न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन
अमेरिका ने कहा है कि वह आपूर्ति शृंखला सुरक्षा से जुड़े प्रयासों में भारत को एक “अत्यंत रणनीतिक संभावित साझेदार” के रूप में देखता है और इस दिशा में नई दिल्ली के साथ सहयोग बढ़ाने का स्वागत करता है। यह बयान ऐसे समय आया है, जब वॉशिंगटन के नेतृत्व में हाल ही में शुरू की गई ‘पैक्स सिलिका’ (Pax Silica) पहल में भारत को शामिल नहीं किया गया।
अमेरिकी विदेश विभाग में आर्थिक मामलों के अंडर सेक्रेटरी जैकब हेलबर्ग ने बुधवार को फॉरेन प्रेस सेंटर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अमेरिका भारत के साथ आर्थिक सुरक्षा सहयोग को गहरा करने के तरीकों पर “लगातार संवाद” कर रहा है।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह अमेरिका ने ‘पैक्स सिलिका’ नामक रणनीतिक पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य सिलिकॉन आपूर्ति शृंखला को सुरक्षित, समृद्ध और नवाचार-आधारित बनाना है—जिसमें महत्वपूर्ण खनिजों, ऊर्जा इनपुट्स, उन्नत विनिर्माण, सेमीकंडक्टर, एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं।
इस पहल में जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड्स, यूनाइटेड किंगडम, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, लेकिन भारत इसमें शामिल नहीं है। क्वाड देशों में भारत को छोड़कर जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इस नई पहल का हिस्सा हैं।
हेलबर्ग ने भारत को शामिल न किए जाने को लेकर चल रही अटकलों को स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि भारत के बाहर रहने और वॉशिंगटन–नई दिल्ली के बीच मौजूदा राजनीतिक/व्यापारिक तनावों के बीच कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा,
“मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापार व्यवस्थाओं से जुड़ी बातचीत, आपूर्ति शृंखला सुरक्षा पर हमारी चर्चाओं से पूरी तरह अलग और समानांतर ट्रैक पर चल रही है। हम इन दोनों को आपस में नहीं जोड़ रहे हैं।”
उन्होंने दोहराया,
“हम भारत को आपूर्ति शृंखला सुरक्षा से जुड़े प्रयासों में एक अत्यंत रणनीतिक संभावित साझेदार मानते हैं और उनके साथ जुड़ने के अवसर का स्वागत करते हैं।”
हेलबर्ग ने बताया कि वे दिल्ली में अपने समकक्षों के साथ लगभग रोज़ाना संपर्क में हैं और सहयोग को तेज़ी से गहरा करने के व्यावहारिक रास्ते तलाशे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे फरवरी में होने वाले इंडिया एआई इम्पैक्ट समिट में शामिल होंगे, जिससे आमने-सामने मुलाकात और ठोस लक्ष्यों/मील के पत्थरों पर सहमति का अवसर मिलेगा।
नई दिल्ली 19–20 फरवरी को इंडिया–एआई इम्पैक्ट समिट 2026 की मेज़बानी करेगा, जिसका फोकस ‘पीपल, प्लैनेट और प्रोग्रेस’ के सिद्धांतों पर होगा। यह ग्लोबल साउथ में आयोजित होने वाला पहला वैश्विक एआई शिखर सम्मेलन होगा—जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस एआई एक्शन समिट में की थी।
पैक्स सिलिका के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए हेलबर्ग ने कहा कि यह पहल सिलिकॉन आपूर्ति शृंखला को सुरक्षित करने पर केंद्रित है, जिसे उन्होंने कारों, स्मार्टफोन उद्योग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों की “जीवनरेखा” बताया।
प्रारंभिक देशों के चयन के तर्क को समझाते हुए उन्होंने कहा कि कई देश वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अलग-अलग हिस्सों का योगदान देते हैं, लेकिन इस पहल की शुरुआत सेमीकंडक्टर विनिर्माण पर केंद्रित खंड से की गई।
उन्होंने बताया कि सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान, ताइवान और नीदरलैंड्स सेमीकंडक्टर निर्माण का “केंद्र” हैं, इसलिए पहले छोटे समूह से शुरुआत कर बाद में आपूर्ति शृंखला के अन्य स्तरों तक विस्तार की योजना है।
हेलबर्ग ने जोर दिया कि 2026 की कार्ययोजना में ऐसे देशों के लिए स्पष्ट मार्ग तैयार करना शामिल है जो समान सोच वाले, भरोसेमंद हों और विशिष्ट योगदान दे सकें, ताकि वे भविष्य में पैक्स सिलिका फ्रेमवर्क में शामिल हो सकें।
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, पैक्स सिलिका का उद्देश्य दबावपूर्ण निर्भरताओं को कम करना, एआई की बुनियादी सामग्रियों और क्षमताओं की रक्षा करना, और यह सुनिश्चित करना है कि समान सोच वाले देश परिवर्तनकारी तकनीकों का बड़े पैमाने पर विकास और उपयोग कर सकें।
पिछले शुक्रवार को हेलबर्ग और जापान, इज़रायल, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के प्रतिनिधियों ने पैक्स सिलिका घोषणा पर हस्ताक्षर कर पहल की शुरुआत की। यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस आह्वान को आगे बढ़ाता है, जिसमें निजी निवेश, मुक्त उद्यम और अर्थशक्ति के जरिए शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली नई आर्थिक कूटनीति की बात कही गई है। विदेश विभाग के मुताबिक, आगे और देशों के शामिल होने की उम्मीद है।
विभाग ने कहा कि ये देश वैश्विक एआई आपूर्ति शृंखला को आगे बढ़ाने वाली सबसे महत्वपूर्ण कंपनियों और निवेशकों का घर हैं और पैक्स सिलिका का लक्ष्य एआई युग में साझेदार देशों के लिए टिकाऊ आर्थिक व्यवस्था स्थापित करना है।






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