नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि 2014 से पहले खेल विभाग और टीम चयन में होने वाली अनियमितताएं अब समाप्त हो गई हैं। अब गरीब परिवारों के बच्चे भी कड़ी मेहनत और प्रतिभा के दम पर खेलों में शीर्ष स्तर तक पहुँच सकते हैं।
मोदी ने यह बात ‘सांसद खेल महोत्सव’ के मौके पर कही। उन्होंने बताया कि यह महोत्सव शहरों और गांवों के युवाओं में खेल और नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा, “इस महोत्सव से देश को हजारों प्रतिभाशाली खिलाड़ी मिल रहे हैं। खेलों से जो खेल भावना और अनुशासन मिलता है, वही सक्षम युवाओं का निर्माण करता है और ऐसे युवा राष्ट्र का भविष्य बनाते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब दूर-दराज के क्षेत्रों के बच्चे भी खेल में आगे बढ़ रहे हैं, चाहे वे दिव्यांग हों या लड़कियां, और सांसद खेल महोत्सव उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका देता है। उन्होंने बताया कि पहले समाज में खेलने पर बच्चों को डांटा जाता था, लेकिन अब माता-पिता समझ गए हैं कि खेल से जीवन बर्बाद नहीं होता बल्कि बच्चों और समाज की किस्मत बदल सकती है।
मोदी ने कहा कि अब खिलाड़ियों का चयन प्रतिभा के आधार पर होता है, न कि पहुंच या परिचय के आधार पर। 2014 से पहले खेल विभाग और बुनियादी ढांचे में गड़बड़ियां होती थीं, लेकिन अब गरीब बच्चे भी कम उम्र में शिखर तक पहुँच सकते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि कुछ युवा खिलाड़ियों ने हाल ही में खेल मैदान पर 32 या 40 गेंदों में शतक बनाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खेलो इंडिया और सांसद खेल महोत्सव के जरिए युवा प्रतिभाओं की पहचान हो रही है। टियर दो और तीन शहरों में भी विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं बन रही हैं। 2014 से पहले देश का खेल बजट 1200 करोड़ रुपये से कम था, जो अब 3000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। TOPS योजना के तहत खिलाड़ियों को प्रति माह 25-50 हजार रुपये की मदद मिल रही है।
मोदी ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि तोक्यो ओलंपिक में 7 पदक और पेरिस पैरालम्पिक में 29 पदक जीतकर भारत ने दुनिया का ध्यान खींचा है। उन्होंने बताया कि भारत 2030 में राष्ट्रमंडल खेलों और 2036 में ओलंपिक की मेजबानी की तैयारी कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने देश के हर खिलाड़ी से कहा, “आप सिर्फ अपनी जीत के लिए नहीं, अपने देश और तिरंगे की गरिमा के लिए खेल रहे हैं।”
सांसद खेल महोत्सव में गांव, ब्लॉक और संसदीय क्षेत्र स्तर पर प्रतियोगिताएं होंगी। इसमें पारंपरिक खेलों के अलावा फुटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट, रस्साकशी, नींबू-चम्मच दौड़ और बोरी दौड़ जैसी गतिविधियां भी शामिल हैं, ताकि अधिक से अधिक युवा भाग ले सकें।






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