फिल्म 'फुले' का विरोध करने वालों की अनुराग कश्यप ने की आलोचना, जानिए क्यों मचा है बवाल?

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-04-2025
Anurag Kashyap criticized those protesting against the film 'Phule', know why there is an uproar?
Anurag Kashyap criticized those protesting against the film 'Phule', know why there is an uproar?

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित फिल्म 'फुले' को लेकर हो रहे विरोध की आलोचना करते हुए कहा कि भारत में जातिगत मुद्दों को दर्शाने वाली फिल्मों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जाता है.
 
सेंसर बोर्ड ने चलाई कैंची

निर्देशक ने 'फुले' में सुझाए गए संशोधनों के लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की भी आलोचना की. 'फुले' फिल्म में अभिनेता प्रतीक गांधी और अभिनेत्री पत्रलेखा ने इस सुधारवादी दंपति की भूमिका निभाई है. यह फिल्म पहले पिछले सप्ताह रिलीज होने वाली थी, लेकिन अब इसे 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा. 
 
ट्रेलर जारी होते ही कचा बवाल

फिल्म का ट्रेलर 10 अप्रैल को ऑनलाइन जारी किया गया था जिसके बाद ब्राह्मण समुदाय के कुछ सदस्यों ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि इसमें उनकी गलत छवि पेश की गई है. सोशल मीडिया मंच 'इंस्टाग्राम' पर पोस्ट में कश्यप ने बृहस्पतिवार को कहा,"मेरे जीवन में मैंने जो पहला नाटक किया, वह ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित था. 
 
अनुराग कश्यप ने उठाया सवाल

अनुराग कश्यप ने सवाल किया, "अगर जातिवाद इस देश में मौजूद नहीं है, तो फिर फुले दंपति को उसके खिलाफ संघर्ष क्यों करना पड़ा?"फिल्म को सात अप्रैल को 'यू' सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन सेंसर बोर्ड ने कई बदलाव सुझाए. कश्यप के अनुसार, बताया जाता है कि न केवल "फुले" बल्कि संध्या सूरी की "संतोष" और "धड़क 2" भी सेंसर की परेशानी का सामना कर रही हैं. उन्होंने दिलजीत दोसांझ अभिनीत "पंजाब '95" और दिबाकर बनर्जी की "टीज़" को उन फिल्मों की सूची में शामिल किया, जिन्हें भारत में रिलीज़ करना मुश्किल हो रहा है. 
 
 
क्या है पुरा मामला? 

सीबीएफसी के निर्देशानुसार, निर्माताओं ने फिल्म से कई जातिगत संदर्भों को हटाया, जिनमें ‘महार’, ‘मांग’, ‘पेशवाई’ और ‘मनु की जाति व्यवस्था’ जैसे शब्द शामिल थे. सीबीएफसी के फैसले पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए, कश्यप ने अपने इंस्टा स्टोरी पर लिखा, “पंजाब 95, तीस, धड़क 2, फुले- मुझे नहीं पता कि इस जातिवादी, क्षेत्रवादी, नस्लवादी एजेंडे को उजागर करने वाली कितनी अन्य फिल्में अवरुद्ध हैं. हमारे नेता जाति सिस्टम को खत्म कर चुके हैं.”