मुंबई उर्दू पुस्तक मेलाः उर्दू और सूचना प्रौद्योगिकी, मुंबई के उर्दू आंदोलनों पर बातचीत और मुशायरा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 10-01-2024
Mumbai Urdu Book Fair
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मुंबई. राष्ट्रीय उर्दू परिषद और अंजुमन इस्लाम के सहयोग से आयोजित छब्बीसवां राष्ट्रीय उर्दू पुस्तक मेला चल रहा है. इस मेले में उर्दू और किताबों से प्यार करने वाले लोग बड़ी संख्या में हिस्सा ले रहे हैं. व्यक्तिगत तौर पर किताबें खरीदने के अलावा विभिन्न संस्थानों के पदाधिकारी भी अपने पुस्तकालयों के लिए बड़ी संख्या में किताबें खरीद रहे हैं. इसके साथ ही प्रतिदिन विभिन्न शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए रहे हैं. इसलिए आज चौथे दिन कार्यक्रमों के तीन सत्र आयोजित किए गए, जिनका आयोजन साहित्यिक संस्था उर्दू कारवां ने किया. प्रथम सत्र में उर्दू चैनल के माध्यम से उर्दू एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर एक मंच का आयोजन किया गया, जिसका संचालन प्रसिद्ध शायर डॉ. कमर सिद्दीकी ने किया.

प्रसिद्ध एआई प्लेटफॉर्म चौटजीपीटी से जुड़े असीम सैयद ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में बात की, इसे विस्तार से पेश किया और इसके लाभकारी उपयोग बताए. उन्होंने इसके लाभों के साथ-साथ इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों के बारे में बताया और इस संबंध में दर्शकों के सवालों के जवाब भी दिए.

दैनिक क्रांति से जुड़े शाहनवाज खान ने उर्दू पत्रकारिता पर सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभाव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे उर्दू पत्रकारिता को बड़ी सुविधाएं मिली हैं, जैसे समाचार पत्र लिखने के बजाय टाइपिंग शुरू हुई, स्रोत बढ़ गए हैं, समाचारों का अनुवाद आसान हो गया है और अन्य समान सुविधाएं भी मिली हैं.

बच्चों की पत्रिका गुलबोटे के संपादक फारूक सैयद ने साहित्यिक और शैक्षिक गतिविधियों को चलाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया. सुप्रसिद्ध कथाकार अनवर मिर्जा ने साहित्य पर सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि जिस प्रकार प्रौद्योगिकी के कारण अन्य क्षेत्रों में बड़े बदलाव हुए हैं, उसी प्रकार साहित्य पर भी इसका प्रभाव पड़ा है, इसलिए अब इसका सीधा लाभ हमारे लेखकों को हो रहा है. डिजिटल लाइब्रेरी से लेकर कागज-कलम की मदद से लिखने के बजाय कंप्यूटर और मोबाइल फोन के जरिए भी साहित्य सृजन कर रहे हैं. सत्र का समापन उर्दू कारवां के प्रमुख फरीद खान के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ.

‘उर्दू आंदोलन और मुंबई’ शीर्षक वाले दूसरे सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार और कवि नदीम सिद्दीकी ने की और डॉ. सलीम खान सम्मानित अतिथि थे. कार्यक्रम की मेजबानी पब्लिक इंस्टीट्यूशन मुंबई और उर्दू गगन संस्था मुंबई ने की, जबकि कार्यक्रम का आयोजन सलाहकार अहमद अंसारी ने किया.

चर्चा में अब्दुल सामी बोबिडे ने मुंबई के उर्दू आंदोलनों की गतिविधियों और मुंबई में रहने वाले महत्वपूर्ण कवियों और लेखकों और उनके सामाजिक प्रभाव की समीक्षा की. डॉ. माजिद काजी ने कहा कि मुंबई हर युग में साहित्यिक महत्व का शहर रहा है, खासकर प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े शीर्ष लेखकों और कवियों का केंद्र. इस आंदोलन से जुड़े लेखकों ने इसी शहर में रहकर बेहतरीन कथा साहित्य लिखा. यह शहर आधुनिकता से जुड़े युवाओं का भी प्रमुख केंद्र रहा है और आज भी यहां राष्ट्रीय ख्याति के लेखक मौजूद हैं.

एजाज हिंदी ने मुंबई के मौजूदा साहित्यिक संगठनों की सेवाओं का उल्लेख किया और उर्दू के प्रचार-प्रसार में अंजुमन इस्लाम और उसके स्कूलों की विशेष भूमिका पर प्रकाश डाला. डॉ. सलीम खान ने विभिन्न उर्दू साहित्यिक आंदोलनों की पृष्ठभूमि और उनके लक्ष्यों और उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोई भी आंदोलन उद्देश्य से रहित नहीं है. हालांकि, संतुलन आवश्यक है. हमारे उर्दू आंदोलनों का जन्म अलग-अलग युगों में हुआ और एक समय के बाद, उनका प्रभाव ख़त्म हो गया, क्योंकि उनके सोचने के तरीके और रचनात्मकता को संतुलित नहीं किया जा सका.

डॉ. शफी शेख ने अंजुमन इस्लाम की शैक्षणिक एवं साहित्यिक सेवाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला एवं उनके विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला. मजलिस के अध्यक्ष नदीम सिद्दीकी ने अपने संबोधन में मुंबई के साहित्यिक आंदोलनों पर संक्षेप में प्रकाश डाला और परंपरावाद, प्रगतिवाद, आधुनिकतावाद और उत्तर आधुनिकतावाद के प्रभावों और दायरे का उल्लेख किया. उन्होंने नई पीढ़ी की किताबों से दूरी पर अफसोस जताते हुए कहा कि किताबों के बिना हम अपना भविष्य नहीं संवार सकते.

दिन का तीसरा महत्वपूर्ण कार्यक्रम स्थानीय शायरों का मुशायरा था, जिसमें मुंबई और महाराष्ट्र के प्रमुख शायरों/कवियों ने भाग लिया. मुशायरे की अध्यक्षता मुंबई के वरिष्ठ शायर अहमद वसी ने की, जबकि डॉ. शिवती आजमी, नदीम सिद्दीकी, प्रो. आयशा सुमन, फरहान हनीफ वारसी,नजर बजनूरी, यूसुफ दीवान, काशिफ सैयद, अहसान उस्मानी, मकसूद अफाक, तौसीफ कातिब, सिद्धार्थ शांडालिया, मधु, बरवे नूर ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं  को मंत्रमुग्ध कर दिया. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में उर्दू कारवां के अध्यक्ष फरीद अहमद खान ने सभी शायरों का स्वागत किया.

 

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