मंजीत ठाकुर
जी-20 शिखर सम्मेलन में नई दिल्ली घोषणा-पत्र को जब स्वीकार किया गया, तो इसमें एक ऐसी खास बात भी शामिल है, जिसे आज की दुनिया के लिए बेहद जरूरी माना जाना चाहिए. यह बिंदु है सभी धर्मों के लिए सम्मान का भाव.
सभी धर्मों के लिए सम्मान के भाव को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली में जमा हुए सभी जी-20 नेताओं ने धार्मिक नफरत जिसमें पवित्र किताबों और प्रतीकों के प्रति घृणाभाव की निंदा की है.
इसी साल 25 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र महासभा के पारित प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए इस घोषणा-पत्र में कहा गया है, “हेट स्पीच का मुकाबला करने के लिएअंतरधार्मिक और अंतरसांस्कृतिक संवाद और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए, हम हर तरह के धार्मिक नफरत, चाहे वह किसी व्यक्ति, या किसी सांकेतिक किस्म के धार्मिक प्रतीक और पवित्र किताबों के प्रति घृणा की निंदा करते हैं चाहे उनके घरेलू कानूनी फ्रेमवर्क में जो भी पूर्वाग्रह मौजूद हो.”
यह संकल्प ऐसे समय में आया है जब डेनमार्क और स्वीडन में कुरान को जलाए जाने की घटनाएं सामने आईं और इससे पूरी दुनिया में एक बहस छिड़ गई. डेनमार्क की सरकार ने सार्वजनिक रूप से कुरान जलाने की कृत्य पर बंदिश के लिए कानून लाने की बात कही है.
बहरहाल, नई दिल्ली घोषणा-पत्र में संस्कृतियों के अपने मूल रूप में पहचान देने और उनकी संरक्षा की बात भी कही गई है.
जी-20 नेताओं ने सांस्कृतिक संपदा के अवैध व्यापार को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धता रखी है. इसके जरिए सांस्कृतिक संपदा को बिकने के बाद भी उसके मूल देश या इलाके में वापस किया जा सकेगा.