अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्तकी दिल्ली पहुंचे

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 09-10-2025
Afghanistan Foreign Minister Muttaqi arrives in Delhi
Afghanistan Foreign Minister Muttaqi arrives in Delhi

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के सत्ता से हटने और तालिबान के सत्ता अपने हाथ में लेने के चार साल बाद तालिबान सरकार के किसी नेता की काबुल से भारत की यह पहली उच्च-स्तरीय यात्रा है।

मामले से परिचित लोगों ने बताया कि मुत्तकी अपनी छह दिवसीय भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ व्यापक बातचीत करेंगे।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘‘अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी का नयी दिल्ली आगमन पर हार्दिक स्वागत है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके साथ द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं।’’
 
मामले से परिचित लोगों ने बताया कि मुत्तकी के कार्यक्रमों में दारुल उलूम देवबंद मदरसा का दौरा और ताजमहल की यात्रा शामिल है।
 
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री का पिछले महीने नयी दिल्ली का दौरा निर्धारित था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रतिबंधों के तहत उन पर लगे यात्रा प्रतिबंध के कारण इसे रद्द कर दिया गया था।
 
संयुक्त राष्ट्र के एक बयान के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समिति ने 30 सितंबर को मुत्तकी को नौ से 16 अक्टूबर तक नयी दिल्ली की यात्रा की अनुमति देते हुए यात्रा प्रतिबंध में अस्थायी छूट को मंजूरी दे दी है।
 
इस छूट ने अफगान विदेश मंत्री के भारत दौरे का रास्ता साफ कर दिया।
 
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सभी प्रमुख तालिबान नेताओं पर प्रतिबंध लगाए थे और उन्हें विदेश यात्राओं के लिए यात्रा मंजूरी हासिल करना जरूरी होता है।
 
मुत्तकी की भारत यात्रा से काबुल में तालिबान के साथ भारत के संबंधों में एक नया आयाम जुड़ने की उम्मीद है।
 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 15 मई को मुत्तकी से फोन पर बातचीत की थी।
 
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से यह भारत और अफगानिस्तान के बीच शीर्ष स्तर का संपर्क था।
 
भारत ने अब तक तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी है और वह काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन की वकालत करता रहा है।
 
भारत इस बात पर भी जोर देता रहा है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।