लंदन
राजनीतिक विश्लेषक और मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्ज़ा ने पाकिस्तान के पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान (PoGB) में काउंटर टेररिज़्म डिपार्टमेंट (CTD) का विस्तार करने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम आतंकवाद से निपटने के बजाय स्थानीय विरोध को दबाने के लिए उठाया गया है।
मिर्ज़ा ने एक्स (X) पर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया कि CTD की तैनाती का सीधा संबंध इस्लामाबाद की उस कोशिश से है, जिसके तहत विवादित खनन एवं खनिज विधेयक को लागू किया जा रहा है। इस विधेयक को लेकर व्यापक चिंता है कि स्थानीय संसाधन विदेशी कंपनियों को सौंपे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा कदम लोगों की रक्षा से ज़्यादा सरकार की संसाधन नीति के खिलाफ किसी भी प्रतिरोध को कुचलने के लिए है।
मिर्ज़ा ने पीओजीबी विधानसभा के सदस्य अकबर रजाई के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान ने "गुप्त सौदों" के ज़रिये खनिज संसाधनों का शोषण करने के लिए PoGB को अमेरिकियों के हाथ बेच दिया है।
मिर्ज़ा के अनुसार, यह फ़ैसला प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सीधे निर्देश पर लिया गया है, जिन्होंने आर्थिक संकट झेल रही पीओजीबी प्रशासन को इस नई फ़ोर्स के लिए 1.5 अरब रुपये आवंटित करने पर मजबूर किया। योजना के तहत 613 CTD कर्मियों की भर्ती, गिलगित में मुख्यालय और चिलास (जिला दीामेर) में एक क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना की जाएगी, जो चीन समर्थित दीामेर-भाषा बांध के पास होगा। सिर्फ CTD ढांचे के निर्माण पर ही लगभग 72 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
मिर्ज़ा ने इस आवंटन को कठोर शब्दों में लताड़ते हुए कहा कि यह क्षेत्र अब भी खस्ताहाल बुनियादी ढांचे, जर्जर स्कूलों, संसाधन-विहीन अस्पतालों और व्यापक बेरोज़गारी से जूझ रहा है। उन्होंने इस नीति को पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में दमनकारी पैटर्न से जोड़ते हुए लोगों से अपील की कि वे इन औपनिवेशिक शैली की लूट और शोषण के खिलाफ एकजुट हों।