मंदिर में हुई कुश्ती प्रतियोगिता, मदरसे के छात्र शैफत अली ने गाड़े झंडे

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 06-02-2023
मंदिर में हुई कुश्ती प्रतियोगिता, मदरसे के छात्र शैफत अली ने गाड़े झंडे
मंदिर में हुई कुश्ती प्रतियोगिता, मदरसे के छात्र शैफत अली ने गाड़े झंडे

 

मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली

मदरसा और मदरसा शिक्षा इन दिनों सुर्खियों में है. मदरसों के बारे में नकारात्मक प्रचार भी चल रहा है. ऐसे में एक अच्छी खबर आई है जिसने सभी का अध्यान अपनी ओर खींचा है. राजधानी दिल्ली के जाफराबाद के मदरसा बाब उलूम के एक छात्र ने ऐसा कारनामा कर दिखाया कि हर कोई दंग है.

मदरसा बाब उलूम के छात्र शैफत अली ने सफलता का परचम लहराकर अपने मकतब का नाम रौशन किया है. बॉडी बिल्डिंग स्पर्धा में दिल्ली के सैकड़ों बॉडी बिल्डरों के बीच मदरसा बाब उलूम के इस छात्र ने सफलता के झंडे गाड़ दिए और दो स्वर्ण पदक और 21हजार नकद जीते.

अभी तक ऐसी खबरें आती रहीं हैं कि मदरसा स्नातक नेट और अन्य सिविल सेवा परीक्षाओं में शामिल होते रहे हैं.अब इस खबर से संकेत मिला है कि मदरसा के बच्चों को उचित अवसर और प्रशिक्षण मिले तो वे खेल के क्षेत्र में भी सफलता हासिल कर सकते है.

आवाज द वॉयस ने जब शैफत अली से बात की तो उन्होंने कहा कि नैचुरल कैटेगरी में यह सफलता मिली है. उन्होंने 65से 70किग्रा प्रतियोगिता में भाग लिया. उनके अनुसार, वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का जलवा दिखा सकते हैं. बेशक, मेहनत तो बहुत करनी पड़ती है, लेकिन पर्याप्त सुविधाएं होनी जरूरी है.

बिहार के दरभंगा जिला निवासी अली का कहना है कि वह अपने बड़े भाई के साथ दिल्ली के शास्त्री पार्क में रहते हैं. भाई की वजह से उन्हें बॉडी बिल्डिंग में दिलचस्पी हुई. जब भी उन्हें फुरसत मिलती , वह जिम चले जाते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि यह बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता फिटनेस बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन द्वारा आजादपुर के प्राचीन शिव मंदिर हॉल में आयोजित की गई थी, जो मंदिर परिसर में ही है.मदरसा बाब उलूम के छात्र की सफलता से मोहतमिम मौलाना मुहम्मद दाऊद अमिनी बेहद खुश हैं.

प्रतियोगिता जीतकर मदरसा पहुंचे शैफत अली का उन्हांेने भरपूर स्वागत किया. उन्होंने उनकी मेहनत की सराहना करते हुए कहा कि मदरसे के छात्र किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. स्कूली छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं. कई बार तो उनसे दो कदम आगे भी निकल जाते हैं.

उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा है जो यह कहते हैं कि मदरसों के छात्र हर क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं और दुनिया से अंजान और अपरिचित हैं.मौलाना अमिनी ने आगे कहा कि हम सभी छात्रों के लिए निरंतर प्रयासरत हैं ताकि सभी छात्र हर क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहराएं .

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मौलाना अमिनी ने आवाज द वॉयस से बात करते हुए कहा कि इस मदरसे में बच्चे न केवल हिब्ज करते हैं, उन्हें अरबी-फारसी के साथ अंग्रेजी और हिंदी भी पढ़ाई जाती है.खास बात यह है कि मदरसा छात्रावास में रहने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ असर की नमाज के बाद यानी शाम चार बजे के बाद स्थानीय पार्क में खेलने के लिए भेजा जाता. मदरसे का अपना मैदान नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि मदरसों में बच्चों को खेल खेलने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया जाता है. इस वजह से अली ने बॉडीबिल्डिंग में सफलता हासिल कर सुर्खियां बटोरीं हैं.मौलाना अमिनी ने कहा कि मदरसे के छात्रावास में रहने वाले बच्चों की संख्या करीब एक 160 है. लॉकडाउन से पहले यह संख्या 260थी.

उन्होंने कहा कि मदरसा बाब उलूम के साथ यहां पांचवीं तक का अंग्रेजी माध्यम का स्कूल भी है, जिसमें 255बच्चे पढ़ते है. दसवीं की परीक्षा ओपन स्कूल से देते हैं. जमीयत उलेमा हिंद ओपन स्कूल से परीक्षा दिलाने में मदद करता है.

मौलाना अमिनी ने कहा कि हमने सिलाई, कढ़ाई और मेहंदी प्रशिक्षण केंद्रों के साथ कंप्यूटर केंद्र भी खोल रखा है. कंप्यूटर केंद्र में वर्तमान में 130लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सिलाई केंद्र में भी 80लड़कियां हैं.

मौलाना अमिनी ने कहा कि अब हम बाब उलूम के बैनर तले एक कोचिंग सेंटर स्थापित करने की तैयारी में हैं, जो पुलिस भर्ती से लेकर सिविल सेवाओं तक की परीक्षाओं की तैयारी कराएगा.स्कूल भवन की दूसरी मंजिल है. यहां महिलाओं के लिए अस्पताल खोलने की भी योजना है, ताकि उन्हें चिकित्सा सहायता के लिए दूर के अस्पतालों में न जाना पड़े.

 मौलाना गयूर अहमद कासमी ने कहा कि जब मदरसे के छात्र किसी क्षेत्र में सफलता का परचम लहराते हैं तो वही लोग अपनी नापाक हरकतों में मशगूल रहते हैं, खामोश हो जाते हैं और कहीं नजर नहीं आते.उल्लेखनीय है कि कामयाबी हासिल करने वाले मदरसा बाब उलूम शैफत अली पुत्र मोहम्मद बारिक ने महज एक साल की मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है.

मदरसा बाब उलूम में छात्रों के पंख फैलाने और उड़ने के लिए खुला आसमान है. मौलाना अमिनी का कहना है कि हम चाहते हैं कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमता दिखाएं, इसीलिए मदरसा में व्यायाम के लिए जिमखाना, अंग्रेजी माध्यम स्कूल, जमीयत ओपन स्कूल में कक्षा 10वीं पास करने की सुविधा है और 12वीं के छात्रों के लिए पढ़ाई-कढ़ाई और सिलाई सीखाई जाती है.