धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश),
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने शनिवार को सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त होने पर बधाई दी।अपने कार्यालय से साझा संदेश में दलाई लामा ने लिखा, “आप भली-भांति जानती हैं कि नेपाल और तिब्बती जनता के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। 1959 में तिब्बत से मजबूरन पलायन के बाद तिब्बती शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए सुविधाएं प्रदान करने के लिए मैं नेपाल सरकार और जनता का अत्यंत आभारी हूं। भले ही तिब्बती समुदाय छोटा है, लेकिन मुझे विश्वास है कि उसने नेपाल की आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय योगदान दिया है।”
उन्होंने नेपाल की प्रगति और विकास की सराहना करते हुए कहा, “वर्षों में नेपाल ने जीवन के हर क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास और बढ़ती समृद्धि देखी है। ये उपलब्धियां तब और भी सार्थक हो जाती हैं जब वे गरीब और जरूरतमंद लोगों के जीवन में वास्तविक सुधार लाती हैं।”
अपने संदेश के अंत में दलाई लामा ने कहा, “इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में नेपाल की जनता की आकांक्षाओं और उम्मीदों को पूरा करने में आपकी सफलता की मैं हार्दिक शुभकामनाएं और प्रार्थनाएं करता हूं।”
इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुशीला कार्की को बधाई दी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने पर माननीय सुशीला कार्की जी को हार्दिक बधाई। भारत नेपाल के भाई-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
नेपाल की संसद को शुक्रवार देर रात औपचारिक रूप से भंग कर दिया गया और साथ ही 5 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने का ऐलान हुआ। यह फैसला प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही कार्की की अध्यक्षता में रात 11 बजे हुई पहली कैबिनेट बैठक में लिया गया। अब छह महीने की अंतरिम सरकार देश को चुनाव तक ले जाएगी।
सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं, ने शनिवार को काठमांडू स्थित राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में शपथ ली। उनकी नियुक्ति, इस सप्ताह केआर शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद हुई, जिन्हें युवाओं के नेतृत्व में चल रहे भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के बीच पद छोड़ना पड़ा।
राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि नई कैबिनेट को देश में व्यवस्था बहाल करने और अगले साल मार्च में संघीय संसद के चुनावों की तैयारी करने का जिम्मा सौंपा गया है।
कार्की का चयन नेपाली राजनीति में एक दुर्लभ सर्वसम्मति का क्षण माना जा रहा है। उन्हें जनरेशन-ज़ी नेताओं द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डिस्कॉर्ड पर कराए गए जनमत संग्रह के जरिए चुना गया, जिसमें वे न केवल युवा आंदोलन बल्कि पारंपरिक राजनीतिक शक्तियों के बीच भी स्थिरता और विश्वसनीयता का प्रतीक बनकर उभरीं।