टीम बैठकों में सिर्फ इसी पर चर्चा होती थी कि पुजारा को कैसे आउट किया जाए: रोहित शर्मा

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 06-06-2025
The only discussion in team meetings was how to get Pujara out: Rohit Sharma
The only discussion in team meetings was how to get Pujara out: Rohit Sharma

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
चेतेश्वर पुजारा को कैसे आउट किया जाए? यह एक ऐसा सवाल था जिस पर रोहित शर्मा और मुंबई के उनके साथी जूनियर क्रिकेट के दिनों में अक्सर चर्चा करते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि सौराष्ट्र का यह बल्लेबाज लगातार दो या तीन दिन बल्लेबाजी करके उनकी उम्मीदों पर सकता है.
 
रोहित ने खुलासा किया कि पुजारा का विकेट अक्सर आयु वर्ग के मैचों में उनकी टीम के लिए जीत या हार का अंतर होता था. यह इस दिग्गज बल्लेबाज के शुरुआती लक्षण थे, जिन्होंने 103 टेस्ट मैचों में 43.60 की औसत तथा 19 शतक और 35 अर्द्धशतक की मदद से 7,195 रन बनाए.
 
रोहित ने गुरुवार को यहां पुजारा की पत्नी पूजा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर्स वाइफ’ के विमोचन के अवसर पर कहा, ‘‘मुझे अब भी याद है कि टीम बैठकें सिर्फ इसी पर केंद्रित होती थीं कि उसे कैसे आउट किया जाए और अगर हम उसे आउट नहीं कर पाते हैं तो हम मैच हार सकते हैं. पूर्व भारतीय कप्तान ने मजाक में कहा कि पुजारा के खिलाफ खेलने से उनका चेहरा इतना बदल जाता था कि उनकी मां भी थोड़ी परेशान हो जाती थीं.
 
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बस इतना याद है कि जब मैं 14 साल का था और मैदान से शाम को जब वापस आता था, तो मेरे चेहरे का रंग बिल्कुल बदल जाता था. रोहित ने कहा, ‘‘क्योंकि वह पूरे दिन बल्लेबाजी करता था और हमें दो-तीन दिन तक धूप में फील्डिंग करनी पड़ती थी। मुझे अब भी याद है कि मेरी मां ने मुझसे कई बार पूछा था कि जब तुम घर से खेलने जाते हो, तो तुम अलग दिखते हो और जब तुम एक हफ्ते या 10 दिन बाद घर आते हो, तो तुम अलग दिखते हो.’’ रोहित ने कहा, ‘‘मैं कहता था, मां मैं क्या करूंं। चेतेश्वर पुजारा नाम का एक बल्लेबाज है। वह तीन दिनों से बल्लेबाजी कर रहा है।’ पुजारा को लेकर हमारी शुरुआती धारणा यही थी.
 
रोहित ने कहा कि करियर की शुरुआत में दोनों घुटनों में एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) की चोट के बावजूद 100 से अधिक टेस्ट खेलने का श्रेय पुजारा को दिया. उन्होंने कहा, ‘‘(यह) बहुत बड़ी और बहुत बुरी चोट थी. उसकी दोनों एसीएल चली गई थीं। किसी भी क्रिकेटर, एक खिलाड़ी के लिए यह बहुत मुश्किल होता है जब वह अपनी दोनों एसीएल गंवा देता हैै. इसके बावजूद वह भारत की तरफ से 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलने में सफल रहा. इसका पूरा श्रेय पुजारा को जाता है. इस अवसर पर पुजारा ने 2016-17 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू मैदान पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को अपने करियर की सबसे मुश्किल श्रृंखला बताया.
 
पुजारा ने कहा, ‘‘मैं एक घटना का जिक्र कर सकता हूं. भारतीय टीम जब 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 200 रन के आसपास आउट हो रही थी तो वह मेरे करियर का सबसे मुश्किल दौर था.’ उन्होंने कहा, ‘‘वह बेंगलुरु में खेला गया दूसरा टेस्ट मैच था। हमारी टीम ने पहली पारी में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था और दूसरी पारी में भी हम परेशानी में थे, लेकिन मैंने अनिल (कुंबले) भाई से नाथन लियोन से निपटने के तरीके के बारे में बात की और उन्होंने तकनीक को लेकर एक सुझाव दिया जिससे मुझे फायदा मिला.
 
पुजारा और रोहित दोनों ने अपने माता-पिता द्वारा उनके करियर को आगे बढ़ाने के लिए किए गए संघर्षों को याद किया. पुजारा ने कहा, ‘‘जब मैं 17 साल का था तब मेरी मां का निधन हो गया था लेकिन जब मैं छोटा था तो मेरे माता-पिता ने मेरा पूरा समर्थन किया। पूजा ने किताब में इसका अच्छी तरह से वर्णन किया है. मुझे याद है कि मेरी मां ने मुझसे कहा था तुम जीवन में जो कुछ भी करो उससे पहले तुम्हें एक अच्छा इंसान बनना पड़ेगा. रोहित ने कहा, ‘‘मुझे मेरे माता-पिता का शुरू से भरपूर समर्थन मिला। मैं जानता हूं कि उन्होंने मेरे और मेरे भाई के लिए कितने त्याग किए हैं, ताकि हम अपनी ज़िंदगी में वो कर सकें जो हमें करना चाहिए.