हरजिंदर
दुनिया के सात अमीर देशों के संगठन जी-7 का जी-20 में बदल जाना एक बड़ी घटना थी. अगर हम जापान को छोड़ दें तो जी-7 के ज्यादातर देशों में एक तरह की समानता थी. उनकी बहुत सी समस्याएं भी एक जैसी थीं. उनकी आबादी का स्वरूप भी समान था. जापान के अलावा बाकी छह देश तो ईसाई बहुल्य देश ही थे.
लेकिन जैसे ही जी-20 बना ये सारी स्थितियां पूरी तरह बदल गईं। एक ऐसा अंतराष्ट्रीय संगठन सामने आया जिसमें पूरी दुनिया की डायवर्सिटी थी. इसमें अगर दुनिया की सबसे बड़ी हिंदू और सिख आबादी वाला देश भारत है तो सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया और दूसरे नंबर की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश भारत खैर है ही.
मुस्लिम आबादी की ही बात करें तो इसमें सउदी अरब और तुर्की जैसे देश भी हैं जो मुस्लिम विश्व पर अपना एक अलग प्रभाव रखते हैं. इसमें ईसाई आबादी वाले देश भी हैं तो साथ ही चीन और जापान भी हैं जिनकी आबादी की आस्थाएं अलग तरह की हैं.
संयुक्त राष्ट्र के बाद शायद सबसे ज्यादा डायवर्सिटी इसी संगठन में हैं. संयुक्त राष्ट्र की अपनी सीमाएं हैं और जी-20 जैसे संगठनों की खासियत यही है कि ये उन सीमाओं से आगे जाकर कुछ ज्यादा ठोस विमर्श कर सकते हैं.
वैसे जी-20 का एजेंडा आमतौर पर राजनीति, अर्थव्यवस्था और विश्व शांति के प्रयासों के आस-पास रहता है. दुनिया की मौजूदा जरूरतों को देखते हुए इसमें पर्यावरण को भी जोड़ दिया जाता है. पिछले साल जब जी-20 की अध्यक्षता इंडोनेशिया के पास आई तो उसने सोचा कि जी-20 डायवर्सिटी को, खासकर उसकी धार्मिक विभिन्नता को भी किसी तरह विमर्श के केंद्र में लाया जाए.
यह काम वहां के धार्मिक संगठन नहदलतुल उलेमा को सौंप गया. यह वही संगठन है जिसने एक समय वहां उभर रहे धार्मिक उग्रवाद से इंडोनेशिया को मुक्त कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी. पिछले साल इंडोनेशिया में हुए जी-20 के विभिन्न कार्यक्रमों के बीच ही इस संगठन ने एक आयोजन किया जिसे आर-20 कहा गया। आर यानी रिलीजन या धर्म.
इस आयोजन में जी-20 देशों के विभिन्न धर्मो के प्रतिनिधियों को बुलाया गया. इसमें भारत के कईं धर्मगुरू तो गए ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रतिनिधि के रूप में राम माधव भी शामिल हुए. हालांकि इसे लेकर कुछ आपत्तियां भी सुनाई दीं थीं.
इस आयोजन में विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच आपसी समझ-बूझ और सौहार्द बढ़ाने के अलावा उग्रवाद और आतंकवाद का लगातार विरोध करने जैसी बातें भी हुईं. यानी वे सब बातें जिनकी जरूरत दुनिया के लिए बढ़ती जा रही है.
नहदलतुल उलेमा ने अपने इस प्रयोग को सिर्फ जी-20 तक ही नहीं रोका, यही कोशिश उसने आसियान देशों के बीच भी की.क्या आने वाले दिनों में हम आर-20 सम्मेलन की अगली कड़ी की उम्मीद करें ?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )