जाकिर हुसैन पंवारः मौलवी भी समझाने आए, लेकिन योग नहीं छोड़ा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 21-06-2021
गांव-गांव योगः ग्रामीणों को योग का प्रशिक्षण देते हुए जाकिर हुसैन पंवार
गांव-गांव योगः ग्रामीणों को योग का प्रशिक्षण देते हुए जाकिर हुसैन पंवार

 

राकेश चौरासिया / फरीदाबाद.

जाकिर हुसैन पंवार योग, आसन और प्राणायाम में ऐसे रमे कि अब खेती-किसानी के साथ-साथ योग ही उनका जीवन बन गया है. श्याम वर्ण जाकिर के मुख पर योग का ओज और तेज हर समय विद्यमान रहता है. अब वे योग की महत्ता का स्वयं गहन अनुभव करके लोगों को भी योग के लिए प्रेरित करते हैं और प्रशिक्षण शिविर लगाते हैं. योग को गैर मजहबी बताकर जाकिर हुसैन पर दबाव भी बनाया गया, लेकिन जाकिर हुसैन अपनी धुन में चले जा रहे हैं, बढ़े जा रहे हैं.

जाकिर हुसैन पंवार फरीदाबाद जिले में जगन आर्य के नाम से मशहूर हैं. 53 साला जाकिर हुसैन कहते हैं कि 'जगन आर्य' ही अब उनकी पहचान बन गया है.

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मयूर आसन में जाकिर हुसैन पंवार 

मंझावली पंचायत के गांव शेखपुर के रहने वाले जाकिर आठ एकड़ जमीन के बिसवेदार हैं और खेती-किसानी ही उनका मुख्य पेशा है.

आवाज-द वॉयस से बात करते हुए जाकिर ने बताया कि वे बस अभी-अभी खेतों में ट्रेक्टर चलाकर योगशाला में पहुंचे हैं.

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बच्चों को पद्मबद्ध मयूर आसन का प्रशिक्षण देते जाकिर हुसैन पंवार 

जाकिर ने अपने खेतों में ही योगशाला बना ली है. यही उनका कार्यालय है. वे यहीं पर लोगों को योग, आसन और प्राणायाम का प्रशिक्षण देते हैं और यहीं से अपनी खेती की देख-रेख करते हैं. (जाकिर जब बात कर रहे थे, तो उनकी रमणीय वाटिका में मोरों का समूह रुक-रुक कर पार्श्व संगीत दे रहा था.)

उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पैसे से अपने खेत में योगशाला बनवाई है. सिविल वर्क पूरा हो चुका है. कमरे बन गए हैं. उनमें फिनिशिंग का कुछ काम रहता है. पुताई और टाइल्स का काम रुका हुआ है. जब और पैसा आएगा, तो बकाया काम पूरा करवाएंगे.

उन्होंने कहा कि इस काम के लिए वे किसी चंदा नहीं लेते. उन्हें किसी से मांगना अच्छा नहीं लगता. वे इस कार्य में अपने श्रम की पूंजी ही लगाते हैं.

जाकिर हुसैन ने योगशाला को बहुत सुंदर बनाया है. विभिन्न प्रकार के औषधीय पादप और वृक्ष भी लगाए हैं.

योग से मुलाकात

फ्लैश बैक में डूबकर जाकिर हुसैन बताते हैं कि लगभग 10-11 साल पहले वे अपने मोटापे से बेहद परेशान हो गए थे. तब उनका वनज 88 किलो था. मोटापे के कारण वे तमाम शारीरिक परेशानियों में घिर गए थे.

वे कहते हैं कि डॉक्टर के कागज आज भी रखे हैं, जिनमें मोटापा, कब्ज, आंखों के सामने अंधेरा छाने, बीपी, शुगर का जिक्र है और नुस्खे लिखे हैं.

मार्डन साइंस से आराम न मिलने पर उन्होंने बाबा रामदेव के टीवी पर आने वाले कार्यक्रमों को देखकर ही आसन करने शुरू किए थे. धुन के पक्के जाकिर टीवी के सामने बैठ जाते, जैसे-जैसे बाबा रामदेव बताते रहते, वैसे-वैसे जाकिर योग क्रियाएं करते रहते.

बाबा रामदेव ने देश-विदेश में करोड़ों लोगों में योग, आसन, प्राणायाम और आयुर्वेद को पुनर्स्थापित किया है. उन्होंने अपने अभियान में टीवी का एक अस्त्र के रूप में उपयोग किया है.

जाकिर हुसैन ने बताया कि योग आसनों ने अपना असर दिखाया और केवल चार महीने में ही उनका 30 किलो वजन कम हो गया.

योगाभ्यास ने उनका जीवन बदल दिया. योग से जुड़ने के बाद उन्होंने कभी एक पैसे की दवाई नहीं खाई है. अब कोई परेशानी नहीं है. अब बिल्कुल फिट महसूस करते हैं.

योग में सक्रियता

उनके जीवन में योग, अभियान कैसे बना. इस बारे में वे बताते हैं कि शुरुआत में वे घर पर ही यौगिक क्रियाएं करते थे. एक बार मंझावली स्कूल में एक कैंप लगा, जिसमें नेहरू युवक केंद्र के लोगों ने योगाभ्यास का प्रशिक्षण दिया.

कैंप में चर्चा के दौरान कैंप के योग प्रशिक्षकों को ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में भी एक आदमी है, जो घर पर योग करता और करवाता है.

तब कैंप के योग प्रशिक्षकों ने जाकिर हुसैन को शिविर के अगले सत्र में बुलाया. प्रशिक्षकों ने उनका मान-सम्मान किया और योग के बारे में उनके अनुभव सुने.

पतंजलि योग पीठ में प्रशिक्षण

इसके बाद वे पतंजलि योग पीठ के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़ गए. उन्होंने पतंजलि योग पीठ के मुख्यालय में जाकर पांच-पांच दिन के तीन शिविर किए . अब भी वहां आना-जाना लगा रहता है. फिलहाल वे भारत स्वाभिमान ट्रस्ट में तिगांव तहसील क्षेत्र के प्रभारी हैं और मुख्य योग प्रशिक्षक हैं.

खेतों में बनी जाकिर की योगशाला में 15-20 लोग योग का अभ्यास करने रोज आते हैं. कभी-कभी उनकी संख्या 60-70 भी हो गई थी. उन्होंने बताया कि कोरोना में लोग बुरी तरह डर गए थे, इसलिए संख्या कम संख्या हो गई थी. अब फिर लोगों का आना शुरू हो गया है.

परिवार योगमय

जाकिर हुसैन को परिवार का भी पूरा समर्थन मिलता है. योग की ऐसी अलख जगी है कि उनकी पत्नी भूरी, छोटा भाई छोटा अख्तर हुसैन, बेटी चांद, मां बसीरन भी नियमित योगाभ्यासी हो गई हैं.

योग के साथ हवन

जाकिर हुसैन बताते हैं कि योग की यात्रा करते-करते अब वे आर्य समाज से भी जुड़ गए हैं. वे प्रति दिन घर में वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन भी करते हैं.

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ग्रामवासियों संग हवन करते जाकिर हुसैन पंवार

मेरा विश्वास अडिग था

योग और हवन करने पर मुस्लिम समाज की प्रतिक्रियाओं के बारे में वे बताते हैं, “एक बार तो, खंदावली गांव के एक मौलवी और कुछ लोग आए और कहा कि हमने सुना है कि तुम अपना मजहब छोड़ रहे हो. उनकी बात पर मैंने कहा कि मैं हवन जरूर करता हूं. लेकिन नमाज भी पढ़ता हूं. उन्होंने बहुत प्रेशराइज किया. लेकिन मेरा विश्वास अडिग था और मैं चलता रहा.”

पूर्वजों को कैसे छोड़ दूं

इतिहास को याद करते हुए जाकिर हुसैन कहते हैं, “मैं हिंदू-मुस्लिम में विश्वास नहीं रखता हूं. हम हिंदुस्तानी हैं. भारतीयता अपनानी चाहिए. हम 300-400 साल पहले ही तो ही कन्वर्टर्ड हुए हैं. हम अपने पूर्वजों को कैसे छोड़ सकते हैं. मैं खुद पंवार राजपूत हूं.”

रोटी भी त्याग दी

आलम यह है कि जाकिर लहसुन-प्याज भी नहीं खाते हैं. उन्होंने बताया कि अपने वाले 11 दिसंबर को पूरे 11 साल हो जाएंगे, तब से उन्होंने रोटी भी नहीं खाई. वे आहार में लौकी, तोरई आदि हरी सब्जी और दूध लेते हैं. गेहूं, दाल, चावल, मक्का छोडे़ हुए बरसों हो गए हैं. इसका पूरे इलाके को पता है.”

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चक्र आसन में जाकिर हुसैन पंवार

योग का प्रसार

जाकिर हुसैन अपनी योगशाला में तो दैनिक योग शिविर चलाते ही हैं, बल्कि वे योग के प्रसार के लिए क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. उन्होंने कुछ दिनों पहले निकटवर्ती घरोड़ा गांव में सात दिवसीय शिविर लगाया था. इसके अलावा वे फरीदाबाद की जवाहर कॉलोनी, भारत कालोनी, एनएच 3 और 4 में भी प्रशिक्षण देने के लिए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि भारत स्वाभिमान ट्रस्ट उनकी जहां-जहां ड्यूटी लगाता है, वे वहां-वहां जाते हैं.

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योगशाला में प्रशिक्षण के बाद प्रफुल्लित साधक

योग में मजहब का कोई स्थान नहीं

हालांकि उनके शिविरों में मुस्लिम साधकों की संख्या कम है. वे बताते हैं कि बस तीन-चार मुस्लिम  ही योगाभ्यास के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों को समझाया है कि योग में मजहब का कोई स्थान नहीं है. ये पूरी तरह मन और शरीर की साधना और व्यायाम है. किसी को ओउम् से आपत्ति हो, तो वह अल्लाह जप सकता है. वे इस बात से मायूस हैं कि उन्हें मुस्लिम समुदाय से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि इसके बावजूद वे अपना काम जारी रखेंगे.

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पद्मबद्ध शीर्षासन में जाकिर हुसैन पंवार

अनगिनत उदाहरण हैं, कितने बताऊं

योग के प्रभाव के बारे में वे कहते हैं कि उनकी पत्नी को हाई बीपी की शिकायत थी. अब वह बिल्कुल ठीक है. मंझावली के रामलाल जी के जोड़ों में दर्द रहता था. अब बिल्कुल ठीक हो गए हैं, उसके बाद भी वे रोज योगशाला में आते हैं. ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं. कितने बताऊं. योगाभ्यास के बाद कोई बीमारी ठहर ही नहीं सकती. योग ऐसी ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति दिन भर प्रफल्लित रहता है.