डिजिटल माध्यमों से अमेज़न के पर्यावरणीय बदलावों की कहानी बता रहे आदिवासी समुदाय: अध्ययन

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 12-09-2025
Tribal communities telling the story of environmental changes in the Amazon through digital media: Study
Tribal communities telling the story of environmental changes in the Amazon through digital media: Study

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
ब्राज़ील में विश्वविख्यात अमेज़न के जंगलों में रहने वाले आदिवासी समुदाय अब डिजिटल माध्यमों की मदद से पर्यावरण में हो रहे बदलावों को स्वयं दर्ज कर रहे हैं और वैश्विक मंचों पर अपनी बात रख रहे हैं.
 
यह जानकारी ब्रिटेन की बॉर्नमाउथ यूनिवर्सिटी की कैरोलिना मचाडो ओलिवीरा और ब्राज़ील के यूनिवर्सिडाडे दो एस्टाडो दी मातो ग्रोसो (यूएनईएमएटी) की एंटोनिया अल्वेज पेरीरा द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आई है.
 
अध्ययन में बताया गया है कि अमेज़न के गहन वर्षा वनों में ध्वनि डिज़ाइनर एरिक तेरेना जैसे आदिवासी संवाददाता अब रिकॉर्डिंग उपकरणों की मदद से वर्षा वन की ध्वनियों को संजो रहे हैं, लेकिन वे स्पष्ट रूप से महसूस कर रहे हैं कि प्रकृति की आवाजें अब मशीनों के शोर में दबती जा रही हैं.
 
 
संस्थापक तेरेना कहते हैं कि अब परंपरागत लोक गीतों की जगह औद्योगिक परियोजनाओं की आवाज़ों ने ले ली है। वे इन अनुभवों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए साझा करते हैं, जिससे स्थानीय अनुभव वैश्विक जलवायु ज्ञान में बदल रहा है.
 
अध्ययन में कहा गया है कि कैसे स्मार्टफोन, फिल्म और सोशल मीडिया जैसे डिजिटल उपकरणों के माध्यम से ब्राज़ील के आदिवासी समुदाय न केवल पर्यावरणीय विनाश का दस्तावेज़ीकरण कर रहे हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की वैश्विक बहस को भी प्रभावित कर रहे हैं.
 
लेखकों के अनुसार, यह आंदोलन अचानक नहीं शुरू हुआ। 2017 में ब्राज़ीलिया में आयोजित 'फ्री लैंड कैंप' के दौरान तेरेना और कुछ ग्वाजाजारा युवाओं ने ‘मीडिया इंडीज़ेना’ की शुरुआत की थी, जिसमें अब तक 128 से अधिक युवाओं को रिपोर्टिंग और कहानी कहने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
 
स्थानीय संकट, वैश्विक चेतना

साल 2023 की शुरुआत में यानामामी समुदाय में मानवीय संकट के दौरान मीडिया इंडीज़ेना की रिपोर्टिंग ने पहली बार इस गंभीर स्थिति की जानकारी दी। अवैध सोने की खदानों के कारण बच्चों में कुपोषण, पारे की विषाक्तता और नदी प्रदूषण जैसी समस्याएं सामने आईं। बाद में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस पर रिपोर्ट की, लेकिन सबसे पहले इसे सामने लाने वाले वही स्थानीय संवाददाता थे.
 
एक अन्य उदाहरण ज़िंगू+ नेटवर्क द्वारा बनाए गए वीडियो ‘आग ज़िंगू की आंखों को जला रही है’ का है, जिसमें अमेज़न के जंगलों में अवैध आगजनी को दिखाया गया था। यह वीडियो अमेरिका और यूरोपीय संघ की विभिन्न वैश्विक संस्थानों की नजर में आया.