूत डैनी डैनन ने इस प्रस्ताव को “नाटक” करार देते हुए कहा कि “इससे केवल हमास को लाभ होगा।”

उन्होंने कहा, “यह एकतरफा घोषणा शांति की दिशा में कदम नहीं बल्कि इस सभा की साख को कमजोर करने वाला एक खोखला इशारा है।”

संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी “न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन” और उसके समर्थन में पारित महासभा के प्रस्ताव का विरोध दोहराया। अमेरिका के मिशन काउंसलर मॉर्गन ऑर्टागस ने कहा, “यह प्रस्ताव एक और भ्रामक और गलत समय पर उठाया गया कदम है, जो संघर्ष समाप्त करने की गंभीर कूटनीतिक कोशिशों को कमजोर करता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह हमास को उपहार देने जैसा है।”

घोषणा में 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा दक्षिणी इजरायल में नागरिकों पर किए गए हमलों की निंदा की गई है। उस हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर इजरायली नागरिक थे, और करीब 250 को बंधक बना लिया गया था। अब भी 48 बंधक मौजूद हैं, जिनमें लगभग 20 के जीवित होने का विश्वास है।

साथ ही, घोषणा में गाजा में नागरिकों और बुनियादी ढांचे पर इजरायल के हमलों, घेराबंदी और भुखमरी की भी निंदा की गई, जिसके कारण “भयानक मानवीय आपदा और सुरक्षा संकट” पैदा हो गया है। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायली हमलों में अब तक 64,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।

घोषणा में युद्धविराम के बाद गाजा में फिलिस्तीनी प्राधिकरण के तहत एक संक्रमणकालीन प्रशासनिक समिति गठित करने और हमास को गाजा का शासन छोड़कर हथियार सौंपने की बात कही गई है।

इसके अलावा, इसमें संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में “अस्थायी अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण मिशन” की तैनाती का भी समर्थन किया गया है, जो फिलिस्तीनी नागरिकों की रक्षा करेगा, सुरक्षा का जिम्मा फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंपेगा और भविष्य की शांति संधि की निगरानी करेगा।

घोषणा ने देशों से फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया और कहा कि यह “दो-राष्ट्र समाधान की प्राप्ति के लिए एक अनिवार्य कदम है।” इसमें बिना नाम लिए इजरायल की ओर इशारा करते हुए कहा गया कि “गैरकानूनी एकतरफा कार्रवाइयाँ फिलिस्तीन के स्वतंत्र राज्य बनने की संभावना के लिए अस्तित्वगत खतरा हैं।”