वाराणसी. बीएचयू से धर्मशास्त्र की पढ़ाई कर ज्योतिषी बने सैयद हसन रजा हिंदू-मुस्लिम क्लाइंट्स की दुविधाओं को दूर करते हैं. इस्लाम धर्म में भाग्य बताने वाली विधा इल्म-ए-जफर की जगह ज्योतिष शास्त्र के सहारे सैयद कुंडलियां बनाते हैं. अनुष्ठान के दिन तय करते हैं. पिछले 4 साल में 1000 से ज्यादा कुंडलियां बना चुके हैं.
अमरउजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में चल रहे अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में शनिवार को आए सैयद ने अमर उजाला संवाददाता से खास बात की. उन्होंने बताया कि बीएचयू से ही स्नातक और परास्नातक में डिप्लोमा किया है.
2022 के बाद से अब तक प्रैक्टिस कर रहा हूं. घर चंदौली के मुगलसराय के बरहुली गांव में है. पिता किसान और शायर मोहसिन रजा मायम चंदौलवी हैं. ज्योतिष-वास्तु में यूजी-पीजी डिप्लोमा करने के बाद एमए-एस्ट्रोलॉजी किया.
सैयद ने कहा, भारत के किसान अपनी खेती की शुरुआत मुहूर्त तिथि-नक्षत्र देखकर ही करते हैं. दादा और पिता दोनों ही किसान हैं. मेरे अंदर भी वहीं से ज्योतिष का बीज पड़ा और मैंने इसकी शिक्षा ली. पिता ने इस पढ़ाई के लिए पूरी मदद की और धन मुहैया कराया. मेरे घर के परिवेश में ज्ञान लेने के लिए कोई रोकटोक नहीं थी. हर किसी को कहीं से भी ज्ञान लेने का अधिकार है.
सैयद ने कहा कि हर वर्ग के अमीर-गरीब हमारे पास आते हैं. अपनी दुविधाओं का निवारण करते हैं. भाग्य कैसा रहेगा ये भी बताया जाता है. विवाह के लिए कुंडली और शुभ मुहूर्त निकाली जाती है. कुंडली विश्लेषण, कुंडली तैयार करना, पंचांग से तिथि का निर्धारण करना आदि काम आसानी से किया जाता है.