सेराज अनवर/पटना
बिहार के गया जिले के एक छोटे से कस्बा शेरघाटी इन दिनों तीन सगी बहने बुशरा,सादिया और अनम की वजह से सुर्ख़ियों में है.फनकार इमरान अली का घर वाक़ई रहमतों से रौशन है. जिले का यह पहला मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार है,जिनकी तीन बेटियां डॉक्टर बनने वाली हैं.बड़ी बहने सादिया और अनम से प्रेरणा लेकर छोटी बहन बुशरा भी डॉक्टरी में बाज़ी मार गयीं हैं.बुशरा कौसर नीट परीक्षा में कामयाबी हासिल कर अब डॉक्टर बनेगी.
अनम इमरान देश के टॉप मेडिकल कॉलेज संस्थानों में से एक (एनआईएच) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ होम्योपैथी कोलकाता से डॉक्टरी कर रही हैं, वहीं दूसरी बहन सादिया एमाला कोलकाता के महेश भट्टाचार्य होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में फाइनल ईयर में पढ़ाई कर रही हैं.
सबसे छोटी बहन बुशरा कौसर को भी नीट काउंसलिंग के बाद ऑल इंडिया कोटा गवर्नमेंट के तहत जनरल कैटेगरी से गवर्नमेंट होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में दाख़िला मिला है.दिलचस्प बात यह है कि तीनों बहनों ने देशी इलाज के बतौर होम्योपैथ को ही चुना है.
इमरान अली की बेटियां कड़ी मेहनत के बल पर न सिर्फ़ अपने परिवार बल्कि क्षेत्र का नाम भी रौशन कर रही हैं.आज गया सहित बिहार में इन बेटियों की कामयाबी का ज़िक्र हर ज़ुबान पर है .

कौन हैं इमरान अली ?
शेरघाटी एक अनुमंडल है.कभी यह नक्सल प्रभावित रहा है.इमरान अली यहीं के एक मुहल्ला उर्दू बाज़ार में रहते हैं.इस साल 21मई को नई दिल्ली में राजीव गांधी ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड 2023से नवाजे गए हैं.
इनकी रोजी-रोटी का ज़रिया एडवरटाइजिंग एजेंसी है.पब्लिसिटी पेंटिंग और एडवर्टाइजिंग फ्लैक्स फिटिंग का काम इनका मूल बिजनेस है.साथ में एक फ़नकार भी हैं.कई भोजपुरी फ़िल्मों में काम कर चुके है.स्थानीय प्रशासन द्वारा आयोजित किए जाने वाले गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह का दो दशक से भी
अधिक समय से सफलतापूर्वक मंच संचालन इमरान ही करते आ रहे हैं. सबसे बड़ी बात है तीन बेटियों के बाप हैं.मध्यम वर्गीय और ग्रामीण क्षेत्र से आने के बावजूद बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने में पीछे नहीं रहे.इमरान अली का इस इलाक़ा में और सम्भवतः गया ज़िले में पहला घराना है जिनकी तीन बेटियां डॉक्टर बनेगीं.
बाप के हौसलों को उड़ान देते हुए इनकी तीनों बेटियां बचपन के सपने को पूरा करते हुए डॉक्टर बनने की राह पर चल पड़ी हैं.अनम ,सादिया, बुशरा यह तीनों बहनों ने मध्यवर्गीय परिवार में पल बढ़कर कड़ी मेहनत की बदौलत अपनी मेरिट से सरकारी कॉलेज तक पहुंचने का जो सफर तय किया है वह क्षेत्र के लिए प्रेरणा स्वरूप है, इन बहनों का सपना यहीं समाप्त नहीं होता है बल्कि उनके परिवार के लोग बताते हैं कि डॉक्टर बनने के साथ-साथ सिविल सर्विसेज पर भी इन बच्चियों की निगाहें हैं .

शुरू से ज़हीन रही हैं बुशरा कौसर
बुशरा कौसर डॉक्टर जहिर तिशना मेमोरियल स्कूल शेरघाटी के स्थापना काल की प्रथम छात्रा रही है.तीसरी क्लास से दसवीं तक डीएवी पब्लिक स्कूल शेरघाटी में शिक्षा ग्रहण करते हुए सीबीएसई बोर्ड में 90.4%अंक लाकर सफल हुई थी.
डीएवी में पढ़ाई के दौरान अंतर विद्यालय स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में बुशरा स्टेट टॉपर हुई और पटना में साइंस भवन में आयोजित कार्यक्रम में तत्कालीन बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने ₹10000का चेक और सर्टिफिकेट प्रदान किया था.
इसके बाद गया के परम ज्ञान निकेतन स्कूल से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की और 12वीं बोर्ड में 74.3परसेंट अंक हासिल किया.फिर नीट की तैयारी करते हुए अपने दूसरे प्रयास में एमबीबीएस गवर्नमेंट कॉलेज ना मिलने के कारण होम्योपैथिक गवर्नमेंट कॉलेज में दाखिला लिया है .बुशरा बताती है कि वह मेडिकल की पढ़ाई जारी रखते हुए एमबीबीएस गवर्नमेंट कॉलेज के लिए एक और अटेम्प्ट नीट के लिए बैठेगी.

क्या कहती हैं ज़रीन कौसर ?
अपनी बेटियों की सफलता से प्रसन्न पिता इमरान अली और माता ज़रीन कौसर का मानना है कि बेटे भाग्य से होते हैं लेकिन बेटियां सौभाग्य वालों की होती हैं.ऐसी बेटियों पर हर माता-पिता गौरवान्वित महसूस करते हैं.इन तीनों बहनों ने मध्यवर्गीय परिवार में पल बढ़कर कड़ी मेहनत की बदौलत अपनी मेरिट से सरकारी कॉलेज तक पहुंचने का जो सफर तय किया है वह बेमिसाल और दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है.
माता जरीन कौसर ने बताया कि डॉक्टर बनने के साथ-साथ सिविल सर्विसेज पर भी इन बच्चों की निगाहें हैं. उन्होंने कहा कि अपने घर आंगन परिवार और समाज में बेटियों की उपेक्षा न करें बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त अवसर दें.
इतना तो कहा ही जा सकता है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारों को इमरान अली और ज़रीन कौसर ने चरितार्थ कर दिखाया है. लड़कियों में जागरूकता पैदा करने और बेटियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनम, सादिया और बुशरा एक मिसाल बनी हैं. भविष्य में ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्र की लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए इन तीनों सगी बहनों की मिसाल दी जाएगी जो डॉक्टर बनने के सफर पर निकल चुकी हैं.
जो आसमां को छू कर आयी है उस औरत को आवाज़ द वायस का सलाम