आधुनिक हॉकी अब ‘पावर गेम’, एस्ट्रोटर्फ से खिलाड़ियों को मिलेगा लाभ: अशोक ध्यानचंद

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 25-12-2025
Modern hockey is now a 'power game', and players will benefit from the Astroturf surface: Ashok Dhyanchand
Modern hockey is now a 'power game', and players will benefit from the Astroturf surface: Ashok Dhyanchand

 

कोटा (राजस्थान)

भारतीय हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी और पूर्व कप्तान अशोक कुमार ने कहा है कि आधुनिक दौर की हॉकी अब पूरी तरह से एक “पावर गेम” बन चुकी है, जिसमें शारीरिक ताकत, फिटनेस और महंगे उपकरणों की भूमिका बढ़ गई है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि कलाई के जादू और कलात्मक कौशल पर आधारित पारंपरिक हॉकी अब लगभग इतिहास बन चुकी है।

अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित और महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार कोटा में आयोजित संग्राम सिंह हॉकी कप के 29वें संस्करण में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। इस अवसर पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने हॉकी के बदलते स्वरूप पर खुलकर अपनी राय रखी।

अशोक कुमार ने कहा,“हमारे समय की हॉकी कलाई के दम पर खेली जाती थी, जहां गेंद पर नियंत्रण और रचनात्मकता सबसे अहम होती थी। आज की हॉकी कंधों और ताकत से खेली जा रही है। यही वजह है कि इसे अब ‘पावर हॉकी’ कहा जाने लगा है। खेल के साथ-साथ इससे जुड़ा हर सामान भी बेहद महंगा हो गया है। हमारे दौर में सीमित साधनों में भी खिलाड़ी आगे बढ़ जाते थे।”

उन्होंने हॉकी की तुलना क्रिकेट से करते हुए कहा कि क्रिकेट आज भी अपेक्षाकृत सुलभ खेल है, जहां एक बल्ला, गेंद और कुछ स्टंप से बच्चे शुरुआत कर सकते हैं। इसके विपरीत हॉकी अब एस्ट्रोटर्फ पर निर्भर हो गई है, जिसकी सुविधाएं देश के कई शहरों, कस्बों और कॉलेजों में उपलब्ध नहीं हैं।

1975 का हॉकी विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे अशोक कुमार ने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि जमीनी स्तर पर हॉकी को फिर से मजबूत करने के लिए हर जिले में एस्ट्रोटर्फ या कृत्रिम हॉकी मैदान विकसित किए जाएं। उनका मानना है कि इससे न केवल प्रतिभाओं को अवसर मिलेगा, बल्कि खिलाड़ियों को आधुनिक अंतरराष्ट्रीय हॉकी के अनुरूप प्रशिक्षण भी मिल सकेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि देशभर में हॉकी को जीवित रखने में स्थानीय क्लबों और छोटे टूर्नामेंटों की ऐतिहासिक भूमिका रही है। इन प्रतियोगिताओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करना प्रशासकों, खेल संघों और सभी संबंधित हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी है।

संग्राम सिंह हॉकी कप पर प्रसन्नता जताते हुए अशोक कुमार ने कहा कि इस तरह के टूर्नामेंट हॉकी के अस्तित्व और भविष्य के लिए बेहद जरूरी हैं। कोटा से अपने पुराने संबंधों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इस शहर ने उनकी हॉकी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने गर्व के साथ कहा,“हॉकी हमारी विरासत है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने हॉकी में आठ ओलंपिक स्वर्ण पदक, चार कांस्य और एक रजत पदक जीते हैं। छोटे टूर्नामेंट ही बड़े खिलाड़ी पैदा करते हैं और हमें उन्हें हर हाल में बढ़ावा देना चाहिए।”