क्या गंभीर के कतरे जाएंगे पर ?

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 04-11-2024
Gambhir's honeymoon is over, India is taking off his wings!
Gambhir's honeymoon is over, India is taking off his wings!

 

आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली

भारत के टी20 विश्व कप खिताब जीतने के तुरंत बाद राहुल द्रविड़ ने रोहित शर्मा के कोच का पद छोड़ दिया. उनकी जगह गौतम गंभीर को कोच बनाया गया। कोच बनने के बाद गंभीर को अतिरिक्त लाभ दिया गया.भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने उन्हें टीम चुनने में पूरी आजादी दी. लेकिन न्यूजीलैंड के हाथों वाइटवॉश के बाद गंभीर पर दबाव बढ़ गया. भविष्य में उन्हें मिलने वाले लाभ को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है.

कोच बनने के बाद गंभीर अब तक कोई सफलता नहीं दिला सके हैं. उनकी पहली यात्रा श्रीलंका की थी। भारत ने वहां टी20सीरीज जीती लेकिन 27साल बाद श्रीलंका से वनडे सीरीज हार गया.बांग्लादेश को घरेलू मैदान पर टेस्ट और टी20मैचों में हराने के बावजूद टीम न्यूजीलैंड से 0-3से हार गई.

यह पहली बार है जब भारत ने घरेलू मैदान पर तीन या अधिक टेस्ट मैचों की श्रृंखला में वाइटवॉश का रिकॉर्ड बनाया है. यानी गंभीर की कोचिंग में भारत ने दो टी20, दो टेस्ट और एक वनडे सीरीज खेली. वे पांच में से दो सीरीज हार चुके हैं. इस हार की जिम्मेदारी टीम के साथ-साथ कोच पर भी आती है. सूत्रों के मुताबिक बोर्ड ने गंभीर को इसकी जानकारी दे दी है.

कोच बनने के बाद बोर्ड ने गंभीर को अतिरिक्त लाभ दिया. बोर्ड के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ''गंभीर को वह मिला जो न तो रवि शास्त्री को मिला और न ही राहुल द्रविड़ को. बोर्ड के नियमों के मुताबिक, टीम चयन के दौरान कोच मौजूद नहीं रह सकते। लेकिन गंभीर को इसकी इजाजत दे दी गई है. वह ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम चयन बैठक में थे.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंभीर के कहने पर ही आईपीएल फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स के हर्षित राणा और सनराइजर्स हैदराबाद के नितीश रेड्डी को ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम में जगह मिली। चयनकर्ताओं ने पहले उनके बारे में नहीं सोचा. लेकिन गंभीर ने इन दोनों युवाओं को टीम में रखने के लिए मजबूर कर दिया. अगर वह फिर भी सफलता नहीं दिला पाए तो अगली सीरीज में उन्हें यह फायदा नहीं मिलेगा. यानी पार्टी चयन के दौरान वह मौजूद नहीं रह सकते. उन्हें मतदाताओं पर निर्भर रहना होगा.

गंभीर के फैसले पर सवाल

कोच बनने के बाद गंभीर को जो फायदा मिला उसके मुताबिक वह सफलता नहीं दिला सके. इसके उलट उनके कुछ फैसलों की आलोचना हो रही है. भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पिच का गलत आकलन किया. इसका सबसे बड़ा उदाहरण रोहित शर्मा का बेंगलुरु के बादल भरे मौसम में टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने का फैसला है.

बाद में रोहित ने स्वीकार किया कि उन्हें पिच समझ नहीं आई.यह कोच की जिम्मेदारी है. बल्लेबाजी क्रम में कभी विराट कोहली को तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजना, कभी ऋषभ पंत को चौथे नंबर पर उतारना, चीजों को गंभीर बना चुका है. टेस्ट में आमतौर पर बल्लेबाजी क्रम का इतना परीक्षण नहीं किया जाता.अगर भारत इस परीक्षण में सफल हो जाता तो शायद ये सवाल नहीं उठता. इसके उलट उनके फैसले की सराहना की गई. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. परिणामस्वरूप यह प्रश्न उठता है.

हालाँकि इन सबके बावजूद गंभीर को कप्तान रोहित का साथ मिल रहा है.न्यूजीलैंड से हार के बाद रोहित ने कहा कि सिर्फ तीन-चार महीने देखकर किसी भी कोच या सपोर्ट स्टाफ पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. टीम के अनुरूप ढलने में समय लगता है. रोहित ने कहा कि गंभीर के नेतृत्व वाली कोचिंग टीम ने कार्यभार संभालने के बाद से उनकी हर तरह से मदद की है.

ऑस्ट्रेलिया जाने का आखिरी मौका?

न्यूजीलैंड सीरीज ने भारत को हकीकत दिखा दी. जिसका गुस्सा गौतम गंभीर पर भी फूटा. अब शायद नौकरी न जाये. क्योंकि, भारतीय बोर्ड के नियम अलग हैं. यदि किसी को वहां नियुक्त किया जाता है तो वह समय दिया जाता है.लेकिन गंभीर पर उस स्थान को संभालने का अतिरिक्त दबाव है जहां द्रविड़ ने सफलता के साथ छोड़ा था.आईपीएल की कोलकाता नाइट राइडर्स को जीत दिलाने के बाद उन्हें कोच का पद भी मिला.

यानि गंभीर को जीतना आता है. उन्हें अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने का एक और मौका मिलेगा. अगर गंभीर ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतते हैं तो कुछ हद तक अपनी पिछली नाकामी की भरपाई कर सकेंगे. हालांकि, अगर कोच गंभीर ऑस्ट्रेलिया से लौटेंगे तो उनके लिए अपनी नौकरी बचाना मुश्किल होगा.