जीएमसीएच परिसर में मुफ्त भोजनः मुसलमानों के लिए सेहरी और इफ्तार, दूसरों को स्वादिष्ट भोजन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 02-04-2023
जीएमसीएच परिसर में मुफ्त भोजनः मुसलमानों के लिए सेहरी और इफ्तार, दूसरों के लिए स्वादिष्ट भोजन
जीएमसीएच परिसर में मुफ्त भोजनः मुसलमानों के लिए सेहरी और इफ्तार, दूसरों के लिए स्वादिष्ट भोजन

 

अरिफुल इस्लाम /गुवाहाटी

रेनड्रॉप्स इनिशिएटिव असम द्वारा गवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) परिसर में शाम और आधी रात के दौरान मुफ्त भोजन वितरित किया जा रहा है, जो मुसलमानों के लिए इफ्तार और सेहरी और हिंदुओं और अन्य धर्मों के लोगों के लिए स्वादिष्ट भोजन साबित हो रहा है.

आवाज-द वॉयस के साथ एक साक्षात्कार में, रेनड्रॉप्स इनिशिएटिव असम के पदाधिकारी आबिद आजाद ने कहा, हम 2020 में लॉकडाउन के बाद से जीएमसीएच में मुफ्त भोजन वितरित कर रहे हैं. चूंकि लॉकडाउन के दौरान दुकानें पूरी तरह से बंद थीं, इसलिए जीएमसीएच में मरीजों के इलाज करने वाले रिश्तेदारों को दोपहर और रात के खाने के लिए कोई रेस्तरां या भोजनालय नहीं मिला. हमारे संगठन ने मुफ्त भोजन वितरित करना शुरू किया.
 
लॉकडाउन के बाद जीएमसीएच में कई गरीब लोगों ने खाने के सामानों के लिए हमसे संपर्क किया. वे या तो दवाएं खरीद सकते थे या खाना. वे दोनों का खर्च नहीं उठा सकते थे. इसलिए, हमारे संगठन ने लॉकडाउन के बाद भी मुफ्त खाद्य पदार्थों का वितरण जारी रखा.
 
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रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत के साथ आबिद आजाद ने कहा कि संगठन ने जीएमसीएच में मुस्लिम तीमारदारों को अस्पताल परिसर के अंदर इफ्तार और सेहरी की व्यवस्था करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जीएमसीएच में 300 से 400 मुस्लिम लोग रोजा रखते हैं और रेनड्रॉप्स इनिशिएटिव असम उनके बीच सेहरी और इफ्तार बांट रहा है.
 
रेनड्रॉप्स इनिशिएटिव असम के सदस्य मौके पर ही खाना पकाते हैं और जीएमसीएच परिसर में तुरंत वितरित करते हैं, ताकि वहां के लोग गर्म और ताजा भोजन खा सकें. आबिद आजाद ने कहा कि मुसलमान हमारे खाने को सहरी और इफ्तार के तौर पर लेते हैं, बाकी सभी लोग जो जीएमसीएच में आते हैं, वह सामान्य खाना समझ कर खाते हैं.
 
मुफ्त भोजन वितरण के अलावा, रेनड्रॉप्स इनिशिएटिव असम कई अन्य सामाजिक कल्याणकारी गतिविधियांे में भी शामिल है. आबिद आजाद ने कहा,जीएमसीएच में कई मरीजों को महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं. कई मरीजों की इलाज के दौरान जीएमसीएच में मौत हो जाती है और उनकी महंगी दवाएं बेकार पड़ी रहती हैं.
 
हम ऐसे मृत मरीजों के परिवार के सदस्यों से संपर्क करते हैं और दवाओं को डॉक्टरों के पास ले जाते हैं ताकि अन्य गरीब मरीज दवा ले सकें. उन्हें निरू शुल्क प्राप्त करें. उन्होंने कहा कि एनजीओ असम के विभिन्न हिस्सों में वृक्षारोपण अभियान में भी शामिल है.
 
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जीएमसीएच में भर्ती मरीज के रिश्तेदार इस्माइल हुसैन ने कहा, मैं मोरीगांव जिले से मरीजों को अस्पताल लेकर आया हूं. यह (31 मार्च को) रात के 2.30 बजे हैं. यहां कोई होटल नहीं है. अच्छा खाना नहीं है. सेहरी के लिए एनजीओ ने जो पहल की है, वह निश्चित रूप से काबिल-ए-तारीफ है. सहरी के अलावा, मुझे यहां इफ्तार  भी मिला है. मैं रमजान के पहले दिन से यहां सेहरी और इफ्तार कर रहा हूं.
 
जीएमसीएच आपातकालीन वार्ड में एक मरीज के परिचारक संजीव दास ने कहा, मैं अपने मरीज को 1 बजे (31 मार्च को) आपातकालीन वार्ड में लाया. मेरा मरीज अब स्थिर है और मुझे अब भूख लग रही है. जीएमसीएच और उसके आसपास एक भी भोजनालय नहीं खुला है. आखिरकार मैं अपना डिनर करने के लिए रेनड्रॉप्स इनिशिएटिव पर पहुंचा.