जामिया में ऑल इंडिया मुशायरा-कवि सम्मेलन, देवेंद्र रघुवंशी ने पढ़ा-किसान के बेटे देते हैं प्राण

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 27-01-2023
जामिया में ऑल इंडिया मुशायरा-कवि सम्मेलन, देवेंद्र रघुवंषी ने पढ़ा-किसान के बेटे देते हैं प्राण
जामिया में ऑल इंडिया मुशायरा-कवि सम्मेलन, देवेंद्र रघुवंषी ने पढ़ा-किसान के बेटे देते हैं प्राण

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

गणतंत्र दिवस पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में ऑल इंडिया मुशायरा-कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. देवेंद्र रघुवंशी ने जब पढ़ा-बड़े लोगों की औलाद तो कैंडल मार्च करती हैं,जो प्राण देते हैं वह बेटे हैं किसानों के, तो उन्हें खूब वाहवाही मिली.

जामिया में ऑल इंडिया मुशायरा और कवि सम्मेलन  इसके इंजीनियरिंग विभाग के ऑडिटोरियम में  आयोजित किया गया.

शमा रोशन कर मुशायरे का आगाज

ऑडिटोरियम में मुशायरा और कवि सम्मेलन का आगाज जामिया की वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर, मुख्य अतिथि डा हनीफ कुरैशी आईपीएस, सम्मानीय अतिथि डॉ शाह फैसल उप सचिव, संस्कृति मंत्रालय, सम्मानीय अतिथि प्रो. अशोक चक्रधर, जामिया के रजिस्टार प्रो. नाजिम हुसैन और सम्मानित शख्सियतों ने शमा रोशन कर किया.

इस दौरान जामिया की वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि विवि ने भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में अहम योगदान दिया है. अपनी योजनाओं और नई नीति के तहत अनेक प्रयास  किए हैं जिसका नतीजा है कि जामिया देश के प्रतिष्ठित टॉप थ्री यूनिवर्सिटी में शुमार हो गया है.

जामिया ने जो सोचा कर दिखाया

उन्होंने आगे कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया जो भी सोचता है उसे करके दिखाता है. मंजिल पर पहुंचना मुश्किल है. इससे ज्यादा मुश्किल मेंटेन (बनाए रखना) करना है, जिसमें जामिया कामयाब है. उन्होंने जामिया के हवाले से अपनी एक पंक्ति सुना कर लोगों की तालियां बटोरी... अपना चमन आबाद रहे आजाद रहे,हर जर्रा यहां की धरती का हमेशा ही शाद रहे

मैं जो कुछ हूं जामिया की वजह से

जामिया हिंदी विभाग के पूर्व छात्र और भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा हनीफ कुरैशी ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा, मैं जो कुछ भी हूं, जामिया की बदौलत हूं. जामिया उनके लिए घर की तरह है. यहां के लोग दुनिया भर में फैले हुए हैं.आईपीएस डॉ हनीफ कुरैशी ने भारतीय पुलिस में अपने योगदान को याद करते हुए कहा कि तब मैं किसी से मिलता तो नमस्कार, आदाब की जगह जय हिन्द बोलता था.

अतिथियों के संबोधन के बाद कवि सम्मेलन और मुशायरे का लंबा दौर चला. इस मौके पर हिंदी के चर्चित कवित देवेंद्र रघुवंशी ने पढ़ा-

बड़े लोगों की औलाद तो कैंडल मार्च करती हैं ,जो अपने प्राण देते हैं वह बेटे हैं किसानों के

लोगों के बीच में ढूँढ़ता रहता हूं मैं उसे,अपना था कोई शहर में जाने किधर गया

देवेंद्र रघुवंशी के बाद अलिना इतरत रिजवी की शायरी भी खूब पसंद की गई. खासकर उनके इस षेर पर ताली बजी-अपनी मिट्टी पर अगर नाज नहीं कर सकते,जिंदगी हम तेरा आगाज नहीं कर सकते .इसी तरह सलमा शाहीन की गलत-दिल की धड़कन से तू अपनी ये जरा पूछ के देख,तुझसे किया ये इश्क मुझे ऐसी दम इजाद ही नहीं--पसंद की गई.

प्रो. अहमद महफूज ने पढ़ा-हंगामा ए वहशत था जहां जश्न ए जुनूं में,देखा तो वहां कोई दीवाना ही नहीं था

प्रो. शहपर रसूल का यह शेर भी पसंद किया गया-

बद दुआ उसने मुझे दी थी, दुआ दी मैंने,उसने दीवार उठाई थी, गिरा दी मैंने

मोईन शादाब ने पढ़ा-न नींद थी न कोई ख्वाब मेरे बिस्तर पर,बस एक शिकन के अलावा कुछ और था ही नहीं

इनके अलावा मजिद देवबंदी, खालि महमूद, दुर्गा प्रसाद, प्रो. खालिद मुबश्शिर की शायरी भी पसंद की गई. प्रोग्राम का संचालन मोईन शादाब ने किया. जामिया के रजिस्ट्रार प्रो. नाजिम हुसैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया.