नई दिल्ली
भारत की महिला क्रिकेट टीम की कई खिलाड़ी न केवल मैदान पर अपने खेल से ध्यान आकर्षित करती हैं, बल्कि उनके शरीर पर बने टैटू भी उनके व्यक्तित्व, सोच और प्रेरणा के प्रतीक बन गए हैं। हर एक टैटू के पीछे एक कहानी है, एक भावना है, जो उन्हें मुश्किल वक्त में सहारा देती है और मैदान पर आत्मविश्वास के साथ उतरने में मदद करती है।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे में 72 रनों की शानदार पारी खेलने वाली अनुभवी ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने बाएं हाथ पर हनुमान जी का टैटू बनवाया है। दीप्ति ने बताया, "जब भी जीवन में मुश्किलें आती हैं, तो हनुमान जी का स्मरण मुझे शक्ति और साहस देता है। मैच के दौरान भी जब कुछ समझ नहीं आता, तो मैं उन्हीं के बारे में सोचती हूं, जिससे मुझे सकारात्मक सोच और ऊर्जा मिलती है।"
80 वनडे मैचों में 1891 रन और 91 विकेट अपने नाम कर चुकी दीप्ति ने यह बात जियो हॉटस्टार के ‘ऑफ द पिच’ कार्यक्रम में साझा की। हालांकि उनकी अर्धशतकीय पारी के बावजूद भारत को 413 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए तीसरे वनडे में 43 रन से हार का सामना करना पड़ा और सीरीज़ 1-2 से हाथ से निकल गई।
अब भारत को आगामी महिला वनडे विश्व कप में 30 सितंबर को श्रीलंका के खिलाफ गुवाहाटी में अपना पहला मैच खेलना है।
स्पिनर स्नेह राणा भी टैटू के जरिए अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। उन्होंने अपने शरीर पर दो टैटू बनवाए हैं। एक टैटू पर "विरोधी" शब्द लिखा है, जिसका मतलब है—किसी उद्देश्य के लिए बागी होना। राणा कहती हैं, “अगर परिस्थितियाँ मेरे खिलाफ हैं, तो मैं उनका डटकर सामना करना चाहती हूं।”
दूसरे टैटू पर संस्कृत में लिखा है—"तव धैर्यं तव बलम् अस्ति", जिसका अर्थ है—‘तेरा धैर्य ही तेरा बल है’। राणा कहती हैं कि यह मंत्र उन्हें संयम बनाए रखने की प्रेरणा देता है। इसके अलावा उन्होंने अपनी पिंडली पर शेर और बाज का टैटू भी बनवाया है। राणा बताती हैं, “शेर साहस, नेतृत्व और स्वतंत्रता का प्रतीक है, जबकि बाज तेज नजर और आक्रामकता का।”
महज 16 साल की उम्र में 2020 विश्व कप टीम में जगह बनाने वाली युवा ऑलराउंडर रिचा घोष का टैटू भी खास है। उन्होंने अपने बाएं हाथ पर बंगाल टाइगर का टैटू बनवाया है। पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की रहने वाली रिचा ने बताया, “यह टैटू मेरे लिए खास है, क्योंकि यह बंगाल टाइगर है और मैं बंगाल से हूं। यह मेरी पहचान से जुड़ा है।”
रिचा ने यह भी बताया कि जब वह बंगाल की सीनियर खिलाड़ी प्रतिभा राणा के साथ एक यात्रा पर थीं, तब राणा ने उनके हाथ पर बाघ का एक स्केच बनाया था। उस वक्त रिचा ने अपने परिवार से वादा किया था कि अगर वह भारतीय टीम में चयनित हो गईं, तो इस स्केच को स्थायी टैटू में बदल देंगी—और उन्होंने ऐसा ही किया।
इन महिला क्रिकेटरों के टैटू केवल शरीर की सजावट नहीं हैं, बल्कि उनकी सोच, जज्बे, आत्मबल और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक हैं। ये टैटू उन्हें मैदान पर संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं और एक खास पहचान भी बनाते हैं। भारतीय महिला क्रिकेट में इन टैटूज़ की कहानियां यह दर्शाती हैं कि खेल भावना, सांस्कृतिक गर्व और आत्म-अभिव्यक्ति किस तरह आपस में जुड़कर एक खिलाड़ी की मानसिक ताकत का हिस्सा बनती हैं।