नई दिल्ली.
भारत यात्रा पर आए ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लहियान और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यहां प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान द्विपक्षीय संबंधों और रणनीतिक मामलों को मजबूत करने पर चर्चा की.
एक आधिकारिक बयान में इसकी जानकारी दी गई है. विदेश मंत्री द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दोनों मंत्रियों ने बुधवार को अपनी वार्ता के दौरान 'राजनीतिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के संबंधों सहित द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं' पर चर्चा की.
अगस्त 2021 में पदभार ग्रहण करने के बाद से आमिर अब्दुल्लहियान की नई दिल्ली की यह पहली यात्रा है. मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर ने 'ईरान में रहने वाले अफगान नागरिकों को कोविड-19 टीकों की आपूर्ति सहित अफगानिस्तान को भारत की चिकित्सा सहायता की सुविधा में ईरान की भूमिका की सराहना की.'
दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय संपर्क के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के महत्व को स्वीकार किया और शाहिद बहिश्ती टर्मिनल, चाबहार बंदरगाह में हुई प्रगति की समीक्षा की. दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की है कि चाबहार बंदरगाह ने भूमि से घिरे अफगानिस्तान के लिए बहुत आवश्यक समुद्री पहुंच प्रदान की है और यह भी मध्य एशिया सहित इस क्षेत्र के लिए एक वाणिज्यिक पारगमन केंद्र के रूप में उभरा है.
मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "उन्होंने चाबहार बंदरगाह के विकास पर सहयोग जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों देशों की टीमें परिचालन पहलुओं को संबोधित करने के लिए जल्द ही बैठक करेंगी."
अब्दुल्लहियान और जयशंकर ने अफगानिस्तान सहित अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की. बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने "अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने के महत्व की पुष्टि की और युद्धग्रस्त राष्ट्र में एक प्रतिनिधि और समावेशी राजनीतिक प्रणाली की आवश्यकता को दोहराया."
ईरानी मंत्री ने जयशंकर को 2015 के परमाणु समझौते से संबंधित वर्तमान स्थिति के बारे में भी बताया, जिसे संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के रूप में भी जाना जाता है और रूस-यूक्रेन युद्ध पर विचारों का आदान-प्रदान किया.
इससे पहले, अब्दुल्लहियान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल के साथ भी बैठक की.