नजरियाः पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र क्यों है

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 24-07-2021
इमरान खान दो शेरों की सवारी कर रहे हैं
इमरान खान दो शेरों की सवारी कर रहे हैं

 

मेहमान का पन्ना । पाकिस्तान

दीपक वोहरा

पाकिस्तान को क्या तकलीफ है भई?कुछ खास नहीं, बस यह एक यह टूटी टाइम मशीन में फंस गया है.

इस्लाम पाकिस्तान बन गया, पाकिस्तान सेना बन गया, सेना इस्लाम बन गई, यह शोर-शराबा तो अंतहीन है. पक्के ब्रिटिश लहजे के साथ वह हास्यास्पद किरदार, जिसको आप पाकिस्तान का विदेश मंत्री कहते हैं, मई 2021के अंत में एक जापानी अखबार को बता कर गुजरा कि पाकिस्तान की प्राथमिकताएं बदल गई हैं, उसकी विचार प्रक्रिया बदल गई है.

उन्होंने कहा कि एक परिवर्तित पाकिस्तान में हमारी प्राथमिकताएं आर्थिक विकास, मानव विकास, सुरक्षा, आतंकवाद का उन्मूलन और उन्मूलन और चरमपंथ को उलटना है.

और उनका दावा है कि दुनिया ने उनकी बात सुनी, क्योंकि उनके पास परमाणु हथियार हैं.

कोई नहीं सुनता.

इसमें से चूंकि कश्मीर नदारद था. ऐसे में, उनके बॉस ने जून 2021 में भारत को चेतावनी दी (प्रधानमंत्री के साथ सभी दलों के साथ कश्मीर की स्थिति पर चर्चा करते हुए) कश्मीर की स्थिति में कोई और बदलाव नहीं करें और इसी बात को जुलाई 2021 में दोहराया.

चचा इमरान का कहना है कि अगर कश्मीर मुद्दे को सुलझा लिया जाता है, तो पाकिस्तान को परमाणु हथियारों की आवश्यकता नहीं होगी, जिसका अर्थ है कि हथियारों का इस्तेमाल कश्मीर में और उसके लिए किया जाना है!

उन्होंने दावा किया कि कोई भी देश जिसका पड़ोसी उसके आकार से सात गुना बड़ा होगा, चिंतित होगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान किसी भी मामले में भारत से पीछे नहीं है.

सीपीईसी के तहत चीन द्वारा वित्त पोषित ऊर्जा परियोजनाओं पर देनदारियां 31अरब डॉलर से अधिक हैं और बीजिंग ने 2021में आने वाली देनदारियों में 3अरब डॉलर का पुनर्गठन करने से इनकार कर दिया है. चीन को लगता है कि इस्लामाबाद संभवतः भुगतान नहीं कर सकता है.

2018के अपने पहले ट्वीट में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शोक व्यक्त किया था: "संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले 15वर्षों में मूर्खतापूर्ण तरीके से पाकिस्तान को 33अरब डॉलर से अधिक की सहायता दी है, और उन्होंने हमें झूठ और छल के अलावा कुछ नहीं दिया है."

अपने छह महीने के कार्यकाल में, जो बाइडेन ने पाकिस्तान को नजरअंदाज कर दिया. आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका के कभी अग्रिम सहयोगी रहे पाकिस्तान के वजीरेआजमइमरान खान इसी की वजह से जुलाई में वाशिंगटन पोस्ट में एक लेख लिखा, जो असल में पाकिस्तान की भिखमंगई का नमूना भर है.

तमाम लीपापोती के बावजूद (वैश्विक आतंकवादी हाफिज सईद वगैरह के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट सहित) के बावजूद, जून 2021में 39-सदस्यीय वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को अपनी "ग्रे सूची" में देशों की बढ़ी हुई जांच के तहत बनाए रखा.

मार्च 2021में, एक पाकिस्तानी थिंक टैंक ने कहा कि एफएटीएफ(2008-2019) द्वारा पाकिस्तान की बार-बार ग्रे-लिस्टिंग के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था के बारे में बढ़ते संदेह, स्थानीय निवेश, निर्यात और विदेशी प्रत्यक्ष में गिरावट के कारण, सकल घरेलू उत्पाद में38अरब डॉलर के निवेश का नुक्सान हो सकता है.

1947के बाद से पाकिस्तान की लागत का मेरा अपना आकलन 300अरब अमेरिकी डॉलर (2021के मूल्यों से) है. 2019में, निर्वासित तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने कश्मीर में हमले करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूहों का समर्थन और प्रशिक्षण दिया था. जुलाई 2019में, वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान नियाज़ी ने संयुक्त राज्य अमेरिका में स्वीकार किया कि पाकिस्तान में 30,000 से 40,000सशस्त्र आतंकवादी थे.

ओसामा बिन लादेन 2011में पाकिस्तान में मारा गया था. चिचा नियाज़ी और उनके विदेश मंत्री दोनों ही उन्हें शहीद कहते हैं!

उन्होंने अपने कंचे खो दिए हैं.

मजे की बात यह है कि सबसे अच्छे दोस्त नास्तिक चीन का अपने मुसलमानों पर घोर दमन पाकिस्तान से एक चीख़ तक नहीं उठती! कुछ साल पहले, अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन ने लिखा था कि ईरान के संभावित अपवाद के साथ, पाकिस्तान आतंकवाद का दुनिया का सबसे सक्रिय प्रायोजक था.

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का अद्भुत विदेश मंत्री और प्राथमिकताओं में बदलाव के वादे से सवाल उठता है: अचानक हृदय परिवर्तन से पहले पाकिस्तान की प्राथमिकताएं क्या थीं? आतंकवाद, हाफिज सईद, कुछ भी और वह सब कुछ जो भारत विरोधी था, इस्लामी कट्टरवाद, चीन की चमचई, कश्मीर की लालसा?

कोई यह क्यों पूछ सकता है कि क्या अचानक फोकस में बदलाव आया है?

तालिबान को पाकिस्तान पर भरोसा नहीं है, क्योंकि उन्हें लगता है कि पाकिस्तान ने छोड़ दिया है और 9/11के बाद उन्हें "सॉरी दोस्तों" कहे बिना भी अमेरिकी खतरों (बम के लिए आप पाषाण युग की विविधता) के कारण लड़े, भले ही अफगानिस्तान में बढ़ते भारतीय और ताजिक प्रभाव से भयभीत पाकिस्तान ने अपने मोथबॉल मुजाहिदीन प्रशिक्षण का नवीनीकरण किया हो कुछ वर्षों के भीतर शिविरों और गुप्त समर्थन को फिर से शुरू किया.

यह महसूस करते हुए कि उनकी सेना एक अमेरिकी भाड़े की सेना बन गई है, दिसंबर 2007में पूर्व पाकिस्तानी-प्रशिक्षित मुजाहिदीन ने अल कायदा और इस्लामिक स्टेट

के समर्थन से एक आतंकवादी अभियान के माध्यम से राज्य की सत्ता पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच के इलाकों में तहरीक-ए-तालिबान इन पाकिस्तान (टीटीपी) का गठन किया.

कश्मीर पाकिस्तान की शाश्वत टीस है, जिसे वह भारत से छीनना चाहता है, और अफगानिस्तान उसका सपना निराशाजनक रूप से खट्टा हो गया है. कुछ लोग याद कर सकते हैं कि सिजेरियन जन्म के कुछ हफ्तों के भीतर (यह अपने पिता के अनुसार विकृत निकला), पाकिस्तान ने राज्येतर ताकतों के हाथो में खेलना शुरू कर दिया.

उसने 1947, 1965, 1971, 1999 में कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिश की, यह उम्मीद करते हुए कि उसकी बाहरी आक्रामकता कश्मीर घाटी में आंतरिक विद्रोह को भड़काएगी. ऐसा नहीं हुआ और पाकिस्तान अपनी मूर्खता पर पछताता रहा.

कश्मीरियों को पाकिस्तान नामक इस्लामिक पनाहगाह में जन्नत का वादा किया गया था. अब उनका मज़ाक उड़ाया जा रहा है क्योंकि वे कश्मीर की स्थिति के नियमितीकरण के खिलाफ नहीं उठे थे जब भारत ने धारा 370को समाप्त कर दिया था.

कश्मीरी पाकिस्तान से नाराज हैं.

क्या पाकिस्तान के पास कश्मीर से परे कोई कल्पना है? इसने 1950के दशक में भारत के पूर्वोत्तर में (चीन से आशीर्वाद के साथ) खिलवाड़ करना शुरू कर दिया, विशेष रूप से नागालैंड और मिजोरम में. विद्रोही नेताओं ने हथियारों और प्रशिक्षण के लिए पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान और चीन का दौरा किया.  

पूर्वी पाकिस्तान के अलग होने के साथ, ढाका में कई नागा और मिजो विद्रोहियों के आत्मसमर्पण के साथ, विद्रोह काफी हद तक कमजोर हो गए थे.

पाकिस्तान एक ऐसे राज्य के युद्धग्रस्त कंकाल की तरह दिखता है जो खुद को एक साथ रखने की कोशिश भी नहीं कर रहा है. उसके सामनेकठिन चुनौतियां हैं: गरीबी, अशिक्षा, ऊर्जा संकट, भ्रष्टाचार, राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद, अधिक जनसंख्या, मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, आर्थिक संकट. अभी उसकी जीडीपी वह है जहां भारत 1975में था.

इसकी सबसे बड़ी समस्या है चीन.

चार साल पहले, पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' ने एक आंतरिक दस्तावेज लीक किया था जिसमें चीनी सरकार ने अपने सार्वजनिक उपक्रमों को सीपीईसी में उनके निवेश पर लगभग 16% -17%की जबरन वापसी का आश्वासन दिया था.

विकास पर पाकिस्तानी सीनेट समिति के अध्यक्ष ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की: "ईस्ट इंडिया कंपनी पाकिस्तान में वापस आ गई है." यदि पाकिस्तान चीन को संप्रभुता सौंपता है, तो वह पूरे देश को एक नजरबंदी शिविर बनाकर "झिंजियांग" करेगा.

चीनी हमेशा से जानते होंगे कि ग्वादर से रिफाइनरियों और उनके पूर्वी समुद्री तट पर उत्पादन इकाइयों तक ट्रकिंग या पाइपिंग ईंधन स्पष्ट रूप से आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं था. उन्होंने पाकिस्तान पर राजनीतिक और आर्थिक रूप से हावी होने की चाल का इस्तेमाल किया और सबसे बढ़कर, पाक सशस्त्र बलों को पीएलए का एक उपांग बना दिया.

भारत से सीधे लड़ने की कोशिश में चीन की नाक लहूलुहान हो गई इसलिए अब हमसे आखिरी पाकिस्तानी से लड़ना चाहता है. इसने अभी-अभी भारत का सामना करने वाले दो जनरलों को एक के बाद एक करके बर्खास्त किया है.

सैकड़ों पाकिस्तानी लड़कियों, विशेष रूप से गरीब ईसाई और अल्पसंख्यक समुदायों से, कथित तौर पर चीन में बहका कर बेचा और भेजा जा रहा है. इसी तरह, पाकिस्तानी सशस्त्र बलों को चीनी 'मेहमानों' द्वारा किए गए हमलों पर प्रतिक्रिया नहीं देने का निर्देश दिया गया है, चाहे कारण कुछ भी हो.

चिचा नियाज़ी को पता होना चाहिए कि खतरनाक राक्षस की सवारी करने के बाद कोई नहीं उतर सकता. और वह तो दो की सवारी कर रहे हैं. चीन और उनकी खुद की सेना. चिचा नियाज़ी भव्यता के भ्रम के साथ एक मूर्ख त्रासदी के नायक हैं.

नियाज़ी ने पिछले साल एक मीडिया साक्षात्कार में शोक जताते हुए पाकिस्तान के अकेलेपन को स्वीकार किया था कि केवल चीन हर अच्छे और बुरे समय में पाकिस्तान के साथ खड़ा था.

वह अपना इतिहास नहीं जानते.

जब पाकिस्तान को भारत ने 1971बीच से चीर दिया था तब चीन खामोशी से बैठकर देखता रहा, जबकि बेहया हेनरी किसिंजर ने बार-बार उससे हस्तक्षेप करने का आग्रह भी किया था.

1999 के करगिल युद्ध में आपदा का सामना करते हुए, राजनयिक समर्थन के लिए चीन से पाकिस्तान की दलीलों ने एक बयान दिया कि उसे नियंत्रण रेखा के अपने पक्ष में वापस जाना चाहिए.

इस पहलवान पाकिस्तान अपने पिछवाड़े पर कितनी चीनी दुलत्ती खाना चाहता है?

अगर पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध में जाता, तो चीन धमकी भरे शोर मचाता और कुछ नहीं करता. चीन-पाकिस्तान संबंधों का वर्णन करने के लिए "पहाड़ों से भी ऊंचा, शहद से मीठा, समुद्र से गहरा" बकवास एक पाकिस्तानी निर्माण है, चीनी नहीं.

जून 2021के बाद से, संवेदनशील खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिक और चीनी कामगार मारे गए हैं, बावजूद इसके कि चीनी कामगारों की सुरक्षा के लिए सेना का विशेष डिवीजन खड़ा किया गया है.

जुलाई 2021में, टीटीपी द्वारा 15पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान के ऊपरी कोहिस्तान में 4,300मेगावाट के दसू बांध पर काम कर रहे 9चीनी इंजीनियरों की एक बस विस्फोट में मृत्यु हो गई, बीजिंग ने जो कहा वह एक बम हमला था लेकिन इस्लामाबाद ने गाड़ी में खराबी कहा.

मुझे 2011में हक्कानी नेटवर्क का जिक्र करते हुए हिलेरी क्लिंटन की पाकिस्तान की चेतावनी की याद आ रही है: उन्होंने कहा था, "आप अपने पिछवाड़े में सांप नहीं रख सकते हैं और उनसे केवल आपके पड़ोसी को काटने की उम्मीद कर सकते हैं".

चिचा नियाज़ी, जो हर रंग के जिहादियों से प्यार करता है, वह अपनी कठिनाइयों से उसे निकालने के लिए हमेशा किसी न किसी मुद्दे को जोड़ सकता है.

इस्लामिक बीबीसी और समानांतर ओआईसी (और अब एक मृत चीन-पाकिस्तान मीडिया आउटलेट) अजीब विचार थे जिन्होंने उनके नितंब पर जूतों के स्पष्ट निशान छोड़े हैं.

हाल ही में गैलप पोल ने सुझाव दिया कि बढ़ती मुद्रास्फीति और बेरोजगारी पाकिस्तान के लोगों की सबसे बड़ी समस्या थी, न कि कश्मीर के लोगों के लिए.

खाद्यान्न, चीनी और कपास की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए, इस्लामाबाद ने कुछ महीने पहले भारत के साथ व्यापार पर प्रतिबंध को आंशिक रूप से रद्द करने का फैसला किया, और फिर जल्दी से इसे रद्द कर दिया.

जून 2021में, पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी चिचा नियाज़ी ने पाकिस्तान टेलीविज़न को आइसीसीविश्व क्रिकेट चैम्पियनशिप क्रिकेट मैचों (अपने क्रिकेट के दीवाने राष्ट्र में) के प्रसारण अधिकार भारतीय कंपनी से खरीदने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि इससे कश्मीरियों का मनोबल गिरेगा!

दो साल पहले, उन्होंने अपने हमवतन लोगों को कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता से जुमे की नमाज के बाद आधे घंटे तक चुपचाप खड़े रहने के लिए कहा था, जैसे शरारती स्कूली बच्चों का पीछा किया जा रहा है.

2019में, उन्होंने अफसोस जताया कि दुनिया ने (कश्मीर पर) कुछ नहीं किया क्योंकि भारत का एक बड़ा बाजार था. क्या उन्हें 1990के दशक में बिल क्लिंटन के अभियान के दौरान का कैच वाक्यांश याद है - "यह अर्थव्यवस्था बेवकूफ है?"

आईएमएफ ने पाकिस्तान को 13बार बेल आउट किया है, जो 2019में सबसे बड़ा है.  पाकिस्तान की किसी को परवाह नहीं है. अमेरिका को अफगानिस्तान की चिंता है, इसलिए वह पाकिस्तान को बर्दाश्त करता है. चीन को भारत और अफगानिस्तान की चिंता है, इसलिए वह पाकिस्तान को बर्दाश्त करता है. रूस को अफगानिस्तान की चिंता है, इसलिए वह पाकिस्तान को बर्दाश्त करता है.

जुलाई 2021में, चिचा नियाज़ी ने अफ़ग़ानिस्तान में चल रहे संघर्ष के बारे में एक प्रश्न का उत्तर देने से इनकार कर दिया. वह केवल यह कह सकता था कि तालिबान पर लगाम लगाने के लिए पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई से कम (2001में) हर संभव कोशिश कर रहा था.

अगर रूस और अमेरिका चुंबनरत हो जाएं (विदेश मंत्रियों, सुरक्षा सलाहकारों, राष्ट्रपतियों), तो उनकी पाकिस्तान की जरूरत में कमी आएगी.

जून 2021तक, देश का बकाया कर्ज उसकी जीडीपी से काफी अधिक है.

ऋण-से-जीडीपी अनुपात 2023के अंत तक दोगुना हो सकता है यदि वर्तमान क्लिप में ऋण बढ़ता रहा - जो कि प्रधान मंत्री इमरान खान के पांच साल के कार्यकाल के अंत के साथ मेल खाएगा.

पाकिस्तान के पास 8अरब अमेरिकी डॉलर से कम का मुद्रा भंडार है, जो केवल डेढ़ महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है.

उधार के पैसे और उधार के समय पर चल रहा है देश.

जुलाई 2021 में विश्व बैंक ने पाकिस्तान को 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण (कठिन परिस्थितियों के साथ) स्वच्छ ऊर्जा और मानव पूंजी विकास के लिए दिया है (यह उस 27 अरब डॉलर का हिस्सा है जिसकी पाकिस्तान को चालू वित्त वर्ष के दौरान जरूरत है)

ये महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने नजरअंदाज कर दिया है. उसनेचीन से अप्रचलित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का स्वागत करते हुए, आधुनिक स्कूलों की जगह पर जिहादी मदरसों को प्राथमिकता दी है.

पाकिस्तान खुद के साथ एक अंतहीन युद्ध में है.

इसकी सेना ने एक इस्लामी आतंकवादी ढांचा बनाकर देश को बर्बाद कर दिया है जिसने राज्य की व्यवस्था को हाशिए पर धकेल दिया है. इसने समग्र अर्थव्यवस्था में प्रवेश किया है और कृषि, शिक्षा, तेल, बैंकिंग, विनिर्माण, बीमा और एयरलाइंस सहित औपचारिक, अनौपचारिक और छाया क्षेत्रों में काम करता है.

पाकिस्तानी नागरिक राज्य से अलग-थलग है और हिंसा को एक वैध विकल्प के रूप में देखता है. बलूच, सिंधी, मुहाजिर और आदिवासी पंजाबी बहुल प्रतिष्ठान से घृणा करते हैं.

उन्हें शांत रखने के लिए, हिंदू भारत के प्रति घृणा को लगातार मजबूत करना होगा और सेना खुद को इस्लाम के रक्षक के रूप में पेश करती है और पाकिस्तान को निगलने के लिए भारत के "नापाक" मंसूबों के खिलाफ एक कवच के रूप में पेश करती है.

जर्मन समाजशास्त्री कार्ल मार्क्स ने कहा था, "धर्म लोगों की अफीम है...पीड़ा और शोषण के खिलाफ एक उपशामक और उत्पीड़ित और हाशिए पर पड़े लोगों को सुखद भ्रम प्रदान करता है जिसने उन्हें आगे बढ़ने की ताकत दी".

पाकिस्तान एक आदिम धर्म-आधारित कबीलाई समाज बनने की ओर जा रहा है. पाकिस्तान में स्कूली पाठ्यपुस्तकें हिंदुओं को बदनाम करती हैं और काफिरों को मारने वाले जिहादियों की प्रशंसा करती हैं.

1963में, एक कामुक नेता सुकर्णो के नेतृत्व में एक गरीब और असुरक्षित इंडोनेशिया ने राष्ट्रमंडल समर्थित मलेशिया के खिलाफ अपनी बीमार-प्रशिक्षित ताकतों को भगाते हुए "मलेशिया को कुचलने" अभियान शुरू किया.

1966 में "बंग" (सुकर्णो) के हाशिए पर जाने के साथ, एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, और आसियान का जन्म 1967 में हुआ. पाकिस्तान में नेतृत्व उस इतिहास का अध्ययन कर सकता है.

पाकिस्तान अपनी "महत्वपूर्ण" भौगोलिक स्थिति के बारे में खुद को भ्रमित करता है. इसने अफगानिस्तान तक पहुंच की अनुमति देने के लिए अमेरिका को दूध पिलाया, और अब सीपीईसी को अरब सागर तक पहुंच और अपने अशांत नए सीमांत शिनजियांग से संपर्क के लिए चीन को बेच दिया है.

पाकिस्तान परेशान लोगों का देश है, जिसे भारत के साथ आमने-सामने की लड़ाई से कुछ हासिल नहीं होता है. सितंबर 2019में,खिलाड़ी खान ने कहा कि उन्हें चीन में उत्पीड़ित उइगरों की स्थिति के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.

जनवरी 2020में, उन्होंने कहा कि चीन एक महान मित्र रहा है "इसलिए, हम चीन के साथ निजी तौर पर बात करते हैं, सार्वजनिक रूप से नहीं, क्योंकि ये संवेदनशील मुद्दे हैं"

जुलाई 2021 में, "इस्लामिक" प्रधानमंत्री का कहना है कि वह उइघुर मुद्दे के चीन के संस्करण को स्वीकार करते हैं क्योंकि बीजिंग के साथ उनके देश की अत्यधिक "निकटता और संबंध" - इसलिए नहीं कि उन्हें चीन पर भरोसा है!

उसे पूरी तरह से आर्थिक मंदी से बचने के लिए चीनी धन की सख्त जरूरत है

इस तरह की मार्मिक अभिव्यक्ति उन राष्ट्रों और अभिजात वर्ग के लिए उदारता के माध्यम से चीन की वफादारी की खरीद को दर्शाती है जो चीनी निवेश और ऋण की लालसा करते हैं

चीन की सहायता के बिना पाकिस्तान के आर्थिक अस्तित्व की कल्पना करना मुश्किल है

फरवरी 2021में प्रकाशित बीबीसी की एक जांच में उइघुर बंदियों के व्यवस्थित बलात्कार, यौन शोषण और यातना की प्रत्यक्ष गवाही थी.

बदले में, चीन ने बीबीसी पर प्रतिबंध लगा दिया.

आतंकवाद के खिलाफ एक आवश्यक उपाय के रूप में उनका बचाव करने से पहले, इसने शुरू में शिविरों के अस्तित्व से इनकार किया. स्मरण करिए, कि जब सउदी ने पिछले साल पाकिस्तान को अपने ऋण की तत्काल अदायगी की मांग की, तो उसके विदेश मंत्री पैसे के लिए बीजिंग से भीख मांगने के लिए दौड़ पड़े.

पाकिस्तान का नेतृत्व एक अस्थिर ड्रग एडिक्ट करता है, जो अपनी "रहस्यवादी" तीसरी पत्नी की भविष्यवाणी के माध्यम से अपने देश को चलाने की कोशिश कर रहा है.

जब सब कुछ विफल हो जाता है, तो हमेशा भ्रम होता है