आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को वैश्विक कंपनियों का भारत की वृद्धि गाथा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि देश दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यहां ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025’ को संबोधित करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी केवल सुविधा का साधन नहीं, बल्कि समानता का माध्यम भी है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस समावेशी दृष्टिकोण ने भारत की बैंकिंग प्रणाली को बदल दिया है। पहले बैंकिंग एक विशेषाधिकार थी, लेकिन डिजिटल प्रौद्योगिकी ने इसे सशक्तीकरण का साधन बना दिया है। आज डिजिटल भुगतान हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा है और इसका श्रेय ‘जैम तिकड़ी’ यानी जन धन, आधार और मोबाइल को जाता है।’’
मोदी ने कहा कि भारत की वित्तीय-प्रौद्योगिकी (फिनटेक) क्षमता को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल अन्य देशों के साथ प्रौद्योगिकी साझा कर रहा है, बल्कि इसे विकसित करने में भी उनकी मदद कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं सभी देशों, खासकर ब्रिटेन को भारत के साथ साझेदारी के लिए आमंत्रित करता हूं। सभी वैश्विक निवेशक भारत की वृद्धि गाथा का हिस्सा बनें। हमें ऐसा फिनटेक विश्व बनाना है जहां प्रौद्योगिकी, लोग और धरती सबका समान रूप से विकास हो। नवाचार का लक्ष्य केवल वृद्धि नहीं, बल्कि अच्छाई भी होना चाहिए और वित्त का मतलब सिर्फ संख्या नहीं बल्कि मानव प्रगति भी है।’’
भारत के फिनटेक समुदाय के प्रयासों की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा, ‘‘हमारे स्वदेशी समाधान वैश्विक प्रासंगिकता प्राप्त कर रहे हैं। चाहे वह क्यूआर नेटवर्क हो, ओपन कॉमर्स हो या ओपन फाइनेंस फ्रेमवर्क, हमारे स्टार्टअप वृद्धि को दुनिया भर में मान्यता मिल रही है।’’
मोदी ने कहा कि इस वर्ष के पहले छह महीनों में, भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष तीन सबसे अधिक वित्त पोषित वित्तीय प्रौद्योगिकी परिवेश में शामिल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि भारत का डिजिटल ढांचा एक नए खुले परिवेश को जन्म दे रहा है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) छोटे दुकानदारों और एमएसएमई के लिए वरदान साबित हो रहा है, जिससे उन्हें नए बाजारों तक पहुंचने में मदद मिल रही है।’’
उन्होंने कहा कि इसी तरह, ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क (कर्ज के लिए डिजिटल परिवेश) ने छोटे उद्यमियों के लिए ऋण तक पहुंच को आसान बना दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जो कर रहा है, वह खासकर ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के लिए उम्मीद की किरण है। भारत अपने डिजिटल नवाचार के माध्यम से दुनिया में डिजिटल सहयोग और डिजिटल साझेदारी को बढ़ाना चाहता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हम वैश्विक जनहित के लिए अपने अनुभव और ‘ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म’ (सार्वजनिक रूप से सुलभ) दोनों को साझा कर रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कृत्रिम मेधा (एआई) के बारे में कहा कि आज दुनिया में एआई के लिए विश्वास और सुरक्षा नियमों को लेकर बहस चल रही है। हालांकि, भारत ने इसके लिए पहले ही एक भरोसे की परत बना ली है और भारत का एआई मिशन डेटा और गोपनीयता दोनों मुद्दों को संभालने की क्षमता रखता है।