आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम) के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने असम में सरकार के बेदखली अभियान से प्रभावित हुए लोगों से सोमवार को मुलाकात के बाद आरोप लगाया कि डर, धमकी और ताकत के बल पर लोगों को बेघर करना “इंसाफ़ और इंसानियत” दोनों के खिलाफ है.
संगठन ने राष्ट्रीय राजधानी में जारी एक बयान में बताया कि मौलाना मदनी की अध्यक्षता वाले प्रतिनिधिमंडल ने असम में उन राहत शिविरों का दौरा किया, जहां बुलडोज़र कार्रवाइयों के कारण बेघर हुए सैकड़ों परिवार शरण लिये हुए हैं.
बयान में संगठन ने आरोप लगाया है कि “असम में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार और नफ़रत व कट्टरता की बढ़ती लहर के बीच” जमीयत का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को पूर्वोत्तर राज्य पहुंचा.
इसमें कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल ने कई प्रभावित इलाक़ों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात की.
बयान के अनुसार, मौलाना मदनी ने कहा कि वह अतिक्रमण हटाने के खिलाफ नहीं है.
राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका के आदेशों को नजरअंदाज़ करके लोगों को बेघर करना और कानून की जगह डर, धमकी और ताक़त का इस्तेमाल करना इंसाफ़ और इंसानियत दोनों के खिलाफ़ है.
उन्होंने कहा कि जयीमत उलेमा-ए-हिंद हमेशा से मज़लूमों (उत्पीड़ितों) के साथ खड़ी रही है और आगे भी खड़ी रहेगी.
जमीयत की कार्यसमिति की पिछले महीने हुई बैठक में असम में जारी बेदखली अभियानों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी, जिसके कारण 50,000 से अधिक परिवार बेघर हो गए हैं, जिनमें ज्यादातर बांग्ला भाषी मुसलमान हैं.
संगठन की कार्य समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर संवैधानिक प्राधिकरणों से असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को पद से हटाने और उनके खिलाफ घृणा फैलाने से जुड़े कानूनों के तहत मामला दर्ज करने की मांग की थी.