आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
संभल में पिछले वर्ष नवंबर में हुई हिंसा के मामले में संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क को राहत देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संभल की विशेष सांसद-विधायक (एमपी-एमएलए) अदालत में बर्क के खिलाफ लंबित मुकदमे में आगे की सुनवाई करने पर शुक्रवार को रोक लगा दी.
यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने बर्क द्वारा दायर याचिका पर पारित किया। बर्क ने अपने खिलाफ आरोप पत्र और संपूर्ण मुकदमे को चुनौती दी है.
निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगाते हुए अदालत ने सरकारी वकील को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया और अगली सुनवाई की तिथि नौ सितंबर तय की.
बर्क के वकील ने अदालत में दलील दी कि,‘‘ संभल से सांसद बर्क को इस मामले में गलत फंसाया गया है। उनका भाषण सांप्रदायिक नहीं था और उन्होंने हिंसा नहीं भड़काई थी। वह घटना के दिन बेंगलुरु में थे.’’
संभल हिंसा के आरोपी और प्राथमिकी में नामजद सुहैल इकबाल को पुलिस द्वारा पहले ही बरी किया जा चुका है। भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (बीएनएनएस) की धारा 528 (उच्च न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियां) के तहत दायर मौजूदा याचिका में बर्क ने आरोप पत्र और संभल हिंसा मामले में अपने खिलाफ जारी संज्ञान आदेश को चुनौती दी है.
इस मामले में राज्य सरकार और उप निरीक्षक दीपक राठी को पक्षकार बनाया गया है.
यह मामला 24 नवंबर, 2024 को संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गई थी और कई अन्य लोग घायल हुए थे.
इस घटना के बाद उप निरीक्षक दीपक राठी ने कोतवाली पुलिस थाना में सांसद बर्क, सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल और कई अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.