जयनारायण प्रसाद/ कोलकाता
कोलकाता के करीब बंगाल के हुगली जिले में एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया. हुआ यह कि यात्रियों से भरी एक सरकारी बस वृहस्पतिवार की शाम हुगली जिले के आरामबाग से कोलकाता के धर्मतल्ला बस अड्डे पर आ रही थी.
कोई ढ़ाई घंटे से कुछ ऊपर का यह सफर था, लेकिन बीच रास्ते में ही बस का अगला दाहिना पहिया निकल गया और लुढ़कते हुए वह (पहिया) पास के एक तालाब में जा गिरा.
बस चालक शेख़ शहाबुद्दीन ने बचाई अनेक की जान
यह दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम (एसबीएसटीसी) की बस थी, जो अन्य दिनों की तरह हुगली जिले के आरामबाग से अपने नियत समय पर चली थीं. बस में सौ से अधिक लोग सवार थे. बस करीब 40 से 45 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से कोलकाता बस अड्डा यानी धर्मतल्ला की तरफ आ रही थी.
तभी बीच रास्ते में बस का अगला दाहिना पहिया खुल गया और वह पास के एक तालाब में जा गिरा.
अहिल्या बाई रोड पर हुआ हादसा
कहते हैं दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम की यह बस अपनी रफ़्तार से चल रही थी. बस में बच्चे, बूढ़े, किशोर से लेकर औरतें अटी पड़ी थीं लेकिन बस जैसे ही हुगली जिले के अहिल्या बाई रोड पर पहुंची, उसका अगला दाहिना पहिया निकल गया और बस लगभग अनियंत्रित हो गई.
लोग भयभीत होकर कूदने के मूड में आ गए
कहते हैं कि जब यह सरकारी बस लगभग अनियंत्रित हो गई, तो जान की परवाह किए बगैर लोग कूदने के मूड में आ गए. उसी वक्त बस चालक शेख़ शहाबुद्दीन ने सूझबूझ से काम लिया और बिना ब्रेक दबाए बस को थोड़ी दूरी पर जाकर किसी तरह रोका. तब लोगों के जान में जान आई.
ब्रेक लगाने पर बस पलट भी सकती थी : शेख़ शहाबुद्दीन
बस ड्राइवर शेख़ शहाबुद्दीन का कहना है कि पहिया निकल जाने पर ब्रेक लगाना और भी खतरनाक हो सकता था। उसका कहना है कि ब्रेक लगाने पर बस किसी छोर भी पलट सकती थी. ऐसे में उसने सूझबूझ से काम लिया और बस को धीरे-धीरे कुछ दूरी पर जाकर रोका. तब जाकर यात्रियों की सांसें थमीं.
सोदपुर में आने पर बस चालक शहाबुद्दीन को हुआ शक
बस चालक शेख़ शहाबुद्दीन का कहना है कि हुगली जिले के चंडीतला से बस ठीक हालत में ही निकली थी. बीच राह में जब यह बस सोदपुर इलाके से गुजर रही थी, तो पहियों से एक किस्म की घरघराहट की आवाज आ रही थी. तभी बस चालक शेख़ शहाबुद्दीन को संदेह हुआ था.
रखरखाव के अभाव में हुई यह गड़बड़ी : बस यात्री
किसी तरह बच गए इस बस के यात्रियों का कहना है कि डिपो में बस का रखरखाव ठीक ढंग से नहीं होता. सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी कायदे से नहीं करते. बस की साफ-सफाई और पहियों की देखभाल भी नहीं होती. वरना यह हादसा क्यों होता, वे तमतमाए हुए से अपनी बात रखते हैं !
यात्री बस चालक शेख़ शहाबुद्दीन को शाबाशी दे रहे
अधिकांश यात्री बस चालक शेख़ शहाबुद्दीन को शाबाशी दे रहे थे. वे धन्यवाद देने के लहजे में कह रहे थे 'आज शेख़ शहाबुद्दीन की वजह से हमारी जान बच गई, वरना कल हम खबर बन जाते.'