आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
अजित डोभाल एक बार फिर से भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए गए हैं. जबकि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पीके मिश्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है.
डोभाल की नियुक्ति को लेकर जो लेटर जारी किया गया है उसमे कहा गया है कि प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक डोभाल का भी कार्यकाल रहेगा. डोभाल को एनएसए के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा. अजित डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड कहा जाता है. उन्होंने कई अहम मिशन में बड़ी भूमिका निभाई है.
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने पिछले साल डोभाल की प्रशंसा करते हुए उन्हें "अंतरराष्ट्रीय खजाना" कहा था. उत्तराखंड के एक गांव के लड़के के रूप में डोभाल की साधारण पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए राजदूत ने कहा, "भारत के एनएसए न केवल राष्ट्रीय खजाना बन गए हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय खजाना बन गए हैं."
भारत के सबसे मशहूर जासूसों में से एक अजीत डोभाल
भारत के सबसे मशहूर जासूसों में से एक अजीत डोभाल तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के रूप में काम करना जारी रखेंगे. 2019 में, वह दो कार्यकाल पूरा करने वाले पहले NSA बने. अपने व्यापक क्षेत्र कार्य के साथ-साथ अपने रणनीतिक नेतृत्व के लिए जाने जाने वाले, 1968 बैच के IPS अधिकारी, जो केरल कैडर के थे, अशोक चक्र के बाद दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से अलंकृत होने वाले पहले पुलिसकर्मी भी हैं.
डोभाल के लिए तीसरा कार्यकाल नरेंद्र मोदी सरकार में निरंतरता के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों ने अपने विभागों को बरकरार रखा है, डोभाल का लगातार तीसरा कार्यकाल मोदी सरकार के लिए उनके महत्व को दर्शाता है, जिसने पाकिस्तान के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक सहित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है.
हालांकि, डोभाल ने हाल ही में अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ महत्वपूर्ण वार्ता की है, जो तकनीकी, रणनीतिक, व्यापारिक और आर्थिक हितों से जुड़ी है, जो मोदी सरकार के विदेशी मामलों में डोभाल की बढ़ी हुई भूमिका की ओर इशारा करती है. कहा जाता है कि जब मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने, तो मोदी के प्रधान सचिव ने उनके पास हस्ताक्षर के लिए जो पहली फाइल लाई, वह डोभाल की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के रूप में नियुक्ति की थी. तब से डोभाल मोदी के दाहिने हाथ रहे हैं.
7 साल पाक में दी सेवा
अजीत डोभाल ने पाकिस्तान में भी 7 साल बिताए और 1990 में कश्मीर गए, जब उन्होंने उग्रवादियों (जैसे कुका पार्रे) को कट्टर भारत विरोधी आतंकवादियों को निशाना बनाकर विद्रोह विरोधी बनने के लिए राजी किया. कथित तौर पर इसने 1996 में जम्मू और कश्मीर में राज्य चुनावों का मार्ग प्रशस्त किया.
अजित डोभाल बतौर जासूस लंबे समय तक कार्य कर चुके हैं. उन्होंने पाकिस्तान में सात साल तक अपनी सेवाएं दी हैं. पाकिस्तान में अपने कार्यकाल के दौरान एक दिलचस्प वाकये को कुछ साल पहले खुद अजित डोभाल ने साझा किया था. उन्होंने बताया था कि कैसे उन्हें एक मौलाना जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने पकड़ लिया और कमरे में बंद कर दिया था.
अजीत डोभाल ने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी (RAW) के लिए लंबे समय तक काम किया है. उन्होंने अपनी सेवाएं भारत के विभिन्न राष्ट्रों में, विशेष रूप से पाकिस्तान में, समाप्त की हैं. उन्होंने भारत के सुरक्षा और गुप्तचर के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए अप्रत्याशित महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
मुस्लिम व्यक्ति ने पकड़ लिया
इस वाकये को साझा करते हुए अजित डोभाल ने कहा कि लाहौर के अंदर बड़ी भारी औलिया की एक मजार है, जिसपर बहुत सारे लोग आते हैं. मैं पाकिस्तान में रहता था, वहां अधिकतर मुस्लिम हैं, तो मैं उनके ही बीच रहता था. एक बार मैं उस मजार की ओर से गुजर रहा था.
उस वक्त वहां एक व्यक्ति कोने में बैठा था, उसका व्यक्तित्व काफी आकर्षक था. उसकी बड़ी लंबी सफेद दाढ़ी थी. उसने मुझे बुलाया. उसने कहा कि तुम हिंदू हो, मैंने कहा नहीं. उसने कहा कि मेरे साथ आओ, मैं उसके साथ चला गया. वह दो-चार गलियों से होते हुए मुझे एक कमरे में ले गया और उसने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया.
पता चल गया कि मैं हिंदू हूं
उसने कहा देखो तुम हिंदू हो. मैंने उनसे कहा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं तो उसने मुझसे कहा कि देखिए आपके कान छिदे हुए हैं. अजित डोभाल ने कहा कि जहां का मैं रहने वाला हूं, वहां कर्णभेदन यानि कान छेदने की प्रथा है.
डोभाल ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि मैंने उस व्यक्ति ने मुझसे जब कहा कि मैं हिंदू हूं तो मैंने उससे कहा कि हमारे यहां यह प्रथा थी, लेकिन मैं बाद में मुस्लिम में कंवर्ट हो गया था. लेकिन उस व्यक्ति ने कहा कि तुम बाद में भी कंवर्ट नहीं हुए हो.
उसने कहा कि अपने कान की प्लास्टिक सर्जरी करा लो, इस तरह से घूमना ठीक नहीं है. मैंने करवा ली, लेकिन अभी भी दिखाई देती है, लेकिन अब यह कम दिखाई देती है.
अजीत डोभाल ने पाकिस्तान में भी 7 साल बिताए और 1990 में कश्मीर गए, जब उन्होंने उग्रवादियों (जैसे कुका पार्रे) को कट्टर भारत विरोधी आतंकवादियों को निशाना बनाकर विद्रोह विरोधी बनने के लिए राजी किया. कथित तौर पर इसने 1996 में जम्मू और कश्मीर में राज्य चुनावों का मार्ग प्रशस्त किया.
अजित डोभाल ने बताया कि उस व्यक्ति ने मुझसे कहा कि मैंने आपसे इसलिए यह बात कही है क्योंकि मैं भी हिंदू हूं. उसने कहा कि मेरे पूरे परिवार को इन लोगों ने मार दिया. मैं किसी तरह से यहां जिंदा हूं, किसी तरह से यहां अपने दिन काट रहा हूं. जब मैं आप लोगों को देखता हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है.
मैंने भी अपना भेष बदला हुआ है. उसने एक आलमारी खोली, उसमे शिव जी और दुर्गा जी की मूर्ति रखी थी, उसने कहा कि मैं इनकी पूजा करता हूं. मस्जिद में लोग मुझे धार्मिक व्यक्ति के रूप में देखता हूं. यह एक छोटी सी घटना है, मेरे मन में कभी होता है कि मैं उनकी मदद कर पाता, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया .