जयपुर के किलों में सदियों पुरानी जल व्यवस्था  पर्यटकों को क्यों करती है आकर्षित

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 04-11-2021
जनीरज दोषी
जनीरज दोषी

 

आवाज वाॅयस / नई दिल्ली
   
उत्तर पश्चिमी भारतीय राज्य राजस्थान में जयपुर शहर अपने प्रसिद्ध सांस्कृतिक स्थलों के कारण हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन अब पर्यटक अधिक दिलचस्प चीजों की खोज में प्राचीन किलों केलिए पैदल ही निकल पड़ते हैं. इनमें जयपुर के किलों में सदियों पुरानी जल व्यवस्था प्रमुख है. इसकी बदौलत बंजर भूमि सिंचित की जाती थी और यह समृद्ध संस्कृति का केंद्र बन गई थी.
 
हाल ही में शुरू किए गए हेरिटेज वाटर वॉक के दौरान पर्यटकों को इन जगहों को दिखाया जाता है. उनसे जुड़ी कहानियां सुनाई जाती हैं. इन वाटर वॉक को अमेरिका के टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के द फ्लोर स्कूल के छात्र नीरज दोषी ने डिजाइन किया है. उन्होंने यह सीरीज अपने दोस्तों के लिए शुरू की थी.
 
जयपुर को वहां की इमारतों के रंगों के कारण गुलाबी शहर का नाम दिया गया है. यह शहर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है.लोकप्रिय स्थानों में गोविंद देवजी मंदिर, सिटी पैलेस, जंतर मंतर वेधशाला और हवा महल शामिल हैं.
jaipur
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने हवा महल को अपनी विश्व विरासत सूची में ‘‘कलात्मक और स्थापत्य शिल्प कौशल की उत्कृष्ट कृति‘‘ के रूप में वर्णित किया है. नीरज दोषी   की यात्राएं शहर के दो स्थानों पर केंद्रित हैं. 18वीं सदी का नाहरगढ़ किला और 16वीं सदी का अंबर किला, जो ग्रेट इंडियन डेजर्ट के बराबर हैं.
 
किलों का दौरा करने वाले पर्यटकों को जल संग्रह और भंडारण प्रणाली के बारे में बताया जाता है जो अभी भी चालू है.नीरज दोषी   ने कहा, ‘‘लोग अक्सर किलों और महलों को देखने राजस्थान आते हैं, जिसके लिए यह दशकों से प्रसिद्ध है, लेकिन इस क्षेत्र में पानी के इतिहास के बारे में बहुत कम लोग जानते है.‘‘
 
उन्होंने कहा कि इन किलों में पानी की व्यवस्था न केवल इंजीनियरिंग की उत्कृष्ट कृति है, बल्कि इसे स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था ताकि युद्ध के दौरान या किसी हमले की स्थिति में भी यह बाधित न हो.
 
उन्होंने कहा,‘‘इन जल संसाधनों को ऐसे डिजाइन किया गया है, ताकि सेना पूरे वर्ष उन पर जीवित रह सके.‘‘ नीरज का कहना है कि वह इलाके में रहने वाली 17वीं पीढ़ी से हैं. उनका मानना है कि मरुस्थल में जन्मी जलीय सभ्यता राजस्थान की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
 
नीरज दोषी  का कहना है ,‘‘शुरुआत में, वे इसे मनोरंजन के रूप में करते थे, फिर मैंने इसके लिए एक नियमित प्रारूप विकसित किया और इसे प्रयोगात्मक पर्यटन के अनुरूप व्यवस्थित किया.‘‘ 
 
यात्राएं 2017 में शुरू हुईं. पहले तो ज्यादातर लोग इसके पास नहीं गए, लेकिन बाद में उन्हें इसमें दिलचस्पी हो गई. बहुत से लोग कहते हैं कि उन्होंने वैक्स के बारे में बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की है.
एक स्थानीय व्यवसायी अमिता पंडित कहती हैं, ‘‘मेरा जन्म और पालन-पोषण जयपुर में हुआ . मैंने कई बार नाहरगढ़ और आमेर के किलों का दौरा किया है, लेकिन मैं उनमें जल संस्कृति के महत्व को पहले नहीं समझ पाई थी. जब तक नीरज ने इसका उल्लेख नहीं किया.
 
दिल्ली के व्यवसायी सैयद मोहम्मद कासिम का कहना है कि ये यात्राएं चीजों को देखने और समझने में मदद करती हैं.