Drug de-addiction in Kashmir: उम्मीदें अभी ख़त्म नहीं हुई

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 25-06-2023
कश्मीर में नशामुक्तिः उम्मीदें अभी ख़त्म नहीं हुई हैं
कश्मीर में नशामुक्तिः उम्मीदें अभी ख़त्म नहीं हुई हैं

 

एहसान फाजिली / श्रीनगर

एक बुजुर्ग व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर प्रसारित एक अदिनांकित वीडियो में, अपने परिवार और अन्य लोगों को किसी भी नुकसान से बचाने के लिए ‘अपने (ड्रग एडिक्ट) बेटे को गिरफ्तार करने’ की जोरदार अपील की है. यह उन परिवारों की असहायता की दुर्दशा है, जिन परिवारों के अधिकांश बच्चों की नशे की लत नहीं छूट पा रही है और इस बुराई ने दशकों से कश्मीर को अपनी चपेट में ले लिया हुआ है. सबसे महंगा हेरोइन नशा अधिकारियों के लिए एक चुनौती बन गया है.

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने एक सांसद द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में 30 मार्च, 2023 को लोकसभा को सूचित किया कि नशीली दवाओं के खतरे ने जम्मू और कश्मीर में लगभग दस लाख युवाओं, यानी लड़कों और लड़कियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. इससे पता चला है कि 1.08 लाख पुरुष और 36,000 महिलाएं भांग का उपयोग कर रही हैं, 5.34 लाख पुरुष और 8,000 महिलाएं ओपिओइड का उपयोग कर रहे हैं और 1.6 लाख पुरुष और 8,000 महिलाएं विभिन्न शामक दवाओं का उपयोग कर री हैं. बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं कोकीन, एम्फैटेमिन-प्रकार के उत्तेजक (एटीएस), और हेलुसीनोजेन के आदी हैं.

इस परिदृश्य में, नशीली दवाओं के आदी लोगों के बीच आक्रामकता के कई मामले सामने आए हैं. जैसा कि सोशल मीडिया पर वीडियो में सामने आया है. इनमें से कई पर किसी का ध्यान नहीं जाता है. वीडियो में व्यक्ति ने खुलासा किया कि उसके (ड्रग एडिक्ट) बेटे के कारण उसके पिता और माँ को ‘ब्रेन हेमरेज’ का सामना करना पड़ा. ‘नशे की लालसा, बेचैनी’ या अन्य संबंधित कारणों से आक्रामक नशेड़ियों के हाथों हत्या (मातृहत्या) की तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं. इस साल 29 मार्च को बारामूला जिले में एक महिला की उसके नशेड़ी बेटे ने हत्या कर दी, जबकि दो अन्य घटनाएं पिछले साल अक्टूबर और दिसंबर में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में हुईं. 22 दिसंबर को अनंतनाग के ऐशमुकाम इलाके में एक नशेड़ी ने अपनी मां और दो अन्य लोगों की हत्या कर दी, जबकि एक अन्य नशेड़ी ने पिछले साल अक्टूबर में अनंतनाग के केहरिबल में अपनी मां की हत्या कर दी.

एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज, बेमिना में मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. अब्दुल माजिद ने आवाज-द वॉयस को बताया, ‘‘हेरोइन अब इंजेक्शन के रूप में एक चुनौती है... हमने बहुत कुछ देखा है.’’ उन्होंने कहा कि ये संख्या लगातार बढ़ रही है और इसके परिणामस्वरूप युवाओं में हेपेटाइटिस बी और सी चिंता का विषय है. यह एक जानलेवा बीमारी है. उन्होंने कहा कि “संघर्ष में कई युवा खो गए हैं. इस नशीली दवा के खतरे के जारी रहने से कितने लोग बर्बाद होने की कगार पर हैं, कोई नहीं जानता.”

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हालाँकि, डॉ. अब्दुल माजिद के अनुसार, आशा पूरी तरह ख़त्म नहीं हुई है. कई चरणों के दौरान नशीली दवाओं के दुरुपयोग की ‘रोगियों की घटती प्रवृत्ति’ देखी गई है. उन्होंने गिरावट की प्रवृत्ति का श्रेय, भले ही अस्थायी हो, माता-पिता, परिवारों, पुलिस और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रयासों को दिया. उन्होंने बताया, ‘‘अब उसी संख्या में, यहां तक कि कई बार कम संख्या में मरीज भी अस्पताल आ रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह काफी हद तक इस कारण हो सकता है कि भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर के अधिकांश जिलों में व्यसन उपचार सुविधाएं खोली हैं.’’

अपनी धार्मिक संस्कृति के कारण सामाजिक रूप से स्वीकृत, डॉ. अब्दुल माजिद ने कहा कि नशीली दवाओं से ‘रोकथाम और संरक्षण’ सभी हितधारकों का कर्तव्य है, चाहे वह स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, मीडिया, कानून प्रवर्तन एजेंसियां, गैर सरकारी संगठन, धार्मिक नेता आदि हों. नेताओं और प्रचारकों को नशीली दवाओं की लत के खतरे को रोकने के लिए इसके बारे में बात करनी होगी.

युवा सेवाओं के प्रयासों से सफलतापूर्वक विषमुक्त किए गए रोगियों का पुनर्वास किया जा सका. खेल, कौशल विकास संस्थान, और समाज कल्याण विभाग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए... रोकथाम, उपचार और पुनर्वास नशीली दवाओं के खतरे के सफल उन्मूलन के लिए आधारशिला हैं.

 


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भारत सरकार द्वारा एक औषधि उपचार केंद्र (डीटीसी) स्थापित किया गया. (जेवीसी) एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज, बेमिना, श्रीनगर में 2019 में, नशीली दवाओं की लत की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, इस साल फरवरी में अस्पताल में एक लत उपचार सुविधा (एटीएफ) का उद्घाटन किया गया था. एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अब्दुल माजिद ने कहा, ‘‘2018 से पहले हमें कभी-कभार ऐसे कुछ मामले देखने को मिलते थे, क्योंकि ऐसे मरीजों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं थी. इस दौरान डीटीसी में लगभग 1500 मरीजों का इलाज किया गया.

पिछले ढाई साल. डॉ. अब्दुल माजिद ने आवाज-द वॉयस को बताया, ‘‘दो या तीन नए मामलों सहित लगभग सौ मरीज प्रतिदिन केंद्र में आते हैं.’’ डॉ. अब्दुल माजिद ने बताया, ‘‘हमने पाया कि सेवाओं की कमी थी और इसलिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने व्यसन उपचार सुविधा (एटीएफ) केंद्र को मंजूरी दी.’’ इसका उद्घाटन इसी साल फरवरी में हुआ था. जम्मू और कश्मीर में 10 एटीएफ केंद्रों में से एक है और इसका उद्देश्य ‘नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और पीड़ितों के लिए उपचार सुविधा’ के बीच अंतर को पाटना है.

एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल, बेमिना में नशीली दवाओं के आदी रोगियों का इलाज किया जाता है. डॉ. अब्दुल माजिद ने कहा, कम से कम 40-60 प्रतिशत रोगियों में या तो माध्यमिक चिकित्सा या मनोरोग संबंधी समस्याएं हैं. उन्होंने आवाज-द वॉयस को बताया कि एटीएफ में पंजीकृत 1700 मरीजों में से 600 मरीज हैं. 30 प्रतिशत हेपेटाइटिस सी या बी से पीड़ित थे. एसकेआईएमएस के सहयोग से एक दवा उपचार केंद्र, सेंट्रल जेल, श्रीनगर में कैदियों के लिए काम कर रहा है, जिसने 320 नशीली दवाओं के आदी लोगों के बीच हेपेटाइटिस के 80 मामले भी दर्ज किए हैं.

 


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एचओडी के अनुसार, तंबाकू सहित नशीली दवाओं के उपयोग की लगभग 10 श्रेणियां हैं. जिसे ‘ड्रग्स का प्रवेश द्वार’ माना जाता है. 2003-04 की शुरुआत में डॉ. अब्दुल माजिद द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि ‘‘घाटी में मादक द्रव्यों के सेवन का पैटर्न बदल रहा है.’’ इससे पता चला कि 1980 और 1990 के दशक में भांग का बोलबाला था. फिर औषधीय ओपिओइड और बेंजोडायजेपाइन की लत जैसे कोरेक्स, प्रोक्सीवॉन, अल्पैक्स, एटिवन आदि की ओर बदलाव आया.

1990 और 2002 के बीच उथल-पुथल के दौरान, लगातार दर्दनाक घटनाओं के कारण तनाव पैदा हुआ, युवाओं ने दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जबकि 2013-14 तक इन्हेलेंट्स और सॉल्वैंट्स ने अपनी जगह बना ली. 2016-17 तक ओपियोइड्स, चिट्ठा (पाउडर), फॉइल्स आदि ने कब्जा कर लिया. हाल ही में यह इंजेक्टेबल हेरोइन है, जिसका मुख्य रूप से उपयोग किया जा रहा है.

एनडीडीटीसी (राष्ट्रीय) द्वारा मादक द्रव्यों के उपयोग की मात्रा पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण आयोजित किया गया गया. ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर, एम्स नई दिल्ली ने मनोचिकित्सा विभाग, एसकेआईएमएस बेमिना के सहयोग से वास्तव में एक चिंताजनक प्रवृत्ति दिखाई, जिसके बाद एक अध्ययन किया गया. इनपेशेंट प्रबंधन की आवश्यकता वाले कुछ मामलों को ध्यान में रखते हुए, मनोरोग विभाग ने एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज बेमिना श्रीनगर में आधुनिक ड्रग एडिक्शन ट्रीटमेंट की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव पहले ही प्रस्तुत कर दिया है, जिसे जनशक्ति विकास के लिए अनुमोदन की आवश्यकता है, क्योंकि बुनियादी ढांचा पहले से ही उपलब्ध है. डॉ. माजिद ने कहा कि उन्हें जम्मू-कश्मीर के वर्तमान प्रशासन से मंजूरी मिलने की बहुत उम्मीद है, क्योंकि सरकार नशीली दवाओं की लत के खतरे से निपटने के लिए बहुत गंभीर है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर परिवारों, समाज और राष्ट्र को खतरा पैदा हो गया है.

 


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श्रीनगर के एक इलाके के 30 वर्षीय अबुल मन्नान (बदला हुआ नाम), पिछले आठ महीनों से केंद्र में इलाज करा रहे हैं, लगभग 15 वर्षों तक नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बाद वे एक बदले हुए व्यक्ति हैं. उन्होंने खुलासा किया, ‘‘जब मैं चौथी कक्षा में था, तभी मैं इसका शिकार हो गया, जब (स्कूल का) बाहर का एक दोस्त आदतन नशीली दवाओं का सेवन करता था.’’ एक ही आयु वर्ग में कुल मिलाकर चार बच्चे थे, जब उन्होंने स्कूल से बंक करना शुरू किया और शुरू में उन्हें ‘तरल पदार्थ’ (सुधार तरल पदार्थ) लेने की आदत हो गई. बाद में मैंने खुद ही ‘पदार्थ’ खरीदना शुरू कर दिया. यह सब दो साल तक चलता रहा. फिर मुझे अपने से बड़ी उम्र के लड़कों का साथ मिला, जो कोरेक्स, कैप्सूल या चरस जैसी दवाइयों के आदी थे. मैं एक दिन में वरिष्ठ नागरिकों द्वारा ली जाने वाली पूरी स्ट्रिप के मुकाबले दो या चार कैप्सूल लेता था.’’

उन्होंने खुलासा करते हुए कहा कि यह अभ्यास अगले दो से तीन वर्षों तक जारी रहा. उन्होंने बताया कि फिर से वह लगभग तीन वर्षों तक कोरेक्स की दो या तीन बोतलें पीने का आदी हो गया और तब तक उसने अपनी स्कूली शिक्षा बंद कर दी थी. इसके बाद, मन्नान को पन्नी और सिगरेट के इस्तेमाल की लत लग गई, जिसके कारण जब वह 20 की उम्र की दहलीज पर थे, तब उनकी ‘मानसिक गड़बड़ी’ हो गई थी. ‘स्मृति हानि’ जैसी समस्याओं को दिखाने के लिए उन्हें कश्मीर में ‘सामाजिक कलंक’ से बचने के लिए जम्मू के एक पुनर्वास केंद्र में भेजा गया था. उन्हें नशीली दवाओं का सेवन याद है, जिसकी कीमत उन्हें प्रतिदिन 800 से 1500 से 3400 रुपये तक होती थी.

मन्नान ने मुख्य रूप से अपने परिवार के कठिन प्रयासों के कारण पिछले दो वर्षों से नशीली दवाओं के उपयोग को छोड़ दिया है, हालांकि शुरुआत में उन्हें शरीर में दर्द महसूस होता था. उन्होंने खुलासा किया, ‘‘मैं एक होटल चलाता था और मेरे लिए ड्रग्स के लिए पैसे जुटाना आसान था... जबकि परिवार का मुझ पर से भरोसा उठने के बाद मेरे छोटे भाई ने कारोबार संभाल लिया है.’’ उसे इलाके में इंजेक्शन वाले पदार्थ के कारण अपने एक साथी की मौत की जानकारी भी है, क्योंकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण युवाओं की कई मौतों की सूचना मिली है.

 


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उन्होंने खुलासा किया कि ‘‘युवाओं को यह (पदार्थ) मेरे जैसे अन्य युवाओं से मिल रहा है, जिनमें छात्र भी शामिल हैं.’’ उन्होंने खुलासा किया कि छात्र इसे पंजाब या अन्य राज्यों से लेकर आये थे. जब मन्नान से नशीली दवाओं के दुरुपयोग का शिकार हो रहे युवाओं को संदेश देने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा, “आपको नशे की लत से नहीं जुड़ना चाहिए, क्योंकि इसके बाद जीवन शून्य हो जाता है.” उन्होंने कहा कि मेरा भाई भी सुरक्षित रहा, जिसने घर की सारी जिम्मेदारियां संभाल लीं. उन्होंने इलाज कराकर सामान्य जीवन जीने और नई शादीशुदा जिंदगी शुरू करने का संकल्प लिया, जबकि उनके छोटे भाई की शादी एक साल से अधिक समय पहले हुई थी. इलाज पूरा होने के बाद उनकी शादी करने की योजना है.