जामिया के प्रो. अहमद महफूज की किताब 'गुबार-ए-हैरानी' का विमोचन, जीना बोले- शायरी में मीर और गालिब मौजूद

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 05-02-2023
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रो. अहमद महफूज की किताब 'गुबार-ए-हैरानी'  का विमोचन, जीना बोले- शायरी में मीर और गालिब मौजूद
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रो. अहमद महफूज की किताब 'गुबार-ए-हैरानी' का विमोचन, जीना बोले- शायरी में मीर और गालिब मौजूद

 

मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली

प्रो. अहमद महफूज की कविताओं में मीर और गालिब के आईने देखे जा सकते हैं. यह न केवल अपनी बात को काव्यात्मक शैली में प्रस्तुत करने में सफल हंै, एक उच्च कवि का दर्जा भी रखते हैं. उक्त बातें प्रो. मोइनुद्दीन जीना बड़े ने जमात-ए-इस्लामी हिंद के परिसर में प्रो. अहमद महफूज के काव्य संग्रह ’गुबार-ए-हैरानी’ के विमोचन के अवसर पर कही.

उन्होंने कहा कि जब तक किसी व्यक्ति के खून में शास्त्रीय कविता का उदय नहीं होता, तब तक अच्छी कविताओं की कमी है, लेकिन अहमद महफूज की कविता में ये बातें मौजूद हैं.
 
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नई नस्लों को पढ़नी चाहिए

उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. अहमद महफूज की किताब का जिक्र करते हुए कहा कि यह किताब अपने आप में एक अद्भुत रचना, नवीनता और नई नस्लों के बच्चों को पढ़ने वाली  किताब है.
 
प्रो. वहाजुद्दीन अल्वी ने कहा कि अहमद महफूज की रचना में आधुनिकता और पुरातन का संगम है. जब वह कोई कविता सुनाते हैं तो ऐसा लगता है जैसे बैकग्राउंड से कोई आवाज आ रही हो. उन्होंने मिर्जा असदुल्लाह खां गालिब के हवाले से कहा कि गालिब की कोई भी शायरी बगैर सनद (प्रमाणपत्र) के नहीं है.
 
किताब का नाम ’गुबार-ए-हैरानी’ ?

किताब के लेखक प्रो. अहमद महफूज ने आवाज द वायस से बात करते हुए किताब के नाम रखे जाने के बारे में बताया. कहा कि काव्य संग्रह का नाम ही उनका नाम है. यह नाम मैंने अपनी एक गजल से निकाला है और वह है.
 
हुसूल कुछ नहीं हुआ जो गुबार-ए-हैरानी
कहां कहां तेरी आवाज पर नहीं गए हम

हमने अपनी किताब का नाम इस कविता के नाम पर रखा है. मैं भी चाहता था कि किताब का नाम छोटा हो, दो शब्दों का मेल अच्छा है. इसपर बहुत सोचा. फिर अचानक अपनी ही गजल के एक शेर के नाम पर रख लिया.वह आगे कहते हैं कि मुझे खुशी है कि बहुत से लोग इस नाम के अर्थ को समझ रहे हैं और इसकी सराहना कर रहे हैं.
 
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कौन हैं प्रो. अहमद महफूज

प्रो. अहमद महफूज का असल नाम मोहम्मद महफूज खान हैं. उनका जन्म झोंसी, जिला इलाहाबाद में 1966 में हुआ. इलाहाबाद से उर्दू भाषा में एम ए करने के बाद दिल्ली आ गए. जेएनयू में एमफिल और पीएचडी की. उनकी कई किताबें पहले प्रकाशित हुई हैं, जिसमें शमसुर रहमान फारुकी, शख्सियत और अदबी खिदमात, कुल्लियात ए मीर, बयान ए मीर, कुलियात ए अकबर इलाहाबादी सहित कई पुस्तकें शामिल हैं.
इस समय प्रो. अहमद महफूज जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के अध्यक्ष हैं.
 
मौके पर शहपर रसूल, प्रो. मजहर अहमद, प्रो. सैयद सिराज अजमली समेत कई साहित्य लोग मौजूद थे. किताब विमोचन का प्रोग्राम इस्लाही हेल्थ करियर फाउंडेशन द्वारा किया गया. कार्यक्रम का संचालन डा उमैर मंजर ने किया. 
 
इससे पहले प्रोग्राम की शुरुआत जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के छात्र अब्दुर रहमान ने कुरान ए पाक और तजम्मुल हुसैन ने हम्द (ईश्वर की प्रशंसा) से किया.इस मौके पर जामिया के छात्र बड़ी संख्या में मौजूद थे.