Kumar Vishwas's wife Manju Sharma resigned from the post of member of Rajasthan Public Service Commission
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा ने सोमवार को राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। शर्मा ने पुलिस उपनिरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा-2021 के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में आयोग के अध्यक्ष और इसके सदस्यों को लेकर उच्च न्यायालय की टिप्पणियों के बाद यह कदम उठाया है.
राज्यपाल को भेजे अपने त्यागपत्र में शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने पेशेवर और निजी जीवन में हमेशा पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ काम किया है.
उन्होंने कहा कि हालांकि किसी भी पुलिस थाने या जांच एजेंसी में उनके विरुद्ध कोई भी जांच लंबित नहीं है और उन्हें कभी आरोपी नहीं बनाया गया, फिर भी भर्ती प्रक्रिया को लेकर हुए विवाद से उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और आयोग की गरिमा को ठेस पहुंची है.
आरपीएससी के सूत्रों ने बताया कि मंजू शर्मा ने अपने इस्तीफे के संबंध में आरपीएससी को एक ईमेल भी भेजा है. हालांकि, इस बारे में टिप्पणी के लिए शर्मा से संपर्क नहीं किया जा सका.
मंजू शर्मा कवि कुमार विश्वास की पत्नी हैं और उन्हें कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान अक्टूबर 2020 में आयोग में नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल अक्टूबर 2026 तक था.
राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने राजस्थान पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती-2021 के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में अपने हालिया आदेश में आरपीएससी के बारे में कई कड़ी टिप्पणीणियां की थीं.
अदालत ने कहा कि सदस्यों की संलिप्तता आरपीएससी के भीतर प्रणालीगत भ्रष्टाचार को दर्शाती है... जिससे साक्षात्कार और लिखित परीक्षा, दोनों चरणों में भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता से समझौता हुआ है.
अदालत ने कहा कि वह उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा-2021 की विवादित भर्ती प्रक्रिया को रद्द करना "नितांत आवश्यक और उचित" मानती है.
आरपीएससी के सदस्यों पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘प्रश्नपत्र लीक होने और साक्षात्कार प्रक्रिया में पूर्वाग्रह पैदा करने में अपनी सक्रिय संलिप्तता या इसकी जानकारी के माध्यम से आरपीएससी सदस्य बाबू लाल कटारा, रामूराम रायका, मंजू शर्मा, संगीता आर्य, जसवंत राठी और अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय ने परीक्षा की शुचिता को व्यवस्थित और बड़े पैमाने पर खतरे में डाला.’’
इसमें कहा गया है,‘‘परीक्षा की शुचिता पर हमला केवल बाहरी असामाजिक तत्वों का काम नहीं था, बल्कि आरपीएससी के इन्हीं सदस्यों ने इसे बढ़ावा दिया.
आदेश के अनुसार आरपीएससी पर जनता के भरोसे को पहुंचे आघात ने भर्ती प्रक्रिया और भर्ती परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्थाओं के प्रति भरोसे का संकट पैदा कर दिया। आदेश में आंतरिक मिलीभगत और भ्रष्टाचार के विनाशकारी प्रभाव को उजागर करने के लिहाज से ‘घर का भेदी लंका ढाए’ मुहावरे की प्रासंगिकता को रेखांकित किया गया.