रामनवमी पर सांप्रदायिक सौहार्द, मोहम्मद सलीम का बनाया महावीरी पताका लहराएगा हिंदुओं के घरों पर

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 16-04-2024
Communal harmony on Ramnavmi, Mahaviri flag made by Mohammad Salim will be hoisted on the houses of Hindus
Communal harmony on Ramnavmi, Mahaviri flag made by Mohammad Salim will be hoisted on the houses of Hindus

 

 सेराज अनवर/पटना

" है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़, अहल-ए-नज़र समझते हैं इस को इमाम-ए-हिंद." उर्दू के मशहूर शायर अल्लामा इक़बाल ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम को इमाम ए हिंद से नवाज़ा था.रामनवमी पर बिहार के गया में उक्त शेर की प्रासंगिकता सरज़मीं पर दिख रही है.महावीरी झंडा बनाने में न मुस्लिम कारीगर को कोई परहेज़ है,न हिन्दू भाईयों को ऐतराज़.

मोहम्मद सलीम का परिवार यहां छह दशक से रामनवमी पर भगवा झंडा बना रहा है.उनके द्वारा बनाया गया झंडा रामनवमी की शोभा बढ़ायेगा.अभी रमज़ान ख़त्म हुआ है,रोज़ा की हालत में भी झंडा बनाने का काम चलता रहा.यहगंगा-जमनी तहज़ीब की मिसाल है.

यहां मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदाय आपसी भाईचारे के साथ हर त्योहार मनाते हैं.गया की रामनवमी में मोहम्मद सलीम का महावीरी पताका एक बार फिर धूम मचाने को तैयार है.उनकी तीसरी पीढ़ी के हाथ और पांव सिलाई मशीन पर तेजी से थिरक रहे हैं. दरअसल,इस दर्जी के दीवाने दूर-दराज़ तक हैं.

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 कौन हैं मोहम्मद सलीम ?

बुजुर्ग दर्जी मोहम्मद सलीम की दुकान गया मार्केट में है. पुस्त दर पुस्त 61वर्षों से यह परिवार रामनवमी का महावीरी झंडा बनाने का काम कर रहा है.यह उनकी कमाई का भी ज़रिया है.मोहम्मद सलीम ने बताया कि बिहार ही में नहीं,झारखंड में भी हमारे द्वारा बनाये गये झंडे की मांग है.

गया के अलावे डोभी,शेरघाटी,बाराचट्टी,झारखंड के कोडरमा,हजारीबाग से रामनवमी पर्व पर झंडे बनाने का ऑर्डर आता है.एक आदमी प्रत्येक दिन महावीरी झंडा बनाने में चार से पांच सौ रुपये की कमाई कर लेता है. इससे परिवार का खर्चा भी निकल जाता है.

उन्होंने बताया कि व्यवसाय में कहीं भी हिंदू मुस्लिम की अलगावबादी बातें नहीं होती हैं.हम सभी भाई- भाई की तरह रहते हैं और एक- दूसरे की मदद करते हैं.उनका यह भी कहना है कि हिंदू-मुस्लिम करने वाले या सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाले लोग केवल अपनी राजनीतिक दुकान चलाने का काम करते हैं.

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हम सभी मिलजुल कर हर त्यौहार पर्व मनाते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं. यही तो है हमारा असली भारत जहां शुरू से कहा जाता है हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में सब भाई-भाई. बताया गया कि पिछले 60वर्षों से हमारा परिवार यह कार्य कर रहा है लेकिन कभी भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगडने की बात किसी के मुंह से नहीं सुनी.

 मोहम्मद राशिद को रामनवमी का रहता है इंतेज़ार मोहम्मद राशिद कहते हैं कि रमजान और ईद की ही तरह, हमें राम नवमी का भी इंतजार रहता है. लेकिन मजहबी नफरत की खबरों से हमें काफी दुख भी होता है. उन्होंने यह भी बताया कि वह और उनके भाई मोहम्मद सलीम इन झंडों को बनाने का काम 60 सालों से कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि कई गैर मुस्लिम दुकानदारों ने इन झंडों को बनाना बंद कर दिया लोग अब भी उनके पास ये झंडे लेने के लिए आते हैं.अब राशिद और सलीम के बच्चे भी इसी काम को करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. राशिद बताते हैं कि वे इस काम को पैसे कमाने के लिए के लिए नहीं, बल्कि सेवा भाव के लिए करते हैं. इसपर इसी बाजार के दुकानदार, राम मनोहर ने कहा कि रोजा रखते हुए भी रामनवमी के लिए झंडे बनाना हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है.

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मोहम्मद यूनुस ने महावीरी झंडा बनाना पिता से सीखा महावीरी ध्वज की ऊंचाई लगभग 20 से 25 फीट होती है. पूरे झंडे में लेस लगाने का काम मोहम्मद यूनुस करते हैं.यूनुस बताते हैं कि छोटे से बड़ा झंडा हम बनाते हैं.15,20,25 मीटर तक के झंडे बनते हैं.छोटे झंडे तो अनगिनत होते हैं.

जय श्रीराम,हनुमान जी की मूर्ति आदि झंडा में लगाने का काम करते हैं.फगुआ के बाद यानी मार्च से राम नवमी झंडा बनाने का काम शुरू हो जाता है.इस काम में रात-दिन लगना पड़ता है.तीस-पैंतीस दिन रात-दिन काम चलता है.आज से झंडा उन्हें भेजा जा रहा है जिन्होंने ऑर्डर दिया था.कुछ लोग आ कर ले जाते हैं.

यूनुस बताते हैं कि यह कला उन्होंने अपने पिता से सीखी.12 साल के थे तब वह अपने पिता केलिए खाना लेकर आते थे.पिता जी के दिये कला को ही हम आगे बढ़ा रहे हैं.वह बताते हैं कि महावीरी झंडा सब नहीं बना सकता.कई ग़ैरमुस्लिम दुकानदारों ने झंडा बनाना बंद कर दिया वह भी झंडा लेने हमारे यहां आते हैं.

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केपी रोड स्थित गया मार्केट में मुस्लिम दुकानदारों की संख्या कम है लेकिन मोहम्मद राशिद,मोहम्मद सलीम और मोहम्मद यूनुस सदियों से इसी जगह पर अपनी दर्ज़ी की दुकान चला रहे हैं.साठ सालों से तीन पीढ़ी राम भक्ति में डूबा हुआ है.इस्लाम में आस्था है और पुरूषोत्तम राम इनके इमाम हैं.जैसा कि अल्लामा इक़बाल ने कहा.रामनवमी पर मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाया गया महावीरी पताका लहरेगा तो असल हिंदुस्तान की तस्वीर उभरेगी.असल हिंदुस्तान हिन्दू-मुसलमान के सौहार्द-एकता से बनता है.