यूरोपीय देशों का ईरान को चेतावनी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-09-2025
European countries warn Iran: Necessary steps to prevent a 'snapback' of UN sanctions have not yet been taken.
European countries warn Iran: Necessary steps to prevent a 'snapback' of UN sanctions have not yet been taken.

 

दुबई

यूरोपीय अधिकारियों ने बुधवार को ईरान को चेतावनी दी कि उसने अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) प्रतिबंधों के पुनः प्रवर्तन यानी 'स्नैपबैक' को रोकने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने कहा कि समय तेजी से समाप्त हो रहा है।

यह टिप्पणी जर्मन विदेश मंत्रालय और यूरोपीय संघ (ईयू) के शीर्ष राजनयिक काजा कालास की ओर से तब सामने आई जब ईरान ने बुधवार को फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के प्रतिनिधियों के साथ तथा ईयू के उच्च प्रतिनिधि के साथ बातचीत की।

कालास ने कहा, "ईरान के परमाणु मुद्दे पर कूटनीतिक समाधान खोजने की खिड़की तेजी से बंद हो रही है। ईरान को फ्रांस, यूके और जर्मनी की मांगों के प्रति विश्वसनीय कदम दिखाने होंगे। इसका मतलब है कि ईरान को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ पूर्ण सहयोग करना होगा और सभी परमाणु स्थलों पर निरीक्षण की अनुमति देनी होगी।"

जर्मन विदेश मंत्रालय ने सोशल प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि "ईरान ने अब तक उस वाजिब और स्पष्ट कार्रवाई को नहीं किया है, जो संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के पुनः प्रवर्तन को रोकने के लिए आवश्यक है।"

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इसके जवाब में कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को फिर से लागू करना "किसी भी कानूनी या तार्किक औचित्य से रहित" है। उन्होंने उल्लेख किया कि ईरान और IAEA ने पहले मिस्र के मध्यस्थता में एक समझौता किया था, जिसके तहत ईरान को सभी परमाणु स्थलों की जानकारी देने और सभी परमाणु सामग्री की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।

हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान यह रिपोर्ट कब प्रस्तुत करेगा। अराघची ने कोई वैकल्पिक उपाय नहीं दिए और कहा कि "अब यह अन्य पक्षों पर है कि वे कूटनीतिक रास्ते को खुला रखने का अवसर लें और एक अनावश्यक संकट से बचें।"

यदि यूएन सुरक्षा परिषद इसे रोकने का निर्णय नहीं लेती है, तो यह 'स्नैपबैक' सितंबर के अंत में लागू हो जाएगा। इसके तहत ईरानी विदेशी संपत्तियों को फ्रीज किया जाएगा, हथियार सौदों पर रोक लगेगी और देश के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे, जिससे पहले से संघर्षरत ईरानी अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ेगा।

विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम ईरान और पश्चिम के बीच तनाव बढ़ा सकता है, विशेषकर जब इस क्षेत्र में इजरायल-हमास संघर्ष गाजा पट्टी में जारी है।