आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
यमन में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स नीमिषा प्रिया की 16 जुलाई को होने वाली फांसी को फिलहाल टाल दिया गया है. यह राहत ऐसे समय में मिली है जब यमन के धमार शहर में सूफी नेता शेख हबीब उमर बिन हफीज के प्रतिनिधियों और मृतक मेहदी तलाल के परिवार के बीच सुलह की बातचीत चल रही है. इस संवाद की शुरुआत भारत के प्रमुख सुन्नी धर्मगुरु और ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद (कंथापुरम ए.पी. अबुबकर मसलियार) के प्रभावशाली हस्तक्षेप के बाद हुई.
मंगलवार को ग्रैंड मुफ्ती ने इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने बताया कि यह मानवीय प्रयास कैसे शुरू हुआ और किस तरह से स्थिति को संभाला गया. उन्होंने कहा कि यह मामला उन्हें केरल के पथुपल्ली से विधायक श्री चंडी ओमन ने सौंपा, जिन्होंने उनसे इस संवेदनशील मुद्दे में हस्तक्षेप करने की अपील की थी.
उन्होंने इस अनुरोध के पीछे यह तर्क दिया कि शेख अबू बकर अहमद के यमन के सूफी विद्वानों से गहरे संबंध हैं.शेख अबू बकर अहमद ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे में हस्तक्षेप का निर्णय इस मानवीय सोच के आधार पर लिया कि जब कोई भारतीय नागरिक किसी विदेशी भूमि पर मृत्युदंड का सामना कर रहा हो, तो देश और समाज की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह उसके लिए कोई समाधान तलाशे.
खाड़ी देशों और अन्य क्षेत्रों में पूर्व में ऐसे प्रयासों से सकारात्मक नतीजे सामने आ चुके हैं। यमन में भारत की राजनयिक पहुंच सीमित होने के चलते यह और भी आवश्यक हो गया कि कोई वैकल्पिक पहल की जाए.
उन्होंने आगे बताया कि इस संदर्भ में उन्होंने यमन के प्रसिद्ध शहर तारिम में स्थित अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सूफी विद्वान हज़रत हबीब उमर बिन हाफिज़ से संपर्क किया. हज़रत हबीब उमर ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत हस्तक्षेप करने का वादा किया.
اعظم شیخ ابوبکر احمد ، یمن میں ہندوستانی نرس کی پھانسی رکوانے کے لیے حرکت میں آ چکے ہیں سنیے نرس کی پھانسی کو ٹالے جانے کے بارے میں تفصیل انہی کی زبانی#yeman #india #Abubakar pic.twitter.com/7nb7Djpwfp
— Awaz-The Voice URDU اردو (@AwazTheVoiceUrd) July 15, 2025
उनके निर्देश पर उनके कार्यालय ने उत्तरी यमन के स्थानीय अधिकारियों, आदिवासी नेताओं और पीड़ित परिवार से सुलह की संभावनाओं पर बातचीत शुरू की. साथ ही उन्होंने अपने विश्वस्त न्यायाधीशों और विधिक विशेषज्ञों से मृत्युदंड को टालने के कानूनी विकल्पों पर विचार करने को कहा.
इस मानवीय पहल का परिणाम एक महत्वपूर्ण बैठक के रूप में सामने आया जो हाल ही में उत्तरी यमन के धमार शहर में आयोजित की गई. इस बैठक में हज़रत हबीब अब्दुल रहमान अली मशाएर (हबीब उमर के प्रतिनिधि), यमनी सरकार के अधिकारी, सना आपराधिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मृतक तलाल के भाई और प्रमुख कबायली नेता शामिल हुए.
इस बैठक के दौरान मृतक के परिवार ने और चर्चा की आवश्यकता जताई तथा कहा कि वे शीघ्र ही अपना अंतिम निर्णय स्पष्ट करेंगे.आज का दिन इस पूरे घटनाक्रम में निर्णायक सिद्ध हुआ, जब सुबह से ही कबायली नेताओं, मृतक के परिवार और उनके कानूनी सलाहकारों के बीच लगातार संवाद चलता रहा.
अंतिम निर्णय होने तक हज़रत हबीब अब्दुल रहमान मशाएर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल धमार शहर में मौजूद रहेगा. वहाँ परिवार के साथ सुलह और समझौते के प्रयास जारी रहेंगे.
इस बीच, एक और महत्वपूर्ण हस्तक्षेप यमन के होदेइदाह राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और यमनी शूरा परिषद के सदस्य न्यायमूर्ति मुहम्मद बिन अमीन का रहा, जिन्होंने शेख हबीब उमर की सलाह पर मामले में सक्रियता दिखाई और मृतक के परिवार को समझाने की कोशिश की.
इसके बाद, कल यह मामला औपचारिक रूप से अदालत में प्रस्तुत किया गया और यमन की विशेष आपराधिक अदालत के न्यायाधीश रिज़वान अहमद अल-वजरी और सूरी मदीन मुफद्दल द्वारा हस्ताक्षरित निर्णय में फांसी को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया.
शेख अबू बकर अहमद ने कहा कि यह प्रगति मानवीय प्रयासों, लगातार संवाद, कानूनी विशेषज्ञता और सच्ची प्रार्थनाओं का परिणाम है. उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यमन जैसे देश में जहां भारत की सीधी राजनयिक पहुँच सीमित है, वहाँ इस प्रकार की पहलें विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती हैं.
फिलहाल, पीड़ित परिवार और नीमिषा प्रिया के पक्षकारों के बीच बातचीत जारी है और दया की अपील की प्रक्रिया भी आगे बढ़ रही है. यह मामला यमन के आदिवासी समाज के लिए न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी अत्यंत संवेदनशील बन गया है.
अब जबकि यमन की न्यायिक व्यवस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी और धार्मिक नेता सक्रिय रूप से इसमें शामिल हो गए हैं, यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कोई सकारात्मक समाधान निकल सकता है.
इस पूरी पहल की औपचारिक जानकारी भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय को भी दी जा चुकी है.
– शेख अबू बकर अहमद
भारत के ग्रैंड मुफ्ती