नयी दिल्ली
2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी को लेकर भारत की उम्मीदों को अब और इंतज़ार करना होगा। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की नई अध्यक्ष कर्स्टी कोवेन्ट्री ने गुरुवार को यह ऐलान किया कि 2036 ओलंपिक की मेजबानी के चयन की प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगा दी गई है।
उन्होंने बताया कि इस निर्णय के पीछे दो मुख्य कारण हैं —
सदस्य देश इस प्रक्रिया में और अधिक भागीदारी चाहते हैं।
यह तय करना अभी बाकी है कि भावी मेजबान के चुनाव का ‘उचित समय’ क्या होगा।
आईओसी की पहली महिला और पहली अफ्रीकी अध्यक्ष बनीं ज़िम्बाब्वे की पूर्व ओलंपियन कर्स्टी ने लुसाने में अपनी पहली कार्यकारी बोर्ड बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा,
“सदस्यों की ओर से प्रक्रिया की समीक्षा और अस्थायी रोक के लिए भारी समर्थन मिला है। इस पर विचार के लिए एक विशेष कार्य समूह गठित किया गया है।”
कर्स्टी ने कहा कि इससे पहले कि नए मेजबानों को तय किया जाए, लॉस एंजेलिस (2028), ब्रिस्बेन (2032) और फ्रेंच आल्प्स (2030) में होने वाले खेलों के अनुभवों का गहराई से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
“हमें यह तय करना है कि सही समय क्या होगा और भावी मेजबानों का चयन किस तरह किया जाना चाहिए।”
भारत ने पिछले वर्ष अक्टूबर 2024 में 2036 ओलंपिक की मेजबानी को लेकर अपना आशय पत्र (Letter of Intent) सौंपा था। इसके तहत, भारत के खेल सचिव हरि रंजन राव की अगुआई में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल अगले महीने लुसाने में IOC अधिकारियों से अनौपचारिक मुलाक़ात करने वाला है।
कर्स्टी ने पुष्टि की कि
“भारत का प्रतिनिधिमंडल तय कार्यक्रम के अनुसार लुसाने आएगा और यह बातचीत प्रक्रिया का हिस्सा बनी रहेगी।”
इस अस्थायी रोक के फैसले के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि 2036 ओलंपिक की मेज़बानी को लेकर किसी भी निर्णय में अब और विलंब हो सकता है, लेकिन साथ ही यह भी संकेत है कि IOC एक समावेशी, पारदर्शी और दीर्घकालिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता दे रही है।