ओनिका माहेश्वरी / नई दिल्ली
दुनिया के सबसे बड़े मदरसे कौन से हैं, जहां हर साल हजारों लाखों की संख्या में छात्र शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं. कुरान और हदीस के साथ-साथ मॉडर्न एजुकेशन के बारे में भी इन मदरसों में पढ़ाया जा रहा है. हर साल कई स्टूडेंट्स इन मदरसों में पड़कर डॉक्टर, साइंटिस्ट और इंजीनियर बन रहे हैं. इन मदरसों को शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है.
बड़े-बड़े स्कूल कॉलेज और यूनिवर्सिटी से भी अच्छी पढ़ाई मुसलमानों के द्वारा चलाए जा रहे,इन मदरसों में होती है. आज के इस लेख में हम विश्व के पाँच सबसे बड़े मदरसों के बारे में आपको बताएंगे जिनके बारे में जानकर यकीनन आप हैरान हो जाएंगे.
Al-Azhar University (Egypt)
जामिया अल अजहर
ये दुनिया का सबसे बड़ा मदरसा है जो मिस्र की राजधानी काहिरा में स्थित है. इस मदरसे में हर साल 20 लाख से अधिक स्टूडेंट्स शिक्षा प्राप्त करते हैं. पूरे मिस्र में करीबन 4 से 5000 शिक्षा संस्थान ऐसे हैं जो जामिया अल अजहर से एफिलिएटेड हैं.
ये दुनिया का पहला ऐसा मदरसा है जहां कुरान और हदीस के साथ साथ फिजिक्स, कैमेस्ट्री, मैथ्स, बायोलॉजी जैसे सभी विषयों के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाता है. इस मदरसे में हर साल 50,000 विदेशी छात्र भी पढ़ने के लिए आते हैं.
हर साल जामिया अल अजहर से कई डॉक्टर्स इंजीनियर और प्रोफेशनल्स बाहर निकलते हैं, जो दुनिया भर में जाकर न सिर्फ इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं, बल्कि आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में भी अपना योगदान दे रहे हैं.
इस मदरसे के संचालन में हर साल 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्चा आता है. इस मदरसे की शुरुआत सन् 970 इस्वी में एक मस्जिद से हुई थी और देखते ही देखते आज यह दुनिया का सबसे बड़ा मदरसा बन गया है.
इस मदरसे की लाइब्रेरी दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरीज में से एक मानी जाती है. पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी यह समान अधिकार के साथ शिक्षा दी जाती है. इतिहासकारों की मानें तो सन् 1798 में जब नेपोलियन बोनापार्ट नंबर पर कब्जा किया था तो उन्होंने इस मदरसे की खूब तारीफ की थी.
नेपोलियन ने मिस्र में एक कंसल्टेशन काउंसिल का गठन किया था.जिसके सभी नौ सदस्य मुसलमान थे और वो सभी लोग जामिया अल अजहर से ही पढ़े हुए थे.
Darul Uloom, Deoband
दारूल उलूम , देवबंद
यह मदरसा भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित है और न सिर्फ भारत का बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा मदरसा माना जाता है. देश भर के करीब 4500 मदरसे दारूल उलूम देवबंद से संबंध रखते हैं. इस मदरसे की स्थापना 30 मई सन् 1866 के दिन मौलाना कासे मन्नान और तनवीर हाजी आबिद हुसैन, फजलुर रहमान, उस्मान मैटाबॉलिक, नेहाल अहमद और जुल्फिकार अली आदि ने मिलकर की थी.
आज तक कई महान वैज्ञानिक और राजनेता इस मदरसे ने देश को दिए हैं. आजादी के आन्दोलन में भी दारुल उलूम देवबंद का योगदान काफी अहम रहा था. ये मदरसा कुल 70 एकड़ एरिया में फैला हुआ था, लेकिन एक समय पर केवल एक छोटी सी मस्जिद में ही इसका संचालन किया जाता था. ये एक ऐसा मदरसा है जो सरकार से किसी भी प्रकार की सहायता या अनुदान नहीं लेता है.
जकात और चंदे के पैसों से ही यह मदरसा पिछले 156सालों से संचालित किया जा रहा है. इसकी देखरेख में हर साल करोड़ों रुपये का खर्च आता है जो मुसलमान ख़ुद उठाते हैं. भारत सरकार द्वारा इस मदरसे को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है. भारत के सबसे ताकतवर इस्लामिक संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद की स्थापना में दारुल उलूम देवबंद का सहयोग रहा था.
ये देश का इकलौता ऐसा मदरसा है जहां हैलिपैड की व्यवस्था मौजूद है. सन् 1875 में इस मदरसे में भारत में पहली बार डिग्री देनी शुरू की गयी थी. अंग्रेजों ने इस मदरसे का काफी विरोध किया क्योंकि उनका मानना था कि इस मदरसे से निकलने वाले क्रान्तिकारी उनके लिए खतरा साबित हो सकते हैं. रोलेट ऐक्ट में भी इस मदरसे को बैन करने के बारे में लिखा गया था. दारुल उलूम देवबंद के द्वारा हर साल हजारों की संख्या में फतवे भी जारी किए जाते हैं.
Islamic University of Madinah
इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ मदीना
ये मदरसा असल में एक यूनिवर्सिटी के तौर पर संचालित किया जा रहा है और सऊदी अरब का सबसे बड़ा मदरसा भी इसे कहा जाता है. इसकी स्थापना सन् 1961 में सौदागर राजा 100 बिन अब्दुलअजीज अल साउद द्वारा की गई थी.
इस यूनिवर्सिटी के तहत मदीना में कॉलेज का संचालन किया जाता है, जहां पर मेडिकल इंजीनियरिंग और अन्य कई विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है. साथ ही कुरान और हदीस बारे में भी छात्रों को शिक्षा दी जाती है. 22,000 से अधिक छात्र इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ मदीना में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. साथ ही 1500 से अधिक शिक्षक इस संस्थान में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.
यह दुनिया का एक मात्र ऐसा मदरसा है जहां पर शॉपिंग मॉल भी मौजूद है. इस यूनिवर्सिटी में केवल मेल स्टूडेंट्स को ही एडमिशन दिया जाता है. बाहर से आने वाले छात्रों को भी यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप दी जाती है, जिसमें पढ़ाई के साथ साथ रहने और खाने का खर्च भी यूनिवर्सिटी के द्वारा ही किया जाता है.
इस यूनिवर्सिटी में मदीना की सबसे बड़ी लाइब्रेरी जामिया इस्लामिक लाइब्रेरी मौजूद है, जहां पर डेढ़ लाख से अधिक किताबें रखी हुई हैं. एक समय पर यह शेख अल्बानी की पर्सनल लाइब्रेरी हुआ करती थी. बाद में इसे यूनिवर्सिटी का हिस्सा बना दिया गया.
Darul Uloom, Karachi
दारूल उलूम, कराची
यह मदरसा पाकिस्तान के कराची शहर में स्थित है और पाकिस्तान का सबसे बड़ा मदरसा माना जाता है, जहां 20,000 से अधिक स्टूडेंट्स शिक्षा प्राप्त करते हैं.यह मदरसा कुल 56 एकड़ एरिया में फैला हुआ है. लड़के और लड़कियां दोनों ही यहां पर साथ में पढ़ाई करते हैं. इस मदरसे की स्थापना भारत पाकिस्तान के बटवारे के बाद सन् 1951 में की गई थी. मुफ्ती मोहम्मद शफी और मौलाना नूर अहमद ने मिलकर ये मदरसा शुरू किया था जो पहले दारूल उलूम देवबंद के साथ जुड़े हुए थे.
इस मदरसे में कुरान के आधार पर बच्चों को पढ़ाया जाता है और साथ ही नैतिकता के बारे में भी बच्चों को बताया जाता है. कुल मिलाकर 27स्कूल इस मदरसे से संबंध रखते हैं. ये मदरसा सोलर पावर एनर्जी से संचालित होता है. 80,000,000 की लागत से यहां सोलर पावर प्लांट लगाया गया है. इस मदरसे की लाइब्रेरी में 1 लाख से अधिक किताबें मौजूद हैं.
दारूल उलूम देवबंद के द्वारा ही सन् 1992 में इस्लामिक इकोनॉमिक्स सेंटर की शुरुआत की गई थी. साथ ही इस्लामिक बैंकिंग सिस्टम भी इस मदरसे के छात्रों ने शुरू किया था, जिसे आज यूएई और सऊदी जैसे देशों में अपना रहे हैं.
Al-Qarawiyyin University
अल-क़रावियिन विश्वविद्यालय
अल-क़रावियिन विश्वविद्यालय दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी मानी जाती है जो आज भी संचालित की जा रही है.हजारों की संख्या में हर साल स्टूडेंट्स इस यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं. यह यूनिवर्सिटी असल में मोरक्को में स्थित है. 859 एडी में मोरक्को की राजकुमारी फातिमा हालेप पेरी ने इसकी स्थापना की थी. पहले एक मस्जिद में मदरसे के तौर पर इनकी शुरूआत की गई थी, लेकिन धीरे धीरे यहां आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती गई और एक विशाल यूनिवर्सिटी बन गई.
उस दौर को इस्लाम धर्म का गोल्डन पीरियड भी कहा जाता है. ये दुनिया की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है जहां पर डिग्री देने की परंपरा की शुरुआत की गई थी. इस यूनिवर्सिटी का नाम दुनिया की पोल स्टर्लिंग यूनिवर्सिटी के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी आ चुका है. पिछले करीब 1163 सालों से यहां पर स्टूडेंट्स शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.साथ ही यहां पर दुनिया की सबसे पुरानी लाइब्रेरीज में से एक लाइब्रेरी भी मौजूद है.
इसके अलावा भी दुनिया में अनेकों ऐसे मदरसे स्कूल कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैं, जहां हजारों लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और मुसलमानों के द्वारा बनाए गए इन मदरसों में मुसलमानों के अलावा अन्य धर्मों के बच्चे भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, महान समाज सुधारक, राजा राममोहन राय और कथा सम्राट व साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने भी मदरसों से ही अपनी शुरुआती तालीम हासिल की थी. मेडिकल साइंस से लेकर मॉडर्न टेक्नोलॉजी तक हर फील्ड में इस्लामिक शिक्षा संस्थानों के स्टूडेंट्स अपना नाम रोशन कर रहे हैं.