जब भी हॉकी के मैदान पर उतरता हूं, मां की कुर्बानियां याद आती हैं : दिलराज सिंह

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 11-12-2025
Whenever I step on the hockey field, I remember my mother's sacrifices: Dilraj Singh
Whenever I step on the hockey field, I remember my mother's sacrifices: Dilraj Singh

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली

 
 पढाई से बचने के लिये हॉकी का दामन थामने वाले दिलराज सिंह के दिल को तब ठेस पहुंची जब उन्हें पता चला कि उन्हें गोलकीपिंग किट दिलाने के लिये उनकी मां को अपने गहने बेचने पड़े थे और तभी से उन्होंने ठान ली थी कि खेल के मैदान पर नाम कमाकर परिवार को अच्छे दिन दिखाना है ।
 
यहां जूनियर हॉकी विश्व कप में नौ साल बाद कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के लिये संयुक्त रूप से सबसे ज्यादा छह गोल करने वाले दिलराज अपने जन्मदिन पर मिली जीत के बाद भावुक हो गए और कहा ,‘‘ जीत के बाद सबसे पहले मैने मां (रूपिंदर कौर) से बात की और वह काफी भावुक हो गई थी । वह मेरा मैच नहीं देखती क्योंकि उनको डर लगता है । वह उतने समय अरदास करती रहती हैं । ’’
 
शुरूआती दिनों में गोलकीपर के तौर पर खेलने वाले पंजाब के इस खिलाड़ी ने बताया कि उनके पिता ठीक नहीं रहते थे और मां ने काफी कठिनाइयां झेलकर उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है ।
 
उन्होंने कहा ,‘‘मैने जब पहली गोलकीपिंग किट ली थी तो मेरी मां को अपने गहने बेचने पड़े थे । उनके और मेरे अलावा किसी को यह नहीं पता था । मुझे फिर बहुत दुख हुआ और मैं बहुत संजीदगी से खेलने लगा क्योंकि मैं जब भी मैदान पर उतरता था तो मेरी मां की कुर्बानियां याद आती थी । मेरे पापा ठीक नहीं रहते थे तो सब कुछ मां पर ही निर्भर था और उनकी वजह से ही मैं यहां तक पहुंचा ।’’
 
उन्होंने कहा ,‘‘हालात इतने खराब थे कि कई बार मेरे पास टूर्नामेंट में जाने के लिये भी पैसा नहीं होता था । किसी टूर्नामेंट में ईनाम मिल जाता तो काम चल जाता था ।’’
 
पिछले साल जोहोर कप (तीन गोल) में कांस्य और जूनियर एशिया कप (सात गोल) में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे दिलराज ने कहा कि विश्व कप में मिला पदक इसलिये भी बहुत मायने रखता है क्योंकि इससे भविष्य में उन्हें नौकरी मिलने का मौका बनेगा ।
 
उन्होंने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘मेरे लिये यह पदक बहुत अहम है क्योंकि इससे मुझे नौकरी मिलने का मौका बन सकता है । इसके साथ ही सीनियर टीम में जाने के दरवाजे भी खुलेंगे । घर के हालात ऐसे ही हैं लिहाजा नौकरी मिल जाने से अच्छा होगा ।’’