मथुरा, काशी विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशें दोनों पक्ष: अजमेर दरगाह प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदिन

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 24-02-2024
Both parties should find solution to Mathura, Kashi disputes outside the courts: Ajmer Dargah chief Diwan Syed Zainul Abedin.
Both parties should find solution to Mathura, Kashi disputes outside the courts: Ajmer Dargah chief Diwan Syed Zainul Abedin.

 

आवाज द वाॅयस /जयपुर

अजमेर दरगाह के प्रमुख ख़्वाजा साहब के वंशज एव दरगाह दीवान हज़रत सैयद जैनुल आबेदींन ने कहा कि किसी भी विवाद का आपसी सहमति से हल निकलता है तो उस की बात ही कुछ और होती है.विवाद का हल निकलने के साथ दिल भी मिलते है.एक दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास भी लौटता है.

अजमेर दरगाह प्रमुख ऑल इंडिया सूफ़ी सज्जादानशीन कौंसिल की राजस्थान यूनिट के द्वारा आयोजित कान्फ्रेंस  “पैग़ाम-ए-मोहब्बत हम सब का भारत” को संबोधित कर रहे थे जिस में राजस्थान की लगभग सभी दरगाहों के प्रमुख मोजुद थे.

दरगाह दीवान साहब ने कहा कि हमारे देश आज वसुधैव कुटम्बकम् की सभ्यता को निभाते हुए विश्व में शांति बहाली में सकारात्मक भूमिका निभा रहा है.भारत विश्व शांति में अपनी भूमिका निभा रहा है तो हम अपने देश के आंतरिक मसलों का अदालतों के बाहर शांति पूर्वक समाधान निकालने में सक्षम क्यों नहीं. “बस एक मज़बूत पहल की ज़रूरत है.”

उन्होंने कहा कि भारत ने आज़ादी के बाद भी कई चुनौतियों का सामना कर उन पर जीत हासिल की है.हमारी कई पीढ़ियों ने धार्मिक विवादों का भी सामना किया है जिस में सब से पुराना विवाद अयोध्या का विवाद है.

उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद इस विवाद पर पूर्ण रूप से विराम लग गया.उस से भी बड़ी बात यह है कि इस देश के हर नागरिक ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय का सम्मान किया.एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का सबूत दिया.

लेकिन हमें यह बात समझनी होगी कि अदालतों के निर्णय में एक पक्ष जीतता है.एक पक्ष हारता है  जिस में कही ना कही एक पक्ष निर्णय से असहमति के साथ साथ अपने दिल में खटास् व द्वेषता नहीं समाप्त कर पाता है.इसलिए मेरा मानना है कि दोनों पक्ष के लोग मथुरा काशी जैसे विवादों का हल अदालतों के बाहर तलाशेने की कोशीश करे.

उन्होंने कहा कि हर मुसलमान सुलह के विधान पर यक़ीन रखता है.मगर शायद हर संस्था इस दुविधा में है कि कौन इस की शुरूआत करे.कोई अपने सामाज के सामने बुरा नहीं बनना चाहता है.

किसी को तो पहल करनी ही होगी.इस लिये कौंसिल की तरफ़ से मथुरा और काशी जैसे मसलों का शांति पूर्वक और सम्मानजनक हल निकालने की अपील करता  हूँ. साथ साथ यह एलान करता हूँ कि मेरे जानशीन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती जो इस संस्था के चेयरमेन है.

हर प्रदेश में जाये और वहाँ कौंसिल से जुड़ी दरगाहों को लेकर दोनों पक्षों के प्रमुख लोगो या संस्थाओ से मिलकर एक सकारात्मक और ख़ुशगवार माहौल  बनाये.वहाँ एक शांति पथ बना कर दोनों पक्षों के लिये शांति वार्ता के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाए.

उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह के सज्जादानशीन और ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के वंशज होने के नाते तमाम हिंदू और मुस्लिम समाज की संस्थाओं से अपील करता हूँ ,काशी और मथुरा जैसे मसलों का हल अदालतों के बाहर मिल जुल कर निकालने का प्रयास करे.

इस धार्मिक और अतिसंवेदनशील मसले का हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष एक सम्मान पूर्वक हल निकाले और हमेशा के लिए भारत से धर्मिक विवादो का अंत कर इस देश की उन्नति में अपना योगदान दे.

हम सब एक सकारात्मक सोच के साथ सुलह की नीयत से कम से कम मिलकर शांति पूर्वक सम्मांजनक हल निकालने की कोशिश तो करे आख़िर क़ब तक हम दोनों धर्मों के लोग आपस में इन धार्मिक विवादों में उलझे रहेंगे.हमारे देश ने पिछले सात दशकों से भी ज्यादा इन धार्मिक विवादों को देखा है.

हमारी दो तीन पीढ़िया तो बूढ़ी हो गई पर अब नहीं हमारी आने वाली पीढ़िया इस तरहे के विवाद से दूर रहे.इस लिये हमें इस देश में धार्मिक विवादों को पूर्ण विराम देने की ज़रूरत है.देश के विकास में बाधा बनने वाले हर विवाद को समाप्त कर अपनीं आने वाली पीढ़ियो को एक मज़बूत मुल्क, मोहब्बतो से भरा महान भारत देना ही होगा.

दरगाह प्रमुख ने CAA पर भी बोलते हुए कहा कि हम आज एक बात और साफ करना चाहते है.पिछले कुछ सालों में मुसलमानो को गुमराह किया गया.डराया गया कि CAA क़ानून से भारत के मुसलमानो की नागरिकता छीनने कि कोशश हो रही है.

वास्तविकता कुछ और है."अधिनियम के प्रावधानों के विस्तृत विश्लेषण के बाद, हमने पाया कि कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं .यह क़ानून उन पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा, बल्कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश मे पीड़ित और सताए हुए अल्पसंख्यक अप्रवासियों को लाभ पहुंचाएगा जो भारतीय नागरिकता चाहते हैं.

यह किसी की भी भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.उन्होंने कहा कि मैं इस देश के मुसलमानों को यह वादा करता हूँ कि यदि इस क़ानून के अंर्तगत किसी की भी नागरिकता छिनी जायेगी तो में सबसे पहले इस क़ानून के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करूँगा.

बस आप किसी भी स्वार्थी लोगो के बहकावे में ना आये और अपने देश की सरकार  पर यक़ीन रखे और देश की तर्क्की में सरकारो का साथ दे.अंत में दरगाह प्रमुख ने कॉन्फ़्रेंस में आय सभी सूफ़ियो और दरगाहों के प्रमुखों का कॉन्फ़्रेंस में आने पर धन्यवाद दिया.

कहा कि भारत का इतिहास गावाह है.इस देश के सभी सूफ़ियो ने दरगाहों ने हमेशा इस मुल्क की सलामती  और अमन के लिए काम किया है.आज जब वक्त की ज़रूरत है तो हमे फिर एक बार इस मुल्क की सलमती और अमन के लिए आगे आना होगा.

इस से पहले कॉन्फ़्रेंस की शुरुआत में दीवान साहब का और कौंसिल के चेयरमेन के  दरगाह हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब के जानशीन सैयद जियाउद्दीन जियाई ने उनका इस्तकबाल किया.

अपने इस्तकबालिया तकरीर में कहा,आज हम अल्लाह के नेक बंदे के आस्ताने पर है.यहां से हमेशा मोहब्बत और क़ौमी येक्ज़हदी का पैगाम जाता रहा है.हमारी काउंसिल यह काम बाखूबी कर रही है.

दीवान साहब की सरपरस्ती में और हज़रत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती की  सदारत में हम आगे भी देश में अमन के लिए मिलजुलकर सूफियो की तालिमातो को आम करते रहेंगे.

अजमेर दरगाह दीवान के द्वारा दिए गए संदेश और पैगाम के बाद काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान स्टेट इंचार्ज जनाब हबीबूरहमान नियाजी साहब ने सुलह की पहल का समर्थन  करते हुए कहा,सूफी संतों ने हमेशा हर मसले का हल आपसी समझौते से ही किया है.

हम सब सूफ़ियो के वंशज है.हर सुलह की पहल का समर्थन करते है.दीवान साहब द्वारा हम सभी को और  काउंसिल को जो दिशा दिखाई है हमारा मार्गदर्शन किया है.इस जिम्मेदारी को  हम काउंसिल के राष्ट्रय चेयरमेन हज़रत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती की क़यादत में हर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाएंगे और इस मुल्क से नफरत को हमेशा के लिए खत्म करके ही चेन से बैठेंगे.

दरगाह के नायब सज्जादानशीन सैयद अजीजुद्दीन बादशाह मिया ने अंत में दीवान साहब के बयान का समर्थन करते हुए सभी राजस्थान के सज्जादगान का शुक्रिया अदा किया.कहा कि दीवान साहब और उनके  जानशीन सैयद नाहिरुद्दीन के साथ मिल कर इस देश से नफ़रतों को ख़त्म करने में हम सब मिल कर काम करेंगे .