26 जनवरी: गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-01-2025
26 January: Historical Background of Republic Day
26 January: Historical Background of Republic Day

 

saleemसाकिब सलीम

भारत में हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह वह दिन है जब भारत का संविधान लागू हुआ और देश एक गणराज्य बना, लेकिन इस तिथि को चुनने के पीछे एक गहरी ऐतिहासिक और भावनात्मक पृष्ठभूमि छिपी है, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसकी गौरवशाली यात्रा से जुड़ी हुई है.

26 जनवरी को "गणतंत्र दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं था, बल्कि यह तारीख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में पहले से ही पवित्र और महत्वपूर्ण थी.19 दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) ने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) को अपना लक्ष्य घोषित किया.

इस अधिवेशन में प्रस्ताव पारित करते हुए जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि अंग्रेजों के अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ भारतीयों को पूर्ण स्वतंत्रता की शपथ लेनी होगी. इसके लिए यह तय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में पूर्ण स्वराज का उद्घोष किया जाएगा.

पहला स्वतंत्रता दिवस: 26 जनवरी 1930

26 जनवरी 1930 का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर बन गया. इस दिन भारत के हर कोने में "पूर्ण स्वराज" की शपथ ली गई. इसे "स्वतंत्रता दिवस" के रूप में मनाया गया.उस समय भारत पर ब्रिटिश शासन था, लेकिन 26 जनवरी को स्वतंत्रता की घोषणा के प्रतीक के रूप में सार्वजनिक सभाओं और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था.

इस दिन देशभर में ब्रिटिश शासन का विरोध किया गया. हजारों भारतीय इस दिन प्रदर्शन करते थे, कई गिरफ्तार किए जाते थे, और अनेक लोग पुलिस की हिंसा का शिकार होते थे.

15 अगस्त 1947: स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा

15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की. यह दिन ऐतिहासिक था, लेकिन राष्ट्रीय नेताओं ने महसूस किया कि 26 जनवरी को लोगों की स्मृतियों में जीवित रखना आवश्यक है, क्योंकि यह दिन भारतीयों के स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक था.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1948 को एक सार्वजनिक समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए कहा था, "इससे पहले हम हर साल 26 जनवरी को स्वतंत्रता की घोषणा करते थे, लेकिन अब हम वास्तविक स्वतंत्रता का उत्सव मना रहे हैं."

संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी का चयन

स्वतंत्रता के बाद भारत को एक नया संविधान बनाना था. 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंतिम रूप दिया। हालांकि, इसे लागू करने के लिए 26 जनवरी 1950 की तिथि चुनी गई.

डॉ. हरि विष्णु कामथ ने 17 अक्टूबर 1949 को संविधान सभा में यह विचार प्रस्तुत किया था कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में चुना जाए. उन्होंने कहा, "26 जनवरी हमारी राष्ट्रीय पवित्रता का प्रतीक है. इस दिन हमने स्वतंत्रता की शपथ ली थी. इसे गणतंत्र के रूप में मान्यता देकर इसे और महत्व दिया जा सकता है."

26 जनवरी: स्वतंत्रता से गणतंत्र की ओर

26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र राष्ट्र बना. इस दिन से भारत में "गणतंत्र दिवस" के रूप में मनाया जाने लगा. यह दिन भारतीयों के स्वतंत्रता संग्राम की यादों को संजोए रखने और संविधान की भावना को बनाए रखने का प्रतीक बन गया.

26 जनवरी का महत्व

26 जनवरी केवल गणतंत्र दिवस नहीं है, यह भारतीयों के उस संघर्ष और बलिदान की याद है, जो उन्होंने अपनी स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए दिया. यह दिन हमें हमारी संवैधानिक जिम्मेदारियों और अधिकारों की याद दिलाता है.

इस प्रकार, 26 जनवरी को "गणतंत्र दिवस" के रूप में चुनने का निर्णय ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से गहराई से जुड़ा हुआ है. यह दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गौरवशाली गाथा का प्रतीक है और हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है.

(लेखक इतिहासकार और टिप्पणीकार हैं)