कैनसस सिटी (अमेरिका)
अमेरिकी राज्य मिसौरी द्वारा कोविड-19 महामारी से जुड़े लगभग 25 अरब डॉलर के अदालती फैसले की वसूली के प्रयास तेज करने के बाद चीन ने मुकदमा दायर कर दिया है। मिसौरी की शीर्ष अभियोजक ने यह जानकारी दी।
राज्य की अटॉर्नी जनरल कैथरीन हैनावे ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि चीन ने वुहान की इंटरमीडिएट पीपुल्स कोर्ट में शिकायत दाखिल कर मिसौरी से सार्वजनिक माफी की मांग की है। इसके साथ ही चीनी सरकार ने 50.5 अरब डॉलर के बराबर मुआवज़ा, कानूनी खर्च और भविष्य में अतिरिक्त मुआवज़ा मांगने का अधिकार भी मांगा है।
हैनावे ने कहा, “यह मुकदमा सिर्फ समय खींचने की रणनीति है और इससे साफ होता है कि हम शुरू से ही इस मुद्दे पर सही पक्ष में रहे हैं।”
यह विवाद उस मुकदमे से जुड़ा है, जो मिसौरी ने आरोप लगाते हुए दायर किया था कि महामारी के शुरुआती महीनों में चीन ने पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE)—जैसे मास्क, मेडिकल गाउन और दस्ताने—का भंडारण किया, जिससे राज्य और उसके नागरिकों को नुकसान हुआ। चीन ने 2020 में इस मुकदमे को “बेहद बेतुका” बताया था और सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया। इसके बाद एक संघीय न्यायाधीश ने इस साल मिसौरी के पक्ष में फैसला सुनाया।
पिछले महीने मिसौरी ने फैसले की वसूली के प्रयास तेज करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग से अनुरोध किया था कि वह चीन को औपचारिक रूप से सूचित करे कि राज्य चीनी सरकार के पूर्ण या आंशिक स्वामित्व वाली संपत्तियों पर दावा कर सकता है।
वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंगयू ने ईमेल बयान में कहा कि वह नए मुकदमे के विवरण से परिचित नहीं हैं, लेकिन उन्होंने मिसौरी के मूल मुकदमे को “पूरी तरह राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित” करार दिया। उन्होंने कहा, “चीन इसका कड़ा विरोध करता है, इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा और कड़े जवाबी कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।”
चीन के विदेश मंत्रालय ने भी पहले कहा था कि महामारी के दौरान उसके कदम अमेरिकी अदालतों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते और वह इस फैसले को मान्यता नहीं देता।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी देशों को अमेरिकी कानून आमतौर पर मुकदमों से संरक्षण देता है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि मिसौरी वास्तव में इस रकम की वसूली कर पाएगा या नहीं।
यह मामला कई उतार-चढ़ाव से गुजरा है। 2022 में अमेरिकी जिला न्यायाधीश स्टीफन लिम्बॉ ने शुरुआत में मुकदमा खारिज कर दिया था। हालांकि, अपीलीय अदालत ने आरोपों के एक हिस्से—PPE के कथित भंडारण—पर सुनवाई की अनुमति दी। चीन की ओर से जवाब न मिलने पर न्यायाधीश ने मिसौरी के अनुमानित 8 अरब डॉलर से अधिक के नुकसान को स्वीकार किया, संघीय कानून के तहत उसे तीन गुना किया और वसूली तक 3.91 प्रतिशत ब्याज जोड़ दिया।
यह मुकदमा मूल रूप से तत्कालीन अटॉर्नी जनरल एरिक श्मिट ने दायर किया था, जो बाद में अमेरिकी सीनेट के लिए चुने गए। इसके बाद इसे एंड्रयू बेली ने आगे बढ़ाया, जिन्होंने सितंबर में एफबीआई के सह-उप निदेशक बनने के लिए पद छोड़ा। मौजूदा अटॉर्नी जनरल कैथरीन हैनावे ने पदभार संभालने के बाद यह मामला विरासत में पाया।
एपी को चीनी अदालत में दाखिल शिकायत की स्वतंत्र प्रति तुरंत नहीं मिल सकी, हालांकि हैनावे के बयान में उसका लिंक दिया गया था। शिकायत में मिसौरी के साथ-साथ श्मिट और बेली पर भी “भ्रामक सूचनाएं गढ़ने और चीन की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले आरोप फैलाने” का आरोप लगाया गया है।
श्मिट ने कहा कि वह इस मुकदमे को “सम्मान के बैज की तरह” पहनेंगे और चीनी अधिकारियों पर महामारी के शुरुआती दिनों में अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करने का आरोप लगाया।






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