जेवर एयरपोर्ट बनेगा भारत का सबसे बड़ा विमानन हब,30 अक्टूबर को उद्घाटित

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 22-09-2025
Jevra Airport will become India's largest aviation hub; to be inaugurated on October 30.
Jevra Airport will become India's largest aviation hub; to be inaugurated on October 30.

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

गौतम बुद्ध नगर के जेवर में बन रहा नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (एनआईए) अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. इसका भव्य उद्घाटन 30 अक्टूबर 2025 को होने जा रहा है. लंबे इंतज़ार के बाद यह परियोजना न सिर्फ़ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत की कनेक्टिविटी का चेहरा बदलने के लिए तैयार है. अनुमान है कि दिवाली के बाद यहाँ से वाणिज्यिक उड़ानें शुरू हो जाएँगी, जिससे त्योहारों के मौसम में यात्रियों को एक बड़ी सौगात मिलेगी.

उद्घाटन और परिचालन की तैयारी

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने उद्घाटन की पुष्टि करते हुए बताया कि समारोह के 45 दिनों के भीतर उड़ान संचालन शुरू कर दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भरोसा दिलाया कि 2025 के अंत से पहले यह हवाई अड्डा पूरी तरह परिचालन में आ जाएगा.

एनआईए का निर्माण वर्ष 2019 में शुरू हुआ था. कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद काम बिना रुके जारी रहा. हालांकि मूल योजना के अनुसार यह परियोजना सितंबर 2024 तक चालू हो जानी चाहिए थी, लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से इसमें देरी हुई. अब यह परियोजना समय पर पूरी होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है.
Jewar airport
विशाल क्षमता और भविष्य की रूपरेखा

नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा आकार और क्षमता दोनों ही लिहाज से भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनने जा रहा है. पहले चरण में इसमें एक रनवे और एक यात्री टर्मिनल तैयार है, जिसकी क्षमता प्रतिवर्ष 1.2 करोड़ यात्रियों को संभालने की है.

लेकिन यह तो बस शुरुआत है. 2050 तक इस हवाई अड्डे का विस्तार छह रनवे तक किया जाएगा. तब यह हर साल 7 करोड़ यात्रियों को सेवा देने में सक्षम होगा. यह आंकड़ा न सिर्फ़ भारत बल्कि पूरी दुनिया के प्रमुख एयर हब्स में इसे विशेष स्थान दिलाएगा.

तकनीकी मानक और सुरक्षा

हवाई अड्डे की विशेषता यह है कि इसका रनवे CAT-III मानकों पर आधारित है. इसका मतलब है कि यहाँ से विमान अत्यधिक कम दृश्यता की स्थिति में भी उड़ान भर और उतर सकेंगे. यह विशेष रूप से उत्तर भारत के घने कोहरे वाले मौसम के लिए वरदान साबित होगा, जब अक्सर उड़ानें रद्द या विलंबित करनी पड़ती हैं.

इसके अलावा, दिसंबर 2024 में सफलतापूर्वक पूरी हुई सत्यापन उड़ान ने यह साबित कर दिया है कि हवाई अड्डे के नौवहन उपकरण, एटीसी प्रणालियाँ और पहुँच प्रक्रियाएँ अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं.

एयरलाइंस और कार्गो सेवाएँ

प्रारंभिक चरण में यहां से इंडिगो और अकासा एयर संचालन शुरू करेंगी. इंडिगो घरेलू रूट्स पर उड़ानें चलाएगी, जबकि अकासा एयर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों सेवाएँ देने की योजना बना रही है. इसके अलावा, कई मध्य पूर्वी और दक्षिण-पूर्व एशियाई एयरलाइनों के साथ बातचीत चल रही है, जिससे भविष्य में जेवर से वैश्विक कनेक्टिविटी को और मजबूती मिलेगी.

यात्रियों के साथ-साथ यह हवाई अड्डा कार्गो और एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल) सेवाओं के लिए भी डिज़ाइन किया गया है. एयर इंडिया एसएटीएस के सहयोग से विकसित हो रहा मल्टी-मॉडल कार्गो टर्मिनल लगभग तैयार है. इसके चालू होने से यह एयरपोर्ट सिर्फ़ यात्रियों के लिए नहीं बल्कि लॉजिस्टिक्स और माल ढुलाई के लिए भी एक बड़ा केंद्र बन जाएगा.

रोजगार और क्षेत्रीय विकास

वर्तमान में करीब 9,000 कर्मचारी इस परियोजना पर काम कर रहे हैं. जैसे-जैसे हवाई अड्डा विस्तार के नए चरणों में प्रवेश करेगा, हजारों नई नौकरियों का सृजन होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इस एयरपोर्ट के शुरू होने से व्यापार, पर्यटन और निवेश को नई गति मिलेगी.

उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में इस परियोजना के शुरू होने से हवाई संपर्क व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा. हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के यात्रियों को दिल्ली हवाई अड्डे पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
Noida Airport
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निवेश

यह हवाई अड्डा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत बनाया जा रहा है. इसके विकास की ज़िम्मेदारी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) पर है, जो स्विट्जरलैंड की ज़्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल की सहायक कंपनी है. इससे यह भी साफ़ होता है कि इस परियोजना में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों का गहरा भरोसा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा न सिर्फ़ यात्रियों और एयरलाइंस के लिए, बल्कि पूरे विमानन उद्योग के लिए गेमचेंजर साबित होगा. उत्तर भारत की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यह एयरपोर्ट मध्य पूर्व, यूरोप और एशिया के लिए सीधी कनेक्टिविटी का हब बन सकता है.

इससे न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत की अर्थव्यवस्था को ग्लोबल लेवल पर नई पहचान मिलेगी. आईएएनएस की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि इस हवाई अड्डे का परिचालन प्रदेश की अर्थव्यवस्था में क्रांति लाएगा और निवेशकों के लिए यह जगह आकर्षण का केंद्र बनेगी.