शुल्क विनियमन विधेयक अभिभावकों के बजाय निजी विद्यालयों के पक्ष में : आतिशी

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 08-08-2025
Fee regulation bill favours private schools rather than parents: Atishi
Fee regulation bill favours private schools rather than parents: Atishi

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

 
दिल्ली की पूर्व शिक्षा मंत्री आतिशी ने बृहस्पतिवार को भाजपा नीत सरकार द्वारा विधानसभा में पेश विद्यालय शुल्क विनियमन विधेयक की बृहस्पतिवार को आलोचना करते हुए दावा किया कि यह अभिभावकों के बजाय निजी विद्यालयों के पक्ष में है.
 
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें स्कूल शुल्क वृद्धि में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रावधानों का अभाव है.
 
आतिशी ने दिल्ली स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण एवं विनियमन विधेयक, 2025 में पारदर्शिता के बारे में ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा कि यह विधेयक ‘‘विद्यालय की वित्तीय स्थिति का आकलन करने के लिए ऑडिट कराने के तंत्र को शामिल करने में विफल रहा है.’
 
उन्होंने दावा किया कि इस तरह का तंत्र ही मनमानी शुल्क वृद्धि की निगरानी करने का एकमात्र प्रभावी तरीका है.
 
उन्होंने कहा,‘‘क्या कोई विद्यालय अनुचित तरीके से शुल्क बढ़ा रहा है, यह निर्धारित करने का एकमात्र तरीका ऑडिट है लेकिन ‘ऑडिट’ शब्द का उल्लेख विधेयक में एक बार भी नहीं किया गया है.’’
 
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री ने विधेयक में उल्लिखित शिकायत तंत्र के बारे में भी चिंता जताई, जिसके अनुसार शिकायत दर्ज कराने के लिए न्यूनतम 15 प्रतिशत अभिभावकों की सहमति आवश्यक है.
 
उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चे के स्कूल में केवल 20 से 30 अन्य लोगों को ही जानते हैं, जिससे 15 प्रतिशत की सीमा को पूरा करना लगभग असंभव हो जाता है। इस प्रावधान के कारण माता-पिता के लिए अपनी चिंताएं व्यक्त करना मुश्किल हो जाता है।’’
 
आतिशी ने कहा कि नए विधेयक में माता-पिता को अपनी शिकायतों के लिए उच्च न्यायालय जाने की अनुमति देने वाला एक पुराना प्रावधान भी हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे परिवारों के लिए उपलब्ध कानूनी विकल्प सीमित हो जाते हैं.
 
आम आदमी पार्टी (आप) विधायक और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने विधेयक में प्रस्तावित शुल्क विनियामक समिति की अध्यक्षता स्कूल प्रबंधन के एक सदस्य द्वारा करने के प्रावधान पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इससे प्रक्रिया की निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है.
 
दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को शिक्षा मंत्री आशीष सूद द्वारा पेश किए गए इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा शुल्क वृद्धि को विनियमित करना है.
 
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि मनमाने ढंग से शुल्क बढ़ाने के दोषी पाए गए निजी विद्यालयों पर पहली बार में एक लाख रुपये से तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। बार-बार उल्लंघन करने पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.