आवाज द वायस ब्यूरो/पुणे
महाराष्ट्र का धुले शहर आज पूरे देश के लिए साम्प्रदायिक सौहार्द और एकता की एक चमकती हुई मिसाल बन गया है. यह कहानी दिखाती है कि भारत की असली ताकत आपसी भाईचारे में है. मौका था दो बड़े त्योहारों का, जो एक साथ आ रहे थे - गणेशोत्सव और ईद-ए-मिलाद.
पूरे महाराष्ट्र में गणेशोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि 10 दिनों तक चलने वाला एक महापर्व है. इस साल ये उत्सव 27 अगस्त से 6 सितंबर के दरमियान मनाया जायेगा. इस दौरान सड़कों पर भगवान गणेश की विशाल मूर्तियों के साथ बड़े-बड़े जुलूस निकलते हैं, जिनमें लाखों लोग शामिल होते हैं. इसी बीच, 5 सितंबर को पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्मदिन, यानी ईद-ए-मिलाद का त्योहार भी था, जिसमें मुसलमान समुदाय भव्य जुलूस निकालता हैं.
एक ही समय पर दो बड़े जुलूसों से किसी भी तरह की परेशानी न हो और दोनों समुदाय अपने-अपने त्योहार पूरी खुशी और शांति के साथ मना सकें, इसी सोच के साथ जिला प्रशासन ने एक अहम कदम उठाया. 20 अगस्त को जिलाधिकारी भाग्यश्री विसपुते और पुलिस अधीक्षक (SP) श्रीकांत धिवरे की मौजूदगी में एक 'शांति समिति' (Peace Committee) की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में सिरत कमेटी के सदस्य और मुस्लिम समाज के कई ज़िम्मेदार लोग शामिल हुए.
बैठक में प्रशासन ने बहुत ही सम्मान के साथ मुस्लिम समुदाय के सामने यह सुझाव रखा कि अगर ईद-ए-मिलाद का जुलूस कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया जाए, तो कानून और व्यवस्था बनाए रखने में बड़ी मदद मिलेगी.
इस सुझाव पर मुस्लिम समाज के नेताओं ने जो फैसला लिया, वह दिल छू लेने वाला था. उन्होंने आपस में राय- मशवरा किया और सर्वसम्मति से यह तय किया कि धुले शहर और आसपास के इलाकों में ईद-ए-मिलाद का जुलूस अब शुक्रवार, 5 सितंबर की बजाय सोमवार, 8 सितंबर को निकाला जाएगा.
उनके इस शानदार फैसले का प्रशासन ने खुले दिल से स्वागत किया. जिलाधिकारी और एसपी ने सिरत कमेटी के सदस्यों का सत्कार किया और सामाजिक एकता के प्रति उनकी ज़िम्मेदारी की सराहना की.
जिलाधिकारी विसपुते ने कहा, "ईद-ए-मिलाद का त्योहार हमें हमदर्दी, सद्भावना और शांति का पैगाम देता है. हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को यही संस्कार दें."
एसपी धिवरे ने भी ईद की मुबारकबाद दी और सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि यह फैसला समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है.
धुले का यह किस्सा सिर्फ एक खबर नहीं है, बल्कि यह इस बात का सबूत है कि जब लोग एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है और देश की एकता और भी मज़बूत होती है.