खान यूनिस
गाज़ा पट्टी में लगातार जारी संघर्ष और इज़रायली हमलों के बीच नेमान अबू जराद और उनका परिवार एक बार फिर विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर है। यह ग्यारहवीं बार है जब उन्हें अपना ठिकाना छोड़ना पड़ा है।
नेमान कहते हैं, "हम बार-बार विस्थापित नहीं हो रहे, हम धीरे-धीरे मर रहे हैं।"पिछले सप्ताह इज़रायल की बढ़ती बमबारी और जमीनी कार्रवाई की आशंका के बीच, नेमान अपने परिवार को लेकर गाज़ा शहर से दक्षिण की ओर खान यूनिस पहुंचे, जहां वे अब एक बंजर ज़मीन पर तंबू में रह रहे हैं।
यह परिवार अक्टूबर 2023 में हमास और इज़रायल के बीच शुरू हुई जंग के बाद से पलायन करता आ रहा है। हर बार जब हालात थोड़े बेहतर दिखते हैं, वे वापस लौटने की कोशिश करते हैं, लेकिन फिर से छिड़ी हिंसा उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर कर देती है।
जनवरी 2025 में जब अस्थायी युद्धविराम हुआ, तब नेमान का परिवार उत्तर गाज़ा में अपने क्षतिग्रस्त लेकिन खड़े घर लौट गया। लेकिन कुछ ही हफ्तों बाद फिर से हमले शुरू हो गए, और उन्हें एक बार फिर से पलायन करना पड़ा।
परिवार में नेमान की पत्नी माजिदा, उनकी छह बेटियां और दो साल की नातिन शामिल हैं। हर बार वे यह उम्मीद लेकर नया ठिकाना ढूंढते हैं कि शायद अब राहत मिलेगी, लेकिन उन्हें केवल हताशा और अनिश्चितता मिलती है।
नेमान कहते हैं, "कोई नहीं जानता कि कब कहां बम गिर जाएगा। मौत हर पल हमारे करीब है। हम बस उसे टालने के लिए भागते फिर रहे हैं।"गाज़ा में लाखों लोग इसी भय, भूख और विस्थापन के साए में जी रहे हैं — जहां हर दिन सिर्फ एक सवाल उठता है: “क्या हम कल तक ज़िंदा रहेंगे?”