मुंबई
क्रिकेट के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का मानना है कि इंग्लैंड के खिलाफ हाल में समाप्त हुई टेस्ट सीरीज़ में जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति के बावजूद भारत की जीत एक संयोग मात्र थी। उन्होंने बुमराह को अब भी असाधारण और अविश्वसनीय गेंदबाज़ करार दिया है।
बता दें कि बुमराह ने पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ में केवल तीन मैचों में हिस्सा लिया। इसके बावजूद भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ यह सीरीज़ 2-2 से ड्रॉ कर ली। जिन दो मुकाबलों में भारत को जीत मिली, उनमें बुमराह कार्यभार प्रबंधन के तहत नहीं खेले थे।
तेंदुलकर ने कहा, “बर्मिंघम और द ओवल में भारत की जीत में बुमराह का न खेलना महज एक इत्तेफाक था।” उन्होंने बुमराह के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने तीन मैचों में कुल 14 विकेट लिए।
तेंदुलकर ने रेडिट पर सीरीज़ की समीक्षा करते हुए कहा:“बुमराह ने बेहतरीन शुरुआत की थी। पहले टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने पांच विकेट लिए। उन्होंने दूसरा टेस्ट मिस किया, लेकिन तीसरे और चौथे टेस्ट में खेले। उनमें से एक मैच में उन्होंने फिर से पांच विकेट झटके। तीन में से दो मैचों में उन्होंने पांच-पांच विकेट लिए।”
उन्होंने आगे कहा:“लोग इस पर चर्चा कर रहे हैं कि भारत ने जिन मैचों में बुमराह नहीं खेले, वे जीते। लेकिन मेरे अनुसार यह केवल एक संयोग है। बुमराह की गेंदबाज़ी का स्तर असाधारण है और अब तक का उनका प्रदर्शन अविश्वसनीय रहा है। मैं उन्हें किसी भी तेज़ गेंदबाज़ से बेहतर मानता हूं।”
बुमराह की अनुपस्थिति में मोहम्मद सिराज ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पांचों टेस्ट खेले, 185.3 ओवर गेंदबाज़ी की और 23 विकेट झटके।हालांकि आंकड़ों के हिसाब से बुमराह अब भी सिराज से काफी आगे हैं।
बुमराह: 48 टेस्ट में 219 विकेट
सिराज: 41 टेस्ट में 123 विकेट
बुमराह को अंतिम टेस्ट में आराम देना वर्कलोड मैनेजमेंट का हिस्सा था, जिससे टीम प्रबंधन पर सवाल जरूर उठे, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तेज़ गेंदबाज़ को लेकर कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता।
तेंदुलकर ने वाशिंगटन सुंदर की जमकर सराहना की, जिन्होंने गेंद और बल्ले दोनों से महत्वपूर्ण योगदान दिया।
“वाशिंगटन जब भी खेले हैं, उन्होंने योगदान दिया है। दूसरे टेस्ट में उन्होंने पांचवें दिन लंच से पहले बेन स्टोक्स को शानदार गेंद पर आउट किया, जो मैच का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।”
उन्होंने कहा:“आखिरी टेस्ट में उन्होंने तेज़ गति से 53 रन बनाए। चौथे टेस्ट में जब टीम को टिक कर खेलने की जरूरत थी, उन्होंने ऐसा किया, और पांचवें टेस्ट में जब रन गति की जरूरत थी, तब भी बेहतरीन खेल दिखाया। ‘वैल डन, वाशी।’ मुझे उनका प्रदर्शन बहुत पसंद आया।”
मैनचेस्टर टेस्ट के दौरान इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने ड्रॉ का प्रस्ताव रखा था, जिसे भारत ने ठुकरा दिया। इस पर भी तेंदुलकर ने भारतीय टीम के रुख का समर्थन किया।“लोग कह रहे हैं कि वाशिंगटन और जडेजा ने शतक बनाकर खेल भावना के खिलाफ काम किया, लेकिन मेरा मानना है कि उन्हें पूरा हक था कि वे खेल को जारी रखें और अपने शतक पूरे करें।”
“जब सीरीज़ अब भी जीवंत थी, तब बल्लेबाज़ों ने स्कोर बनाया। इंग्लैंड को किसी भी हाल में आराम नहीं दिया जाना चाहिए था। अगर स्टोक्स चाहते थे कि कोई और गेंदबाज़ी करे, तो वो उनकी मर्जी थी — यह भारत की समस्या नहीं थी।”
तेंदुलकर ने स्टोक्स के उस बयान को भी नकार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपने गेंदबाज़ों को आराम देने के लिए मैच जल्दी खत्म करने की मांग की थी।“आखिरी टेस्ट में इंग्लैंड के गेंदबाज़ों को ताज़ा और फ्रेश क्यों होना चाहिए? क्या इसका कोई ठोस जवाब है?”
तेंदुलकर ने अंत में कहा:“मैं पूरी तरह से भारतीय टीम के साथ हूं — चाहे वह गंभीर हो, शुभमन गिल, जडेजा या वाशिंगटन सुंदर। उन्होंने जो फैसला लिया, मैं शत-प्रतिशत उनके साथ हूं।”