अनुच्छेद 370 हटने के बाद क्या हो रहा है कश्मीर में

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-07-2023
 अनुच्छेद 370 हटने के बाद क्या हो रहा है कश्मीर में
अनुच्छेद 370 हटने के बाद क्या हो रहा है कश्मीर में

 

इमान सकीना

जम्मू और कश्मीर भारत में एक नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेश है जिसमें दो डिवीजन शामिल हैं. जम्मू और कश्मीर डिवीजन. दोनों केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित किया जा रहा है. यह हिमाचल प्रदेश और पंजाब के उत्तर और लद्दाख के पश्चिम में स्थित है. जम्मू क्षेत्र का प्रमुख धर्म सनातन है. यह कटरा में प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर सहित महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थलों का घर कहा जाता है.

कश्मीर घाटी में अधिकांश लोग इस्लाम धर्म के मानने वाले हैं. 6 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के इतिहास में  नया अध्याय जुड़ गया, जब भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 हटा दिया.
 
परिणामस्वरूप, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया. इस दौरान जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया, जिससे 2 केंद्र शासित प्रदेश बने- पश्चिम में जम्मू और कश्मीर और पूर्व में लद्दाख. अब 3 प्रशासनिक प्रभाग है- जम्मू प्रभाग, कश्मीर प्रभाग और लद्दाख.
 
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अनुच्छेद 370, सरकार को रक्षा, वित्त, विदेशी मामलों और संचार के मामलों को छोड़कर जम्मू और कश्मीर के मामलों में कुछ भी करने से रोकता था. इसने प्रांत के संघर्षों में योगदान दिया.
 
जबकि शेष भारत ने मजबूत सामाजिक और आर्थिक विकास का अनुभव किया. इसका नतीजा यह रहा कि जम्मू और कश्मीर आर्थिक विकास, रोजगार, भ्रष्टाचार से लड़ने, लैंगिक समानता, साक्षरता और कई अन्य संकेतकों के मामले में पिछड़ गया.
 
अनुच्छेद 370 शेष भारत में प्रचलित प्रगतिशील कानून, जैसे सकारात्मक कार्रवाई, महिलाओं के लिए समान अधिकार, किशोर संरक्षण और घरेलू हिंसा के खिलाफ सुरक्षा उपायों के लिए एक बाधा थी. भारतीय संविधान के तहत शिक्षा और सूचना के अधिकार की रक्षा करने वाले कानून जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होते थे.
 
इस नए बदलाव के बाद, कश्मीर में स्थिति अब काफी बेहतर है. लोग शांति और विकास की ओर बढ़ना चाहते हैं.कश्मीर का अलगाववादी आंदोलन हाशिए पर है. क्षेत्र में हिंसा कम हुई है.
 
कश्मीर और एलओसी पर सुरक्षा स्थिति बेहतर है. यहां तक कि पथराव और सड़क पर हिंसा भी खत्म हो गई है. स्थानीय आतंकवादियों की भर्ती में गिरावट दर्ज की गई है.जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से अभिभावक मांग कर रहे हैं कि उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा को आसान बनाया जाए ताकि उन पर स्कूली बस्ते का बोझ न पड़े.
 
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देर आए दुरुस्त आए. अधिकारी इस मांग के प्रति सजग हैं. बच्चों के कल्याण के लिए कई उपायों की घोषणा की गई है.जैसे ही जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ, स्कूल जाने वाले बच्चों द्वारा अपने कंधों पर उठाए गए स्कूल बैग के भारी वजन के मुद्दे पर स्कूल शिक्षा विभाग (एसईडी) अभिभावकों की चिंताओं के जवाब में जाग गया.
 
स्वास्थ्य विशेषज्ञ भारी स्कूल बैग ले जाने के शारीरिक बोझ और छात्रों के स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में बात कर रहे हैं. शिक्षा विभाग ने हाल में निजी स्कूलों को निर्देश दिए हैं और उन्हें बच्चों के लिए पाठ्यपुस्तकें और वर्दी खरीदने के लिए माता-पिता को किसी विशिष्ट दुकान की सिफारिश करने से रोक दिया है.
 
इस प्रकार हम देख सकते हैं और अनुमान लगा सकते हैं कि किसी न किसी रूप में कश्मीर का कुछ हद तक उत्थान हुआ है.