न्यूयॉर्क
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को हिंद-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी की। यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के इतर आयोजित हुई।
जयशंकर ने बैठक में कहा कि भारत और प्रशांत द्वीपीय देश "विकास साझेदार" हैं और दोनों पक्षों का एजेंडा पूरी तरह से जन-केंद्रित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की प्राथमिकता स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाना है।
बैठक के बाद विदेश मंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा, “न्यूयॉर्क में एफआईपीआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करके प्रसन्नता हुई। यह देखकर खुशी है कि एफआईपीआईसी-3 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 12 सूत्रीय कार्ययोजना लगातार प्रगति कर रही है।”
गौरतलब है कि वर्ष 2023 में पोर्ट मोरेस्बी (पापुआ न्यू गिनी) में आयोजित एफआईपीआईसी-तीसरे शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने प्रशांत द्वीपीय देशों के लिए एक व्यापक 12-सूत्रीय विकास योजना की घोषणा की थी। इसमें स्वास्थ्य सेवा के विस्तार, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के समर्थन, साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने, कौशल विकास और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने जैसी पहलें शामिल थीं।
जयशंकर ने बैठक में भरोसा दिलाया कि भारत इन योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने और क्षेत्रीय भागीदारी को और गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सतत विकास को बढ़ावा देना भारत की विदेश नीति की प्राथमिकता है।