रियाद:
दिसंबर 2022 से चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाते हुए Arab News ने इस वर्ष भी अपने ईसाई पाठकों और क्रिसमस मनाने वाले सभी लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। क्रिसमस 2025 के इस विशेष संस्करण में मध्य पूर्व के विभिन्न हिस्सों में क्रिसमस उत्सव को केंद्र में रखा गया है, जिसमें अंतरधार्मिक सौहार्द, सांस्कृतिक एकता, सहनशीलता और उम्मीद की भावना को प्रमुखता दी गई है। इस संस्करण का मूल संदेश है—2026 में पूरे क्षेत्र में शांति का विस्तार हो।
इस विशेष कवरेज की अगुवाई प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा के विशेष लेख ने की है। वे मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव और ऑर्गनाइजेशन ऑफ मुस्लिम स्कॉलर्स के अध्यक्ष हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्लामी शरीअत में गैर-मुसलमानों को उनके धार्मिक त्योहारों, जिनमें क्रिसमस भी शामिल है, की बधाई देने से रोकने वाला कोई निषेध नहीं है। उनके अनुसार, यह उदारता आस्था की कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी नैतिक मजबूती का प्रतीक है।
यह भावना बेथलहम से भी गूंजती है, जहां फलस्तीनी पादरी रेव. डॉ. मुनथिर इसहाक बताते हैं कि फलस्तीनी ईसाई पहचान, राष्ट्रीय संघर्ष से अलग नहीं है। ग़ाज़ा में तबाही के बीच, उनके चर्च ने मलबे से बनी एक क्रिसमस झांकी स्थापित की, जिसमें नन्हे यीशु को कफिया में लिपटा दिखाया गया—यह पीड़ा के साथ एकजुटता का प्रतीक था।
इसी पीड़ा से उम्मीद की कहानियां भी जन्म लेती हैं। दमिश्क में वर्षों बाद फिर से रोशनियां लौटी हैं। लेबनान में राजनीतिक अनिश्चितता के बीच भी उत्सव की झलक दिखी। जॉर्डन में सार्वजनिक स्थलों पर क्रिसमस ट्री और फेयरूज़ के गीत गूंजे, जबकि संयुक्त अरब अमीरात में बहुसांस्कृतिक समाज ने उत्सव को साझा खुशी में बदला।
सऊदी अरब में भी क्रिसमस को रचनात्मक अंदाज़ में स्वीकार किया गया, जहां होटल और शेफ स्थानीय स्वादों के साथ विशेष क्रिसमस मेन्यू पेश कर रहे हैं।
यह विशेष संस्करण सिर्फ मौसमी खुशियों की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसे मध्य पूर्व की तस्वीर पेश करता है, जहां विभिन्न आस्थाएं एक-दूसरे के सम्मान से और मजबूत होती हैं—और जहां क्रिसमस का संदेश, शांति, मानवता और आशा के रूप में पूरे आत्मविश्वास के साथ गूंजता है।






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