गौस सिवानी/ नई दिल्ली
भारत के एनएसए अजीत डोभाल और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुलाकात हुई है. इस बैठक में जहां इजरायली प्रधानमंत्री ने गाजा में युद्ध की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी, वहीं एनएसए अजीत डोभाल ने गाजा में शांति स्थापित करने और युद्ध का ईंधन बने नागरिकों को सहायता प्रदान करने के प्रयासों पर भी चर्चा की. इस बैठक का विभिन्न हलकों में स्वागत किया जा रहा है. अजमेर शरीफ दरगाह के नायब दीवान सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती और धार्मिक विद्वान मुफ्ती मंजूर अहमद ज़ई ने इस बैठक को युद्धविराम की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है और इसका स्वागत किया है.
मुफ़्ती मंज़ूर अहमद ज़ियाई ने आवाज द वॉयस से खास बातचीत के दौरान एनएसए अजीत डोभाल और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हुई मुलाकात को अहम बताया और कहा कि भारत की विदेश नीति करुणा पर आधारित है. हमारा देश दुनिया के संकटग्रस्त और वंचित लोगों की मदद के लिए आगे आता रहा है. ऐसे में एनएसए अजीत डोभाल और इजरायली प्रधानमंत्री की आपसी मुलाकात को इसी पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है. ग़ाज़ा में युद्धविराम की ज़रूरत है और रमज़ान के दौरान तो और भी ज़्यादा. एनएसए का कदम सराहनीय है क्योंकि उन्होंने मानवीय कार्य के रूप में गाजा को सहायता भेजने की अनुमति की मांग की थी.
इसकी जरूरत भी है. उन्होंने कहा कि यह गाजा के शहीदों में बचे लोगों के घावों के लिए मरहम की तरह है. उन्होंने कहा कि जब भी किसी क्षेत्र में आपदा आती है तो भारत मदद के लिए आगे आता है. यह हमारी नीति का हिस्सा है. हमारा समर्थन गाजा के उत्पीड़ित लोगों के साथ रहा है. मुफ्ती मंजूर जियाई ने आगे कहा कि अमेरिका और रूस दुनिया के सबसे ताकतवर देश हैं. भारत के रूस के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए अगर रूस जैसे शक्तिशाली देश की मदद से गाजा में युद्धविराम होता है, तो इसके सफल होने की उम्मीद की जा सकती है.
अजमेर शरीफ दरगाह के नायब दीवान सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने गाजा में शांति बहाल करने के भारतीय प्रयास की सराहना की है. आवाज बुलंदी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि एनएसए अजीत डोभाल का प्रयास सराहनीय है. भारत विश्व में शांति बहाल करने का प्रयास कर रहा है. अब गाजा में शांति बहाली की पहल हो रही है, जो स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि गाजा में हालात अच्छे नहीं हैं. मासूम बच्चे और निर्दोष नागरिक मर रहे हैं, ऐसे में शांति बहाली के प्रयास जरूरी हैं. खासकर, रमज़ान का पवित्र महीना चल रहा है, जो दुनिया को शांति और सद्भावना सिखाने वाला महीना है. इस माह में युद्धविराम होना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि युद्ध से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं होता. बातचीत से हर समस्या का समाधान हो सकता है और इस समस्या का भी समाधान होना चाहिए. अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि शांति बहाली भारत की नीति का हिस्सा है. दुनिया के किसी भी क्षेत्र में अशांति हो तो भारत शांति स्थापित करने के प्रयासों में सबसे आगे रहता है. ऐसे में उम्मीद है कि गाजा में संघर्ष विराम के प्रयास सफल होंगे. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा शांति चाहता है.
हमारे माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सक्षम टीम के नेतृत्व में, हमारा देश दुनिया में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, खासकर गाजा संघर्ष में. भारत समझता है कि इजराइल और फिलिस्तीन के लोगों को इस महत्वपूर्ण समय में शांति और समर्थन की जरूरत है, खासकर रमजान के पवित्र महीने को देखते हुए. हमारी सरकार के अद्भुत प्रयास सराहनीय हैं. अल्लाह हमारे देश और उसके योग्य नेतृत्व की रक्षा करे.
यह स्पष्ट होना चाहिए कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध जारी है. इस जंग में आम लोगों को परेशानी हो रही है. अब तक भारी तबाही मची है. इस बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने तेल अवीव में इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात की. इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कार्यालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी. इजरायली पीएमओ ने कहा कि भारतीय एनएसए डोभाल ने आज नेतन्याहू से मुलाकात की. उन्हें गाजा पट्टी में चल रहे युद्ध के बारे में जानकारी दी गई.
पार्टियों ने बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता के मुद्दों पर चर्चा की. गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इजरायल पर 5,000 रॉकेट दागे जाने के बाद से दोनों पक्षों के बीच युद्ध शुरू हुआ और अभी भी जारी है. इस युद्ध में लगभग 30,000 लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश मासूम बच्चे हैं. इसके अतिरिक्त, गाजा नगर पालिका ने रविवार शाम को रमजान के दौरान मानवीय सहायता की अपील की. नगर पालिका ने अपने बयान में कहा कि जैसे-जैसे रमजान नजदीक आएगा, गाजा के लोगों को इजरायली हमलों के कारण गंभीर मानवीय संकट का सामना करना पड़ेगा. हमले से गाजा में पानी, स्वच्छता और अराजकता बुरी तरह प्रभावित हुई है.
उन्होंने बुनियादी सेवाएं, ईंधन, पानी और बिजली उपलब्ध कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मदद मांगी है. आपको बता दें कि गाजा भूख और निर्जलीकरण से मरने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के साथ एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है. गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भोजन और पानी की कमी के कारण गाजा पट्टी में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई है. इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने एक दिन पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरी नीतियों को इजरायलियों का पुरजोर समर्थन है.
हमास के आतंकवादियों को खत्म करने के हमारे ऑपरेशन का इजरायल समर्थन कर रहा है.' इजरायलियों का कहना है कि जब हम हमास को नष्ट कर देंगे तो हमारा अंतिम कार्य गाजा का प्रशासन फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंपना होगा. नेतन्याहू ने दुनिया के उन देशों की निंदा की जो हमास का समर्थन कर रहे हैं.
भारत के वरिष्ठ पत्रकारों ने भी एनएसए अजीत डोभाल की इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात की सराहना की है. रणनीतिक मामलों के पत्रकार क़मर आगा ने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है, कम से कम एनएसए अजीत डोभाल क्षेत्र में शांति बनाने की कोशिश कर रहे हैं. भारत क्षेत्र की स्थिति को लेकर चिंतित है. 75 लाख भारतीय फारस की खाड़ी क्षेत्र में रहते हैं और भारत की 70 प्रतिशत तेल आवश्यकताएँ उस क्षेत्र से पूरी होती हैं.
भारत के अरब देशों और इजराइल दोनों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं. पीएम मोदी ने पुतिन को सलाह दी थी कि यह युद्ध का युग नहीं है. यही भारत की कूटनीति की दिशा है, जिसे डोभाल भी आगे बढ़ा रहे हैं. भारत भी फ़िलिस्तीनियों की दुर्दशा से चिंतित है. डोभाल बातचीत में अपने कौशल के लिए जाने जाते हैं लेकिन यह एक कठिन मिशन है. लेकिन उनकी यात्रा से इसराइल पर संघर्ष सुलझाने का दबाव ज़रूर पड़ेगा. यदि मिस्र, जॉर्डन और कतर भी जा सकें तो अच्छा रहेगा शांति समझौते पर बातचीत के लिए भारत बेहतर स्थिति में है.
भारत का नई दिल्ली में फिलिस्तीनी दूतावास है. इन सबको एक साथ लाकर एक शांति योजना लाने की होगी. पहली यात्रा स्थिति को समझने के लिए होगी और फिर अंतिम यात्राओं में चीजें स्पष्ट होंगी. समय समाप्त हो रहा है, रमज़ान शुरू हो चुका है और नेतन्याहू ने एक और सैन्य हमले की धमकी दी है.
पश्चिम एशियाई मामलों के विशेषज्ञ वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वाइएल अव्वाद ने कहा, इजराइल अपना युद्ध जारी रखने का नैतिक आधार खो रहा है. भारत स्वतंत्रता और लोकतंत्र का चैंपियन है. युद्ध का असर फ़िलिस्तीनियों पर पड़ रहा है और भारत चुप नहीं रह सकता. भारत इस क्षेत्र की स्थिति को समझना चाहता है. एनएसए के दौरे को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए.